इतना भी आसान नहीं है ख़ुद का बॉस बनना

Update: 2023-05-03 13:22 GMT
किसी भी कामकाज़ी व्यक्ति से पूछ लीजिए, 10 में से नौ का सपना होगा अपना ख़ुद का स्टार्टअप शुरू करना. उनका कहना होता है,‘पैसे थोड़े कम कमाएंगे, पर ख़ुद अपने बॉस होंगे.’ या ‘जितनी मेहनत इस कंपनी के लिए कर रहे हैं, उतनी ख़ुद के लिए करेंगे तो कहां से कहां पहुंच जाएंगे.’ पर क्या अपना स्टार्टअप या बिज़नेस शुरू करना इतना आसान है? आइए जानें, उन प्रैक्टिकल बाधाओं और मुश्क़िलों के बारे में, जो आपको बॉस बनने से रोक रही हैं. बेशक हम आपको सिर्फ़ समस्या ही नहीं बताएंगे, उनसे निपटने के रास्तों पर अधिक फ़ोकस करेंगे.
पहली बाधा: मन डांवाडोल होता रहता है
एक बार आपने जॉब छोड़कर अपना स्टार्टअप शुरू करने का फ़ैसला कर लिया तो मन को डांवाडोल न होने दें. बार-बार योजना में बदलाव और नए विकल्पों को खंगालते रहने का मतलब है आप कुछ और साल तक मौजूदा नौकरी को ही झेलते रहनेवाले हैं. आप जिस फ़ील्ड में जाना चाहते हैं, पहले उससे जुड़ी सारी जानकारियां जुटाएं. उसका नफ़ा और नुक़सान काग़ज़ पर परख लें. आश्वस्त होने के बाद आगे बढ़ें और पीछे मुड़कर न देखें. अपने बिज़नेस को प्रमोट करने के लिए जितने भी उपलब्ध विकल्प हैं, सबका इस्तेमाल करें. माउथ पब्लिसिटी से लेकर सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स का इस्तेमाल करके अपने बारे में, अपने बिज़नेस के बारे में लोगों को बता दें. जब ऐसा करेंगे तो मन के डांवाडोल होने की रही-सही संभावना भी कम हो जाएगी. आपको प्रेरित और प्रोत्साहित करनेवाले बहुत से लोग मिल जाएंगे.
दूसरी बाधा: घर से काम शुरू करते ही हम न घर के रहते हैं, न ऑफ़िस के!
जब हम घर से काम करना शुरू करते हैं तब लोग हमें सीरियसली लेना बंद कर देते हैं, ख़ासकर शुरुआती कुछ महीनों या सफलता मिलने से पहले तक. पर कोई आपको सीरियसली लेता है या नहीं, यह बहुत कुछ आपके ख़ुद के ऐटिट्यूड पर निर्भर करता है. सबसे पहले तो आप घर के काम और बिज़नेस के लिए बिताए जानेवाले समय को अलग करें. काम शुरू करने को लेकर नियमित बनें, इससे तय समय में आपका काम पूरा हो जाएगा. वर्ना दिन में किसी मेहमान की आवभगत करने के बाद रात को नींदें क़ुर्बान करना लंबे समय तक चलने वाला सिस्टम नहीं है. इस बात को ध्यान में रखेंगे तो घर के भी रहेंगे और ऑफ़िस के भी.
तीसरी बाधा: मनचाही सफलता न मिलने पर कुछ समय बाद हम अधीर होने लगते हैं
भले ही आपने पेपर पर यह प्रोजेक्शन बनाया था कि कितने महीनों बाद आप कहां होंगे, पर ज़रूरी नहीं कि आपका बिज़नेस योजना के अनुरूप आगे बढ़े. चूंकि हममें से ज़्यादातर लोग सबसे बेस्ट कंडिशन वाला प्रोजेक्शन ही देखना चाहते हैं तो योजना भी उसी तरह से बनाते हैं. चलिए ख़ुद को प्रोत्साहित रखने के लिए यह ज़रूरी भी है. लेकिन उदाहरण के लिए समझिए आप कोई प्रॉडक्ट बेच रहे हैं, आपको विश्वास है कि आपका प्रॉडक्ट प्रतियोगियों के प्रॉडक्ट की तुलना में बेहतर है, पर उसकी बिक्री उतनी नहीं हो पा रही है. तो आप कुछ समय बाद बेचैन होने लगते हैं. बेचैनी में आकर अपने प्रॉडक्ट की क़ीमत कर देते हैं. ऐसी ग़लती भूलकर भी न करें. अगर आपका प्रॉडक्ट अच्छा है तो उसकी क़ीमत वाजिब रखिए. कम क़ीमत करेंगे तो भले ही बिक्री बढ़ जाए आपको ओवरऑल घाटा ही होगा. क़ीमत तय करते समय सारे ख़र्च निकालने के बाद अपना प्रॉफ़िट भी ऐड करें. आप एक बात याद रखें अपनी क्वॉलिटी और क़ाबिलियत पर से भरोसा डिगने न दें. बिज़नेस का मॉडल और रूल्स को जल्दी-जल्दी न बदलें.
चौथी बाधा: प्रतियोगियों के आइडियाज़ को कॉपी करना
अगर आप लंबे समय के लिए सफलता चाहते हैं तो आपको अपनी ख़ुद की यूनीक पहचान क्रिएट करनी होगी. हो सकता है कि फ़ील्ड में पहले से मौजूद लोगों का आइडिया आपको पसंद हो, पर अपने बिज़नेस को पूरी तरह किसी दूसरे के आइडिया को फ़ॉलो करके खड़ा करने में कोई भी समझदारी नहीं है. आपको सबसे पहले यह पता करना होगा कि आपकी क्या ख़ासियत है, जो आपको दूसरों से अलग खड़ा करती है. आप अपने स्ट्रॉन्ग पॉइंट्स के बेस पर अपना बिज़नेस शुरू करें. अपनी ख़ुद की यूएसपी (यूनीक सेलिंग पॉइंट) बनाएं. प्रतियोगियों के बिज़नेस मॉडल के बजाय आप ग्राहकों के सैटिस्फ़ैक्शन पर फ़ोकस करें. आप यह सोचें कि अपने प्रॉडक्ट या सर्विस को बेहतर बनाने के लिए दूसरों से अलग और इनोवेटिव ‌क्या किया जा सकता है? इस सवाल का जवाब आपके बिज़नेस को काफ़ी आगे तक ले जाएगा.
पांचवीं बाधा: फ़ायनांस को लेकर माइंड क्लीयर न होना
आपकी योजना ‍सही है, प्रॉडक्ट प्रतियोगियों से अलग है, आपने घर और बिज़नेस के बीच समय का फ़र्क़ करना सीख लिया है, आप लंबे समय तक सफलता का इंतज़ार करने के लिए तैयार हैं. इन सभी बातों को दुरुस्त होने के बाद भी एक बात है, जो आपके बिज़नेस का भट्ठा बिठा सकती है. वह है फ़ायनांस को लेकर बरती जानेवाली लापरवाही. फ़ायनांस के बारे में यह बेसिक बात याद रखें कि घर और बिज़नेस का बजट अलग होगा. दोनों अलग-अलग चीज़ें हैं तो उनका हिसाब भी अलग-अलग ही होना चाहिए.
यदि आपके पास पैसे कम पड़ रहे हों, पर आपको अपने आइडिया पर पूरा भरोसा हो तो अपने प्रॉडक्ट के लिए इन्वेस्टर्स से भी फ़ंड निवेश कराने का रास्ता अपना सकते हैं. इसके लिए आपको अगले दो वर्षों की योजना बनाकर इन्वेस्टर्स से मिलना होगा. सिर्फ़ प्रॉडक्ट बनाने ही नहीं, बल्कि उसके वितरण और प्रॉफ़िट के बारे में भी सही-सही अंदाज़ा देना होगा. आगे चलकर फ़ायनांशियल ज़रूरतें बढ़ भी सकती हैं, उसके लिए भी तैयार रहना होगा.
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