नवजात बच्चे को बोतल से दूध देना चाहते है, तो इन बातों का जरूर रखे ध्यान
शिशु की देखभाल करना आसान काम नहीं है, खास कर नए माता-पिता के लिए
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शिशु की देखभाल करना आसान काम नहीं है, खास कर नए माता-पिता के लिए. बच्चों के स्वास्थ्य, भोजन, सोने से संबंधित सवालों का सामना करते पाया जाना आम है. बात जब मासूम के स्वास्थ्य की हो, तो माता-पिता कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं या कोई लापवराही नहीं दिखाते हैं. अपने बच्चों को बोतल से दूध पिलाने के बारे में ज्यादातर नए माता-पिता की सबसे आम चिंताओं में से एक है. आपको इस बारे में कुछ बुनियादी सवालों के जवाब जानना चाहिए.
बच्चे को बोतल से दूध शुरू करने का सही समय कब है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश के मुताबिक नवजात को विशेष रूप से मां का दूध पहले छह महीनों के लिए जरूर पिलाया जाना चाहिए. इससे उनके इम्यून सिस्टम बनने में मदद मिलती है और कई बीमारियों से बचाने का काम करता है. बोतल शुरू करने से पहले, सुनिश्चित करें कि आपका मासूम स्वस्थ और फिट है. शिशुओं को आम तौर से बोतल की आदत पड़ने में दो से तीन सप्ताह लगते हैं. लेकिन खास मामलों में अगर मां के दूध की कमी के चलते छह महीनों तक मिलना संभव न हो, तो आप जन्म के दो या तीन सप्ताह बाद बच्चे को बोतल से परिचय करा सकते हैं.
क्या कांच की बोतल प्लास्टिक की बोतल से बेहतर है?
बाजार में तीन प्रकार के बोतल कांच, प्लास्टिक और स्टील के मिलते हैं. सभी प्रकार की बोतलों के फायदे और नुकसान हैं. प्लास्टिक की बोतल हल्के होते हैं और टूटते नहीं हैं, लेकिन ज्यादातर माता-पिता माइक्रोप्लास्टिक के डर से प्लास्टिक की बोतल को नजरअंदाज करते हैं. दूसरी तरफ, कांच की बोतल किसी रसायन को बहाकर दूध में नहीं ले जाते हैं. उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है लेकिन फूटने का डर बना रहता है. तीसरा विकल्प स्टील की बोतल हैं, जो गैर दूषित, वजन में हल्का और सुविधाजनक होते हैं. अब ये आपके ऊपर है किस प्रकार की बोतल इस्तेमाल करना पसंद करेंगे.