अगर आप भी आवाजों से दूर एकांत तलाशते हैं ,जाने ये मीजोफोनिया डिसऑर्डर के लक्षण तो नहीं

कभी-कभी ऐसे हालात होना आम बात है लेकिन जब आवाजों की वजह से कोई दुनिया से कटना शुरू कर दे या उसके स्वभाव में बदलाव आने लगे, तो स्थिति गंभीर हो जाती है। यह मीजोफोनिया डिसऑर्डर का इशारा भी हो सकता है।

Update: 2021-02-24 11:59 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अगर आप भी आवाजों से दूर एकांत तलाशते हैं ,जाने ये मीजोफोनिया डिसऑर्डर लक्षण तो नहींकुछ लोग रात को इस वजह से भी पसंद करते हैं, क्योंकि दिन के मुकाबले रात बहुत ही शांत होती है। दिन में हमें भाग-दौड़, काम और कई तरह के शोर-शराबों से होकर गुजरना पड़ता है लेकिन रात में ये आवाजें फिर भी कम आती हैं। आपने कई लोगों को देखा होगा, जो तेज आवाजों को सुनते ही घबरा जाते हैं या फिर गुस्सा हो जाते हैं। कभी-कभी ऐसे हालात होना आम बात है लेकिन जब आवाजों की वजह से कोई दुनिया से कटना शुरू कर दे या उसके स्वभाव में बदलाव आने लगे, तो स्थिति गंभीर हो जाती है। यह मीजोफोनिया डिसऑर्डर का इशारा भी हो सकता है। आइए, जानते हैं क्या है यह डिसऑर्डर-

क्या है मीजोफोनिया

मीजोफोनिया एक साउंड डिसऑर्डर बीमारी है। इसमें मरीज को किसी खास तरह की आवाज से परेशानी होती है। आम जीवन में सभी को इन आवाजों से दो-चार होना पड़ता है, लेकिन जिन लोगों में मीजोफोनिया की समस्या होती है, उन्हें यह चुभने लगती है। किसी को खाने के समय निकलने वाली आवाज से समस्या होती है तो किसी को पीने के अंदाज से तकलीफ होती है। कुछ खास आवाजों के प्रति ऐसे मरीज काफी संवेदनशील हो जाते हैं, परिणामस्वरूप काफी आक्रामक व्यवहार करने पर उतर आते हैं। ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉं। एस। के। सिंह के अनुसार, सामान्य इंसान के लिए ये आवाजें सामान्य बात होती हैं, लेकिन यही आवाजें इस बीमारी के मरीजों को तकलीफ पहुंचाती हैं। कई बार आवाज उन्हें इतना आक्रामक बना देती है कि वह अपना आपा खो बैठते हैं और हिंसक होकर सामने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचा देते हैं

किस उम्र में होता है
मीजोफोनिया किसी भी उम्र में हो सकता है। छह साल के बच्चे से लेकर 60 साल के बुजुर्ग तक, किसी को भी इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
क्या होती है प्रतिक्रिया
ट्रिगर अर्थात् जिस आवाज से समस्या होती है, उसके संपर्क में आते ही व्यक्ति काफी अलग तरह का व्यवहार करने लगता है। उसकी सांसें तेज हो जाती हैं, चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है। वह अपने हाथ-पैर सिकोड़ने लगता है और कई बार शरीर में कंपन शुरू हो जाता है। अपने कानों को उंगलियों या हाथों से बंद कर देता है और इन आवाजों से दूर भागने की कोशिश करने लगता है। ऐसी स्थिति होने पर या तो व्यक्ति उस आवाज से काफी दूर अकेले में चला जाता है और घंटों एकांत में बैठा रहता है या फिर उन आवाजों से परेशान व आक्रामक होकर आवाज करने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने लगता है। आवाज खत्म होने के कुछ समय बाद व्यक्ति सामान्य हो जाता है और अगर उसने कुछ हिंसक कार्य किया है तो उसके लिए उसे पछतावा भी होता है। कई बार समस्या बढ़ने पर व्यक्ति कुंठित होकर मनोवैज्ञानिक समस्याओं का भी शिकार हो जाता है।
बरतें ये सावधानियां
अगर आपके परिवार में ऐसा कोई व्यक्ति है, जिसे किसी खास तरह की आवाज से चिढ़ हो तो आप उसे उस आवाज के संपर्क में आने से रोकें।कोशिश करें कि उसके नजदीक उस तरह की आवाज न हो लेकिन अगर आवाज रोकना या मरीज को आवाज के संपर्क में आने से रोकना मुश्किल हो तो उस समय मरीज के दिमाग को दूसरी जगह व्यस्त कर दें, ताकि उसके कानों तक वह आवाज नहीं पहुंचे।अगर मरीज कुंठित हो जाए या मनोवैज्ञानिक समस्या का शिकार हो जाए तो परिवार वाले उसकी परेशानी को समझते हुए उसकी मदद करें और किसी ईएनटी विशेषज्ञ से मिलने के साथ-साथ मनोचिकित्सक से मिलें।


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