चिंता, तनाव और डिप्रेशन से बचने के लिए इन टिप्स को जरूर अपनाएं
पर्यावरण की दृष्टि से कोरोना वायरस महामारी किसी वरदान से कम नहीं है। इस महामारी से प्रदूषण स्तर में व्यापक सुधार हुआ है, नदियां स्वच्छ हो गई।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नई दिल्ली, पर्यावरण की दृष्टि से कोरोना वायरस महामारी किसी वरदान से कम नहीं है। इस महामारी से प्रदूषण स्तर में व्यापक सुधार हुआ है, नदियां स्वच्छ हो गई। साथ ही वन्य जीवों को एक नई जीवन मिली है। हालांकि, मानव जगत के लिए यह बुरे सपने जैसा है। इससे आम जनमानस पर अनुकूल और प्रतिकूल दोनों असर पड़ा है। जहां एक तरफ लोगों में सेहत को लेकर जागरूकता बढ़ी है। लोग अब अपनी सेहत का विशेष ख्याल रख रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ कोरोना काल में नौकरी जाने, पास में कोविड केस मिलने, और लॉकडाउन के कारण दोस्तों तथा परिवार वालों से न मिल पाने की वजह से लोगों में अवसाद और तनाव की शिकायत भी बढ़ी है। खबरों की मानें तो कोरोना काल में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। तनाव एक मानसिक विकार है जो व्यक्ति को मानसिक रूप से कमजोर कर देता है। इस बीमारी में व्यक्ति कुछ भी सोचने और करने में असमर्थ हो जाता है। ऐसा तब होता है, जब व्यक्ति बुरे दौर से गुजर रहा होता है। अगर आप भी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं, तो आप इन टिप्स को जरूर अपनाएं। आइए जानते हैं-
- मजबूत करने वाली और आरा करने वाली एक्टिविटी की प्रैक्टिस करें।
-म्यूजिक सुने, हॉट शॉवर लें, सोने से पहले किताब पढ़ें।
- ऐसी ख़बरों से दूर रहे जो आपकी मेन्टल हेल्थ को प्रभावित करती हो।
- काम के दिन (वर्किंग डेज) और वीकेंड पर एक रूटीन को फॉलो करें।
-मॉडर्न एरा में ऑनलाइन फ्रीलांसिंग वर्क आसानी से मिल जाते हैं। आप जरूर कोशिश करें। सोशल मीडिया भी अर्निंग का बेस्ट ऑप्शन है। आप उससे भी जुड़कर पैसे कमा सकते हैं।
-अकेले अथवा तनहा समय न बिताएं। अगर मन मस्तिष्क में किसी प्रकार की वैर भावना जागृत होती है, तो अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों अथवा डॉक्टर से बातचीत करें।
- कोविड से कॉन्ट्रैक्ट होने और फिजकल लक्षण जैसे कि खांसी आने पर बहुत ज्यादा रियेक्ट न करें। यह लक्षण नार्मल कोल्ड के कारण भी हो सकता है।
-अगर कोरोना वायरस माहमारी के अन्य लक्षण दिखते हैं, जैसे कि हाई फीवर या सांस लेने में तकलीफ तो अपने डॉक्टर या हॉस्पिटल से संपर्क करें।
- चिंता को एक सीमित समय में ख़त्म करने की कोशिश करें-प्रत्येक दिन 20 मिनट के लिए लिखें और अपनी भावनाओं को समझें और जो हल निकल सकें उसके बारें में सोचे।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।