आपके लिए ये बातें जानना बहुत जरूरी है
पहले बच्चे के बाद दूसरे बच्चे की प्लानिंग काफी सोच समझकर करनी चाहिए वरना महिला की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. साथ ही दोनों बच्चों को भी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं.कहा जाता है कि अगर दो बच्चे हो जाएं तो परिवार पूरा हो जाता है.
जनता से रिश्ता। पहले बच्चे के बाद दूसरे बच्चे की प्लानिंग काफी सोच समझकर करनी चाहिए वरना महिला की सेहत पर बुरा असर पड़ता है. साथ ही दोनों बच्चों को भी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं.कहा जाता है कि अगर दो बच्चे हो जाएं तो परिवार पूरा हो जाता है. दो बच्चे होने से दोनों बच्चों को एक दूसरे का साथ मिल जाता है. ऐसे में बच्चा अकेलेपन का शिकार नहीं होता. लेकिन किसी भी कपल को पहले बच्चे के बाद दूसरे बच्चे की प्लानिंग बहुत सोच समझकर करनी चाहिए.
कई बार पहला बच्चा होने के कुछ माह बाद महिला दोबारा कंसीव कर लेती है. ऐसी स्थिति में मां और बच्चे दोनों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसलिए कपल को इस मामले में सजग होना बहुत जरूरी है. यहां जानिए कि दूसरी प्रेगनेंसी प्लान करने के लिए कौन सा समय सही माना गया है.
महिला की सेहत पर बुरा असर
विशेषज्ञों की मानें तो बच्चे के जन्म के बाद महिला का शरीर काफी कमजोर हो जाता है. उसके शरीर से जरूरी पोषक तत्व निकल जाते हैं और शरीर में एनर्जी काफी कम हो जाती है. इस स्थिति से उबरने के लिए महिला को पर्याप्त समय की जरूरत होती है. वरना इसका सीधा असर महिला की सेहत पर पड़ता है जो भविष्य में उसके लिए बड़ी परेशानियां खड़ी कर सकता है. अक्सर मामलों में ये भी देखा गया है कि पहली प्रेगनेंसी के बाद दूसरी बार कंसीव जल्दी होने के चांसेज ज्यादा होते हैं. इसलिए पहले बच्चे के बाद कपल्स को कहीं ज्यादा सजग रहने की जरूरत है.
जानिए दो बच्चों के बीच कितना गैप जरूरी
डॉक्टर्स की राय है कि पहले और दूसरे बच्चे के बीच कम से कम डेढ़ साल का गैप होना बहुत जरूरी है. वहीं पूरी तरह स्वस्थ प्रसव के लिए पहली और दूसरी प्रेगनेंसी के बीच तीन साल का अंतर होना चाहिए. तीन साल में महिला का शरीर पूरी तरह से रिकवर हो जाता है, ऐसे में कॉम्प्लीकेशंस का रिस्क काफी कम हो जाता है. यही वजह है कि भारत सरकार भी दो बच्चों के बीच तीन साल के गैप पर जोर देती है. डेढ़ साल से कम समय की प्रेगनेंसी में कई बार मिसकैरेज, प्री मैच्योर डिलीवरी और बच्चे का वजन अत्यधिक कम होने का रिस्क काफी बढ़ जाता है. इसके अलावा महिला को भी एनीमिया और गर्भाशय में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.
तीन साल के गैप के फायदे
ज्यादा गैप होने से दोनों बच्चों के बीच रिश्ता बेहतर होता है. उनके बीच अच्छा बॉन्ड बन जाता है. साथ ही बड़ा बच्चा समझदार हो जाता है और छोटे बच्चे के लालन पालन में सपोर्ट करता है. इसलिए दूसरे बच्चे के बारे में काफी सोच समझकर ही निर्णय लें.