Health Care: मेनोपॉज से निपटने के लिए आजमाएं ये आसान ट्रिक

Update: 2024-07-30 16:27 GMT
Health Care हेल्थ टिप्स: हार्मोंस के उतार-चढ़ाव से महिलाओं का जीवन सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। महिलाएं पीरियड्स शुरू होने से लेकर प्रेग्नेंसी, पोस्ट पार्टम डिप्रेशन जैसे कई पड़ावों को पार करती हैं। वहीं 40 की उम्र के बाद वह मेनोपॉज के स्टेज पर पहुंचती है। लेकिन मेनोपॉज अकेले नहीं बल्कि अपने साथ कई समस्याओं को लेकर आता है। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को HRT से लेकर काउंसिलिंग तक की जरूरत पड़ सकती है।
ऐसे में मेनोपॉज शुरू होने से पहले और उस दौरान तक महिलाएं किन शारीरिक और मानसिक समस्याओं से गुजरती हैं और इन समस्याओं से कैसे निपटा जा सकता है, इन बातों के बारे में भी जानकारी होनी जरूरी है। ऐसे में आज इस Article के जरिए हम बताने जा रहे हैं कि आप मेनोपॉज के दौर को आसान कैसे बना सकती हैं।
मेनोपॉज से न डरें
पीरियड्स शुरू होने से लेकर मेनोपॉज तक महिलाओं के जीवन में हार्मोंस उनकी सेहत और व्यवहार पर गहरा असर डालते हैं। मेनोपॉज महिलाएं की जिंदगी की वह स्टेज होती है, जहां पर उनको हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी से लेकर काउंसलिंग तक की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन यह सभी महिलाओं के साथ हो, ऐसा जरूरी नहीं है।
मेनोपॉज के दौरान शरीर और व्यवहार में होने वाले बदलावों के लिए यदि महिला मानसिक रूप से तैयार रहती है और साथ ही उन्हें परिवार का पूरा सपोर्ट और प्यार मिलता है। तो उन्हें डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
लक्षण
हर महिला 40-50 की उम्र में मेनोपॉज से गुजरती हैं। इस दौरान उनके शरीर और व्यवहार में कुछ बदलाव भी होते हैं। जैसे- वजाइनल इंफेक्शन, हॉट फ्लैशेस, वजाइनल ड्राइनेस, मूड स्विंग, याददाश्त कमजोर होना, नींद की कमी, तनाव, बाल झड़ना, चेहरे पर अनचाहे बाल उग आना, आंखों में ड्राइनेस या खुजली और उदासी आदि
यह जरूरी नहीं है कि हर महिला में यह लक्षण नजर आएं। हमारे देश में अधिकतर महिलाओं को यह तक नहीं पता होता है कि उनके शरीर और व्यवहार में बदलाव क्यों हो रहा है। महिलाओं को सिर्फ इतना पता होता है कि एक उम्र के बाद उनके पीरियड्स आने बंद हो जाएंगे।
कब लें HRT
बता दें कि हर महिला को HRT की जरूरत नहीं होती है। जिन महिलाओं में ओवरी काम न करना, वजाइनल प्रॉब्लम, ऑस्टियोपोरोसिस, हार्ट प्रॉब्लम, नींद की कमी और हॉट फ्लैशेस आदि समस्याएं बढ़ जाती हैं, उनको हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जाती है।
हालांकि लंबे समय तक HRT नहीं दिया जा सकता है, इसलिए इसपर निर्भर रहना सही नहीं होता है। यह सिर्फ एक या दो साल तक ही दिया जाता है।
रिश्ते पर असर
कुछ लोगों का यह सोचना होता है कि अगर HRT नहीं ली जाए, तो Menopause के बाद इसका असर फिजिकल रिलेशन पर देखने को मिल सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक महिलाओं के लिए फिजिकल सुख से कहीं ज्यादा इमोनशन जुड़ाव मायने रखता है। यदि महिला अपने पार्टनर के साथ मन से जुड़ी है, तो उसको फिजिकल रिलेशन में कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन सिर्फ शारीरिक सुख के लिए हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी लेना सही नहीं है।
लाइफस्टाइल में करें बदलाव
जैसे पीरियड्स के दौरान महिलाओं व लड़कियों के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, ठीक वही प्रक्रिया मेनोपॉज में भी होती है। अगर कोई महिला इस प्रक्रिया के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लेती है, तो यह फेज काफी आसान हो जाता है।
इसके अलावा आप अपनी लाइफस्टाइल में भी थोड़ा-बहुत बदलाव कर मेनोपॉज के फेज को आसान बना सकती हैं। अपने खाने में फल और सब्ज़ियाँ शामिल करें, पर्याप्त मात्रा में पानी पिएँ, शराब और सिगरेट से दूर रहें, जितना हो सके नमक और चीनी का कम से कम सेवन करें, हल्के सूती कपड़े पहनें, अपना वज़न न बढ़ने दें और गहरी और अच्छी नींद ज़रूर लें। मेनोपॉज़ के बाद आप यह सोचकर खुश हो सकती हैं कि अब मासिक धर्म बंद होने वाला है। इसलिए ज़रूरी है कि आप इस प्रक्रिया से डरें नहीं, बल्कि इसे अपने लिए आसान बनाएँ और पीरियड-फ्री ज़िंदगी का मज़ा लें।
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