Health: डायबिटीज के मरीजों को रोजाना पीना चाहिए इतने कप ब्लैक कॉफी

Update: 2025-02-02 00:56 GMT
Health: अगर आप रोज़ सुबह एक कप ब्लैक कॉफी पीते हैं, तो यह आपको पूरे दिन एक्टिव बनाए रख सकता है। यही कारण है कि आजकल ब्लैक कॉफी पीने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह खासतौर पर डायबिटीज मरीजों के लिए फायदेमंद होती है। आइए जानते हैं कि ब्लैक कॉफी डायबिटीज के मरीजों के लिए क्यों फायदेमंद है|
डायबिटीज: एक जीवन भर साथ रहने वाली बीमारी
डायबिटीज एक क्रॉनिक बीमारी है, जो एक बार किसी व्यक्ति को हो जाए तो उसे जीवनभर साथ रहती है। इस बीमारी के साथ जीने के लिए मरीजों को अपने खानपान और जीवनशैली में बदलाव करने की आवश्यकता होती है। यदि डायबिटीज के मरीज इस बदलाव को अपनाने में असफल रहते हैं, तो यह बीमारी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। ब्लड शुगर का असंतुलन मरीज की सेहत पर गंभीर असर डाल सकता है, और यदि सही इलाज न हो, तो यह रोग जीवन के लिए भी खतरा बन सकता है।
किसी भी उम्र में हो सकती है डायबिटीज
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। एक बार यह बीमारी हो जाए तो मरीज को जीवनभर दवाओं और खास देखभाल के सहारे जीना पड़ता है। इसके अलावा, डायबिटीज के मरीजों को अपने आहार और जीवनशैली पर विशेष ध्यान देना होता है। चाय और कॉफी का सेवन कम करने की सलाह दी जाती है, लेकिन हाल ही में किए गए एक अध्ययन से यह सामने आया है कि डायबिटीज के मरीजों के लिए दूध वाली कॉफी की तुलना में ब्लैक कॉफी ज्यादा फायदेमंद होती है। इसका कारण यह है कि ब्लैक कॉफी में कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत कम होती है, और यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मददगार साबित होती है। ब्लैक कॉफी का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल धीरे-धीरे कम होता है, जिससे डायबिटीज के मरीजों को राहत मिलती है।
दिन में 3 बार से ज्यादा ब्लैक कॉफी का सेवन करें
कई शोधों में यह पाया गया है कि ब्लैक कॉफी के नियमित सेवन से टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, दिन में तीन बार या उससे अधिक ब्लैक कॉफी पीने से डायबिटीज पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इस शोध में 3,497 प्री-डायबिटिक मरीजों को शामिल किया गया। हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए ब्लैक कॉफी को बिना क्रीम या चीनी मिलाए पीना आवश्यक है। फिर भी, इसे अपने डॉक्टर की सलाह के बिना शुरू न करें। शोधकर्ताओं ने इस विषय पर और अधिक अध्ययन की आवश्यकता बताई है।
ब्लैक कॉफी के अन्य लाभ
वजन घटाने के लिए:
ब्लैक कॉफी का सेवन यदि सही तरीके से किया जाए तो यह वजन घटाने के लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है, खासकर दूध वाली चाय के मुकाबले। ब्लैक कॉफी में कैफीन होता है, जो न केवल चयापचय (मेटाबॉलिज़्म) को तेज करता है, बल्कि पूरे दिन अधिक कैलोरी जलाने में मदद भी करता है। इसका मतलब यह है कि यदि आप इसे सही समय पर और सही मात्रा में पीते हैं, तो यह आपके शरीर के फैट को जलाने में सहायक हो सकती है। साथ ही, इसमें कोई चीनी, दूध या कैलोरी नहीं होती, जिससे यह वजन घटाने के इच्छुक लोगों के लिए एक आदर्श पेय बन जाता है।
रोज़ सुबह एक कप ब्लैक कॉफी का सेवन आपके लिवर के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। कुछ शोधों से यह सामने आया है कि ब्लैक कॉफी लिवर की बीमारियों जैसे सिरोसिस, लिवर कैंसर और फैटी लिवर से बचाने में मदद करती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण लिवर की कोशिकाओं को सुरक्षित रखते हैं और उसकी कार्यक्षमता में सुधार लाते हैं। ऐसे में ब्लैक कॉफी का सेवन लिवर को स्वस्थ रखने का एक प्राकृतिक तरीका हो सकता है।
मानसिक शांति:
ब्लैक कॉफी मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। इसके अंदर मौजूद कैफीन मस्तिष्क को प्राकृतिक आराम प्रदान करता है। कैफीन शरीर में एडेनोसिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर को अवरुद्ध करता है, जो थकावट और आलस्य का कारण बनता है। इसके स्थान पर, ब्लैक कॉफी डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन जैसे "फील-गुड" न्यूरोट्रांसमीटर को बढ़ाती है, जिससे मूड बेहतर होता है, मानसिक स्पष्टता और फोकस में सुधार होता है, और मस्तिष्क अधिक एक्टिव होता है। इसके परिणामस्वरूप, यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकती है, जिससे मानसिक शांति बनी रहती है।
हार्ट हेल्थ:
ब्लैक कॉफी में कई प्रकार के एंटीऑक्सिडेंट्स जैसे क्लोरोजेनिक एसिड और मोलेनोइडिन होते हैं, जो शरीर में हानिकारक मुक्त कणों को बेअसर करने का काम करते हैं। इसके कारण, ब्लैक कॉफी दिल और रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हो सकती है। यह हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद करती है और रक्तदाब को नियंत्रित करने में भी सहायक होती है। इसके अलावा, यह नसों से जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद करती है और पार्किंसंस और अल्जाइमर जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से बचाव करने में सहायक होती है।
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