बारिश के मौसम में न कराएं पियर्सिंग, होंगी ये दिक्कतें

बारिश के मौसम में न कराएं पियर्सिंग, होंगी ये दिक्कतें

Update: 2021-07-23 09:16 GMT

नई दिल्ली, Piercing During Monsoon: पियर्सिंग करवाकर आपके लुक में एक मज़ेदार बदलाव आ जाता है। लेकिन कान, नाक या शरीर का कोई भी अंग छिदवाना आसान काम नहीं है, इसके साथ कई ज़िम्मेदारियां भी आती हैं, जैसे कई दिनों तक त्वचा की देखभाल करनी होती है। उसमें इंफेक्शन भी हो सकता है, ख़ासतौर पर बारिश के मौसम में।

एक दूसरा ज़रूरी बात है इस बात का फैसला करना कि किस वक्त पियर्सिंग करवानी है। आप जिस मौसम में पियर्सिंग करवाएंगे, उससे पता चलेगा कि आपकी त्वचा कितनी जल्दी ठीक होती है। उदाहरण के तौर पर, सर्दियों के मौसम में शरीर जल्दी रिकवर करता है, तो इस दौरान आप पियर्सिंग से जुड़ी कई दिक्कतों से बच सकते हैं। वहीं, गर्मियों के मौसम में हवा में रूखापन होता है, इसलिए सूजन से बचा जा सकता है। हालांकि, एक मौसम जिसमें आपको पियर्सिंग से बचना चाहिए, तो वो है बारिश का मौसम।
1. सूजन: बारिश के मौसम में पियर्सिंग करवाएंगे, तो छेद वाली जगह पर पहले 3-4 दिन सूजन की आशंका बढ़ जाएगी। जो शरीर के किसी भी हिस्से में ज़्यादा ख़ून बेहने पर, एक प्राकृतिक शारीरिक प्रतिक्रिया होती है। बारिश का मौसम इस सूजन को और गंभीर कर देता है, जिससे दर्द शुरू हो जाता है।
2. इंफ्लामेशन: गर्म और गीली स्थितियां संक्रमण के लिए एक फलती-फूलती जगह हो सकती हैं, जिससे प्रभावित क्षेत्र में सूजन आ सकती है। इसके अलावा, नमी और ज़्यादा पसीने की वजह से त्वचा के पोर्स में तेल और गंदगी भर सकती है। जिसकी वजह से पियर्सिंग वाली जगह में दर्द, सूजन और रेडनेस बढ़ जाती है।
3. चकत्ते: गर्मी के मौसम में घमोरियां हो जाती हैं, पसीना आने पर यह स्थिति और ख़राब हो जाती है। पियर्सिंग पर खुजली होने लगती है और अगर आप खुजाएंगे, तो इंफेक्शन का डर बढ़ जाता है।
4. पस: बारिश के मौसम में स्टाफ बैक्टीरिया आम होता है, जिससे पस की समस्या हो जाती है। पस होने पर शरीर सफेद रक्त कोशिकाओं को काम पर लगा देता है, WBC बैक्टीरिया से लड़ती हैं। लेकिन मृत बैक्टीरिया, त्वचा और सफेद रक्त कोशिकाएं से मिलकर त्वचा पर लेयर जमा हो जाती है, जिससे पस होने लगता है। यह सूजन और दर्द पियर्सिंग की असुविधा को बढ़ाने का काम करती है।
5. एक्ज़ेमा: यह स्थिति त्वचा को शुष्क, परतदार, पपड़ीदार और खुजलीदार बना सकती है। तापमान और उमस में परिवर्तन आना एक्ज़ेमा के सामान्य कारण हैं, और गर्म परिस्थितियों के कारण पसीना आने से यह स्थिति और भड़क जाती है। पियर्सिंग अगर एक्ज़ेमा से प्रभावित हो जाती है, तो दर्द बर्दाश्त के बाहर हो सकता है।


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