किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में केमिकल असंतुलन के कारण डिप्रेशन की समस्या होती है तो, आमतौर पर उसे एंटीडिप्रेसेंट लेने के लिए कहा जाता है। एंटीडिप्रेसेंट को मूड-बदलने वाली दवाओं जैसे स्टिम्युलेट्स या ट्रैंक्विलाइज़र जैसा नहीं समझा जाता है।
ये दवाएं सिर्फ दिमाग में मौजूद केमिकल्स को बदलने में मदद करती हैं। इस प्रकार की दवाओं के उपयोग से डिप्रेशन के लक्षणों में सुधार होता है। एंटीडिप्रेसेंट के उपयोग से इसकी आदत नहीं पड़ती है।
लेकिन एंटीडिप्रेसेंट्स का एक दोष यह है कि वे डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने की शुरुआत कई हफ्तों के सेवन के बाद करते हैं।
यदि आप एंटीडिप्रेसेंट लेना शुरू करते हैं और कई हफ्तों के बाद आपके लक्षणों में कोई सुधार नहीं दिखता है, तो आपका मनोचिकित्सक आपकी खुराक में बदलाव कर सकता है। या कोई दूसरी दवा इस्तेमाल करने की सलाह दे सकता है।
आमतौर पर, डॉक्टर आपको कम से कम 6 महीने तक इन दवाओं के सेवन की सलाह देता है। लेकिन डिप्रेशन की समस्या दोबारा न हो, इसके लिए लंबे समय तक दवाओं के सेवन की सलाह दी जा सकती है। कभी भी एंटीडिप्रेसेंट का सेवन अचानक बंद नहीं करना चाहिए। जब जरूरी होगा तो डॉक्टर ही इसे बंद करने की सलाह आपको देगा।
क्लिनिकल डिप्रेशन के लिए साइकोथेरेपी (Psychotherapy For Clinical Depression)
साइकोथेरेपी को आम तौर पर 'टॉक थेरेपी' भी कहा जाता है। ये थेरेपी आमतौर पर माइल्ड टाइप के डिप्रेशन के मरीजों के लिए उपयोग की जाती है। लेकिन अगर आपको मध्यम से लेकर गंभीर किस्म का डिप्रेशन है तो, आपको दवाओं के साथ टॉक थेरेपी लेने के लिए कहा जा सकता है।
डिप्रेशन के लिए सबसे कारगर थेरेपी में से एक संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी या कॉग्निटिव बिहेवेरियल थेरेपी (Cognitive Behavioral Therapy) या सीबीटी (CBT) को माना जाता है। ये एक प्रकार का साइकोलॉजिकल इलाज है।
सीबीटी कई अन्य समस्याओं को दूर करने में भी बहुत प्रभावी तरीके से काम करता है। जैसे,
डिप्रेशन
एंग्जाइटी
अल्कोहल और ड्रग्स से जुड़ी समस्याएं
ईटिंग डिसऑर्डर
अन्य प्रकार की मानसिक समस्याएं
आदि।
कई बार डिप्रेशन दवाओं से ठीक नहीं होता है। अगर आपके लक्षणों में सुधार नहीं दिखता है तो आपका डॉक्टर आपको दूसरे ट्रीटमेंट को अपनाने की सलाह दे सकता है। इनमें शामिल हैं
इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी (Electroconvulsive Therapy)
ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिम्युलेशन (Transcranial Magnetic Stimulation)
आदि।
ये दोनों थेरेपी क्लिनिकल डिप्रेशन के इलाज में बेहद कारगर हैं और आपके मूड को ठीक करने में मदद कर सकती हैं।
निष्कर्ष (The Takeaway)
ध्यान रखें कि, क्लिनिकल डिप्रेशन एक गंभीर बीमारी है और इसका उपचार उपलब्ध है। एक सटीक निदान और उचित उपचार के साथ, अधिकांश लोग क्लिनिकल डिप्रेशन के साथ जीना सीख सकते हैं, और कई लोगों को इसके लक्षणों से राहत मिल जाती है।
यदि आपको भी क्लिनिकल डिप्रेशन के लक्षण हैं, तो अपने प्राथमिक चिकित्सक से बात करें। आगे की जांच के लिए मेंटल हेल्थ स्पेशिलिस्ट या साइकैट्रिस्ट से बात करें। पूछने से डरिए मत। यह आपके मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सक्रिय होने की ओर उठाया गया पहला कदम है।योग मुद्रा के प्रकार (Variation Of Yoga Mudra)
योग में, मुद्राओं के मूलत: दो प्रकार माने गए हैं। मुद्रा के निर्माण में अंगूठे से विभिन्न अंगुली के पोर को स्पर्श कराया जाता है। विभिन्न अंगुलियों के स्पर्श से बनने वाली योग मुद्रा का शरीर पर अलग तरह से प्रभाव पड़ता है। जबकि कुछ योग मुद्राएं कलाई को मोड़कर भी बनाई जाती हैं।
कुछ योग मुद्राएं शरीर में खास पंच तत्वों का भी प्रतीक होती हैं। प्राचीन मान्यता में पंचभूत से शरीर के निर्माण की बात कही जाती है। योग मुद्राएं, उन विशेष तत्वों को सक्रिय करके न सिर्फ शरीर बल्कि मन को भी स्वस्थ बनाती हैं।
पंचतत्वों में मनुष्य के शरीर में पहला तत्व वायु तत्व माना जाता है। ये मनुष्य शरीर में मनुष्य की मेधा, क्रिएटिव सोच और मानसिक सेहत का प्रतीक होती है। इस तत्व का संबंध मनुष्य के चौथे चक्र यानी कि अनाहत (Anahata) से होता है।
जबकि, दूसरे तत्व को आकाश या अंतरिक्ष माना जाता है। इस तत्व को ज्यादातर इसकी विशालता के कारण निष्क्रिय ही माना जाता है। ये तत्व योगी के शरीर की संपूर्ण चेतना का प्रतीक होता है। ये योगी का संबंध अंतरिक्ष के साथ स्थापित करने में मदद करता है। इस तत्व का संबंध पांचवें चक्र विशुद्ध (Visuddha) से माना जाता है।
तीसरे तत्व को पृथ्वी तत्व माना जाता है। ये तत्व शरीर की बाहरी या भौतिक संरचना को नियंत्रित करता है। इस तत्व का प्रभाव शरीर के ऊतकों और हड्डियों पर पड़ता है। यही तत्व शरीर में गंध को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। पृथ्वी तत्व का संबंध प्रथम चक्र मूलाधार (Muladhara) और तीसरे चक्र मणिपूर (Manipura) से माना जाता है।
1. ज्ञान मुद्रा (Gyan Mudra)
उद्देश्य : ज्ञान प्राप्ति के लिए, इसका मुद्रा का अभ्यास उन योगियों को भी करना चाहिए जो, इस भौतिक जगत से खुद को अलग करना चाहते हैं।
अन्य नाम : वायु वर्धक मुद्रा
हस्त मुद्रा : हाथ की तर्जनी अंगुली को अंगूठे से स्पर्श करवाएं।
ज्ञान मुद्रा के फायदे (Benefits Of Gyan Mudra) :
शरीर में वायु तत्व को बढ़ाता है।
जोश, साहस और रचनात्मक सोच को बढ़ाता है।
अवचेतन मन की विचार क्षमता और याददाश्त को बढ़ाता है।
ये थकान, आलस्य और मानसिक उलझनों से निपटने में बेहद कारगर है।
कब करें? : किसी भी समय।
2. वायु मुद्रा (Vaayu Mudra)
उद्देश्य : शांति पाने के लिए
अन्य नाम : वायु शामक मुद्रा
हस्त मुद्रा : तर्जनी का पहला पोर अंगूठे के आखिरी पोर में लगाएं। अंगूठा, तर्जनी अंगुली के ऊपर रहेगा।
वायु मुद्रा के फायदे (Benefits Of Vayu Mudra) :
शरीर में वायु तत्व को कम करता है।
शरीर में बेचैनी और चिंता को कम करता है।
हार्मोन और नर्व्स सिस्टम की अतिसक्रियता को कम करता है।
गुस्सैल, हाइपरएक्टिव और कम एकाग्रता वालों के लिए अच्छा है।
कब करें? :
किसी भी समय
3. आकाश मुद्रा (Aakash Mudra)
उद्देश्य : हल्केपन के लिए
अन्य नाम : आकाश वर्धक मुद्रा
हस्त मुद्रा : मध्यमा अंगुली के पोर को अंगूठे से स्पर्श करवाएं। प्रतिदिन 30 मिनट से अधिक समय तक अभ्यास न करें।
आकाश मुद्रा के फायदे (Benefits Of Aakash Mudra) :
शरीर में आकाश तत्व को बढ़ाता है।
दिमाग में आने वाले बुरे विचारों से राहत देता है।
भय, दुख और क्रोध की भावनाओं को नियंत्रित करता है।
शरीर में मौजूद अशुद्धियों को डिटॉक्स करता है।
कब्ज और पाचन संबंधी समस्या वाले लोगों के लिए विशेष लाभदायक।
कान और सीने से जुड़ी समस्याओं में भी लाभदायक।
कब करें? : किसी भी समय, सबसे अच्छे नतीजे के लिए 2-6 Am / Pm अभ्यास करें।
4. शून्य मुद्रा (Shunya Mudra)
उद्देश्य : दर्द से राहत पाने के लिए
हस्त मुद्रा : मध्यमा अंगुली के पहले पोर को अंगूठे के बेस पर रखें और अंगूठा अंगुली के ऊपर रहेगा। किसी भी किस्म की असुविधा या दर्द अनुभव होने पर शून्य मुद्रा का अभ्यास न करें।
शून्य मुद्रा के फायदे (Benefits Of Shunya Mudra) :
शरीर में अंतरिक्ष तत्व को कम करता है।
कान में दर्द, सुनने में समस्या, यात्रा की थकान को कम करता है।
शरीर के कई अंगों जैसे, सिर और सीने में हल्के दर्द को कम करता है।
वात प्रकृति वाले लोगों के लिए बेहद फायदेमंद।
कब करें? :
किसी भी समय।
5. पृथ्वी मुद्रा (Prithvi Mudra)
उद्देश्य : शक्ति या ताकत बढ़ाने के लिए
अन्य नाम : पृथ्वी वर्धक मुद्रा या अग्नि शामक मुद्रा।
हस्त मुद्रा : अनामिका या रिंग फिंगर को अंगूठे से स्पर्श करवाएं।
पृथ्वी मुद्रा के फायदे (Benefits Of Prithvi Mudra) :
शरीर में पृथ्वी तत्व को बढ़ाती है जबकि अग्नि तत्व को कम करती है।
नए टिश्यू की ग्रोथ को बढ़ाता है।
मसल्स बनाने और हीलिंग की प्रक्रिया को तेज करती है।
थकान से राहत देता है।
कमजोर हड्डियों, बाल और नाखूनों को मजबूती देती है।
शरीर में मजबूती, चैतन्यता और शक्ति का संचार करती है।
मेटाबॉलिक या पाचन प्रक्रिया और शरीर के तापमान को नियमित करती है।
ड्राई स्किन की समस्या को दूर करती है।
दुबले शरीर वाले लोगों में बुखार, जलन या अल्सर की समस्या को दूर करती है।
कब करें? : किसी भी समय।
6. सूर्य मुद्रा (Surya Mudra)
उद्देश्य : वेट लॉस के लिए
अन्य नाम : पृथ्वी शामक मुद्रा, अग्नि वर्धक मुद्रा
हस्त मुद्रा : अनामिका अंगुली को अंगूठे के आखिरी पोर पर रखें और अंगुली के ऊपर अंगूठा रखें। 30 मिनट से अधिक समय तक अभ्यास न करें।
सूर्य मुद्रा के फायदे (Benefits Of Surya Mudra) :
शरीर में अग्नि तत्व को बढ़ाती है जबकि पृथ्वी तत्व को कम करती है।
शरीर के तापमान को बढ़ाती है।
ठंड से कंपकंपी होने पर राहत देती है।
लो थायरॉयड की समस्या वाले लोगों के लिए बेस्ट है।
वेट लॉस, अपच, कब्ज या भूख न लगने की समस्या को दूर करती है।
पसीना न निकलने की समस्या और कमजोर नजर वाले लोगों के लिए फायदेमंद।
कब करें? : किसी भी समय।
7. वरुण मुद्रा (Varun Mudra)
उद्देश्य : नमी के लिए
अन्य नाम : जल वर्धक मुद्रा
हस्त मुद्रा : कनिष्ठिका को अंगूठे के पहले पोर से स्पर्श करवाएं। शरीर से ज्यादा पसीना निकलने की समस्या वाले लोग इस मुद्रा का अभ्यास न करें।
वरुण मुद्रा के फायदे (Benefits Of Varun Mudra) :
शरीर में जल तत्व को बढ़ावा देने में मदद करती है।
जोड़ों में दर्द, आर्थराइटिस, शरीर से दुर्गंध निकलना और स्वाद न आने की समस्या में मदद करती है।
हार्मोन की कमी होने या डिहाइड्रेशन की समस्या होने पर राहत देती है।
ड्राई स्किन, बाल, आंखें, एग्जिमा, पाचन तंत्र की सभी समस्याओं को दूर करती है।
कब करें? : किसी भी समय।
8. जल शामक मुद्रा (Jal Shaamak Mudra)
उद्देश्य : स्थिरता के लिए
अन्य नाम : जल शामक मुद्रा
हस्त मुद्रा : अनामिका अंगुली के पहले पोर को अंगूठे के बेस पर रखें। अंगूठा पूरी तरह से अंगुली के ऊपर ही रहेगा।
जल शामक मुद्रा के फायदे (Benefits Of Jal Shaamak Mudra) :
शरीर में जल तत्व की मात्रा को कम करती है।
ज्यादा पसीना निकलने, नाक बहने, आंखों से पानी आने में कारगर है।
हथेलियों से पसीना आने की समस्या में राहत देती है।
हाइपर एसिडिटी के मरीजों के लिए बेस्ट है।
ग्रंथियों से हार्मोन के स्राव को कम करती है।