अगर करना है ब्लड प्रेशर कंट्रोल, तो धूम्रपान से करें तौबा, बस कुछ वक़्त में ही घटने लगेगा रक्तचाप
अगर आप धूम्रपान से तौबा करने का मन बना रहे हैं तो यह सोचकर कदम पीछे मत खींचिए
मुख्य शोधकर्ता रेशल बी हायेस के मुताबिक व्यक्ति कितनी लंबी अवधि से सिगरेट की लत का शिकार है, यह मायने नहीं रखता। जैसे ही वह धूम्रपान से तौबा कर लेता है, हृदय से लेकर फेफड़ों तक पर उसका सकारात्मक असर दिखना शुरू हो जाता है।
हायेस ने दावा किया कि आखिरी सिगरेट के सेवन के 20 मिनट बाद ही रक्तचाप और हृदयगति सामान्य होने लगती है। दोनों ही चीजों का बढ़ना हार्ट अटैक और स्ट्रोक से असामयिक मौत का सबब बन सकता है। उन्होंने बताया कि सिगरेट छोड़ने पर स्ट्रेस हार्मोन 'कॉर्टिसोल' के स्तर में भी कमी आने लगती है। इससे व्यक्ति को न सिर्फ डिप्रेशन, बल्कि अनिद्रा की समस्या पर भी काबू पाने में मदद मिलती है।
कब क्या असर
दो घंटे बाद
-सिगरेट का धुआं नसों में सिकुड़न का सबब बनता है, इससे हाथ-पैर में पर्याप्त मात्रा में खून का प्रवाह नहीं होता और वे ठंडे या सुन्न पड़े रहते हैं।
-हायेस के अनुसार धूम्रपान छोड़ने के दो घंटे बाद शरीर के विभिन्न अंगों में खून का बहाव सुचारु हो जाता है और वे सामान्य रूप से काम करने लगते हैं।
12 घंटे बाद
-धूम्रपान से दूरी बनाने के 12 घंटे के बाद खून में कॉर्बन मोनोऑक्साइड के स्तर में कमी आने लगती है, यह गैस हृदय सहित अन्य अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित करती है।
-व्यक्ति को सिरदर्द, मिचली, एकाग्रता में कमी, झुंझलाहट और आंखों के सामने धुंधलापन छाने की शिकायत भी सता सकती है, अंगों के खराब होने का जोखिम भी बना रहता है।
24 घंटे बाद
-रक्त प्रवाह, हृदयगति, ब्लड प्रेशर का स्तर सुधरने से हृदय सामान्य रूप से काम करने लगता है और हार्ट अटैक से मौत के खतरे में आने लगती है।
-हालांकि, इस दौरान खांसी की समस्या बढ़ सकती है क्योंकि शरीर फेफड़ों में जमे कफ को बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज कर देता है।
48 घंटे बाद
-नाक और मुंह की निष्क्रिय नसों के एक बार फिर सक्रिय हो जाने से व्यक्ति की स्वाद और गंध महसूस करने की क्षमता लौट आती है।
-हालांकि, यह समय संयम बनाए रखने के लिहाज से बेहद अहम है क्योंकि खून में निकोटीन का स्तर गिरने से सिगरेट की तलब बढ़ जाती है।
72 घंटे बाद
-फेफड़ों में सूजन घटने से श्वासगति में सुधार आता है, श्वासनली भी खुलना शुरू हो जाती है।
-कफ और कीटाणुओं को श्वासनली में जमने से रोकने वाले 'सीलिया' भी दोबारा पनपने लगते हैं।
एक हफ्ते बाद
-निकोटीन की तलब शांत होने लगती है, कफ का उत्पादन घटने और 'सीलिया' के सक्रिय होने से खांसी की समस्या से भी निजात मिलती है।
एक महीने बाद
-फेफड़ों की कार्य क्षमता में 30 फीसदी तक का सुधार आता है, चलने-फिरने, सीढ़ियां चढ़ने या कसरत करने के दौरान सांस जल्दी नहीं फूलती।
एक साल बाद
-धूम्रपान करने वाले लोगों के मुकाबले हार्ट अटैक से जान जाने का जोखिम 50 फीसदी तक घट जाता है, सर्दी-जुकाम, खांसी के प्रति संवेदनशीलता भी घटती है।
दस साल बाद
-फेफड़ा रोगों का शिकार होने की आशंका आधी रह जाती है, नसें खुलने के साथ ही खून के खक्के जमने के खतरे में उल्लेखनीय कमी आती है।
15 साल बाद
-हायेस ने बताया कि सिगरेट छोड़ने के 15 साल बाद व्यक्ति के हार्ट अटैक या दिल की बीमारियों से दम तोड़ने का खतरा धूम्रपान करने वालों के बराबर हो जाता है।
खतरनाक
-तंबाकू दुनियाभर में हर साल 81.2 लाख लोगों की जान लेता है।
-70 लाख मौतें इनमें से तंबाकू का सीधे इस्तेमाल करने से होती हैं।
-12 लाख मासूम सिगरेट के धुएं के संपर्क में आकर दम तोड़ देते हैं।
-80% तंबाकू की लत के शिकार लोग गरीब-विकासशील देशों में रहते हैं।