जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शराब के सेवन को शरीर में कई तरह की बीमारियों को बढ़ाने वाला कारक माना जाता है। इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव शरीर को सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक लिवर पर देखने को मिलता है। अधिक शराब पीने वालों में लिवर की कमजोरी, लिवर में सूजन, सिरोसिस और गंभीर मामलों में लिवर फेलियर की समस्या तक देखने को मिलती है। पर क्या आप जानते हैं कि लिवर की कुछ बीमारियां शराब न पीने वाले लोगों में भी हो सकती हैं। विशेषरूप से नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) ऐसी ही तेजी से बढ़ती एक समस्या है, जिससे शराब न पीने वाले लोग भी काफी परेशान देखे जा रहे हैं। इतना ही नहीं आंकड़े बताते हैं कि शराब न पीने के बाद भी 40 फीसदी भारतीय लोग इस समस्या के शिकार हैं।
एनएएफएलडी की समस्या किसी को भी हो सकती है, इसके कारण पेट में दर्द से लेकर पाचन से संबंधित कई तरह की समस्याएं बने रहने का खतरा हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों के इस समस्या के लक्षणों के बारे में जानकारी होनी चाहिए जिससे स्थिति का समय रहते निदान किया जा सके। आइए इस बीमारी के बारे में विस्तार से समझते हैं।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के बारे में जानिए
अमेरिकन लिवर फाउंडेशन के विशेषज्ञों के मुताबिक एनएएफएलडी लिवर कोशिकाओं में अतिरिक्त वसा के निर्माण की स्थिति है, यह शराब पीने या न पीने वाले दोनों लोगों में हो सकता है। लिवर में वसा का होना सामान्य है, हालांकि, यदि वसा की मात्रा लिवर के वजन का 5-10 प्रतिशत से अधिक हो जाती है तो इसे फैटी लीवर (स्टीटोसिस) कहा जाता है। आहार और जीवनशैली के कई कारण इस समस्या को बढ़ा सकते हैं।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज क्यों होता है?
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के मुख्य कारणों के बारे में विशेषज्ञों का पता नहीं है, हालांकि माना जाता रहा है कि कुछ स्थितियां इसके जोखिमों को बढ़ा देती हैं जिसके बारे में सभी लोगों को विशेष सतर्कता बरतती रहनी चाहिए। अध्ययनों से पता चलता है कि जिन लोगों का वजन अधिक होता है उनमें एनएएफएलडी विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा खून में ट्राइग्लिसराइड्स या एलडीएल (बैड) कोलेस्ट्रॉल की अधिकता, मधुमेह या हाई ब्लड प्रेशर के कारण भी एनएएफएलडी का जोखिम बढ़ जाता है।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज की पहचान कैसे करें?
विशेषज्ञ कहते हैं फैटी लीवर की समस्या बिना किसी लक्षण के भी हो सकती है। आमतौर पर इसका निदान नियमित रक्त परीक्षण की स्थिति में ही हो पाता है। हालांकि कुछ लोगों में इस स्थित में संकेतों के आधार पर समस्या की पहचान की जा सकती है।
पेट में दर्द बना रहना।
थकान-कमज़ोरी महसूस होना।
वजन घटना।
त्वचा या आंखों का पीला पड़ना।
त्वचा पर मकड़ी जैसी रक्त वाहिकाएं नजर आना।
पेट से संबंधित दिक्कतों का बढ़ना।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज का इलाज और बचाव
सामान्यतौर पर एनएएफएलडी की स्थिति में यदि आपमें लक्षण नहीं हैं तो किसी विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं होती है हालांकि जीवनशैली में बदलाव करने से आपके लिवर में वसा के निर्माण को नियंत्रित किया जा सकता है। उपचार और बचाव के रूप में सबसे पहले वजन को कम करने स्वस्थ आहार और व्यायाम को जीवनशैली का हिस्सा बनाने पर जोर दिया जाता है। यदि आपको पहले से ही किसी प्रकार की समस्या है तो कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड्स, रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए दवा दी जा सकती है।
रोगियों को वजन कम करने, नियमित व्यायाम, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज को नियंत्रित करने जैसे उपाय करते रहने की सलाह दी जाती है। दिनचर्या के ये उपाय स्थिति को सुधारने में काफी मददगार हो सकते हैं।