अपने बच्‍चों पार हर वक्‍त दबाव न डाले और ऊनकी दूसरे से तुलना न करे

अगर आप भी अपने बच्‍चों (Child) की तुलना (Compare) दूसरे बच्‍चों से करते हैं तो जरा संभल जाइए. इसका खामियाजा आपको बाद में भुगतना पड़ सकता है.

Update: 2021-08-13 19:06 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। माता-पिता अपने बच्‍चों में अपना भविष्‍य देखते हैं. कई बार अपने सपनों को बच्‍चों के माध्‍यम से पूरा करना चाहते हैं. ऐसे में अगर बच्‍चा (Child) दूसरों से किसी भी चीज में कम रह जाए तो कई पेरेंट्स की चिंता बढ़ने लगती है, जिससे वह आवेग में आ कर बच्‍चों की तुलना करने और उन पर हर वक्‍त दबाव बनाने लगते हैं लेकिन आपको बता दें कि आपकी यह कोशिश नाकाम ही रहेगी. अगर आप हर बात पर बच्‍चों की तुलना (Compare) करेंगे तो आप भी संतुष्‍ट नहीं रहेंगे और बच्‍चे के अंदर भी निगेटिव भावनाएं जन्‍म लेने लगेंगी जो आगे चलकर आपके लिए समस्‍या बन सकती हैं. ऐसे में आपको यह जानना जरूरी है कि कभी भी दो बच्‍चे एक जैसे नहीं होते और तुलना करने से आप अपने बच्‍चों की खूबियों को भी संजो नहीं पाएंगे 

खुद को रहें सकारात्‍मक   कई बार माता-पिता को लगता है कि अगर वो दूसरों से अपने बच्चों की तुलना करेंगे तो उनके बच्चे जल्‍दी सीख जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं होता. यह आपकी गुड पेरेंटिंग (Good Parenting) पर निर्भर करता है कि आप उसे किस तरह चीजों के बारे में सोचना सिखाते हैं. तो एक बेहतर पेरेंट बनने के लिए खुद को सकारात्‍मक बनाना बहुत जरूरी है.

तुलना गलत बात

हर बच्‍चे का विकास उसके आसपास के माहौल के अनुसार होता है. उसकी शारीरिक, सोशल क्षमता और किसी काम को करने की कुशलता, ये सभी वह अपने घर और आसपास के माहौल से सीखता है. अगर दो बच्‍चों की परवरिश अलग-अलग है तो उनका तरीका भी अलग ही होगा. ऐसे में बच्‍चों की तुलना करना गलत होगा.

ये होता है नुकसान

अगर आप बच्‍चों के बीच तुलना करते हैं तो इससे आपके और बच्‍चे के बीच दूरियां आ सकती हैं. साथ ही कई अन्‍य परेशानियां भी हो सकती हैं. तुलना करने से उन पर दबाव भी पड़ता है और जब बच्‍चा आपकी उम्‍मीदों पर खरा नहीं उतर पाता तो वह डर या तनाव में रहने लगता है. यही नहीं, वह अपने अचीवमेंट को एन्‍जॉय भी नहीं कर पाता और उसके मन में हर वक्‍त हारने का डर बैठ जाता है.


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