सफलता की कुंजी: निराशा और हताशा से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

सफलता की कुंजी कहती है कि जो व्यक्ति दुख या संकट आने पर हताश और निराश हो जाते हैं

Update: 2021-07-22 18:01 GMT

Safalta Ki Kunji: सफलता की कुंजी कहती है कि जो व्यक्ति दुख या संकट आने पर हताश और निराश हो जाते हैं, वे सफलता से वंचित रहते हैं. जीवन में सुख और दुख आते रहते हैं. व्यक्ति को इन दोनों ही स्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए.

गीता के उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि दुख सभी के जीवन में आते हैं. विद्वानों के मामले में तो संकट या फिर दुख आने पर व्यक्ति को अपने प्रयासों को नहीं रोकना चाहिए. कर्म करते रहते रहना चाहिए. कर्म प्रधान व्यक्ति कभी परेशान नहीं होता है.
गलतियां सभी से होती हैं, इन गलितयों को शोक नहीं मानना चाहिए. बल्कि गलतियों से सीख लेते हुए आगे बढ़ना चाहिए. जीवन में आगे बढ़ना है तो इन बातों का कभी न भूलें.
परिश्रम- विद्वानों की मानें तो परिश्रम से कभी नहीं घबराना चाहिए. परिश्रम में ही सफलता का रहस्य छिपा होता है. कार्य करने पर अच्छे और खराब दोनों ही परिणाम आ सकते हैं. ऐसा नहीं होता है कि हर परिणाम सही आएं. इसलिए घबराना नहीं चाहिए. जीवन में उतार चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है. परिश्रम करते रहना चाहिए. परिश्रम से ही सफलता प्राप्त होती है.
सकारात्मकता- कार्य करते समय हताशा और निराशा होना स्वभाविक है. लेकिन इसमें डूबना नहीं चाहिए. हताशा और निराशा से तभी बाहर निकला जा सकता है, जब व्यक्ति सकारात्मक विचारों को अपनाता है. जीवन में यदि सफल होना चाहते हैं तो नकारात्मकता से हमेशा दूर रहें. नकारात्मक सोच और ऊर्जा सदैव बाधा बनती है. इसलिए सकारात्मक बनें. हर चीज को सकारात्मक दृष्टि से देखना चाहिए. इसी से सफलता प्राप्त होती है.
गलत कार्यों से दूर रहें- विद्वानों की मानें तो गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए. गलत कार्य करने से आत्मविश्वास में कमी आती है. आत्मविश्वास में जब कमी आने लगती है तो लक्ष्य दूर होने लगता है.


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