भद्राकाल के कारण होलिका दहन की तिथि को लेकर उलझन, जाने तिथि एवं मुहूर्त

पंचांग के अनुसार 6 मार्च 2023 को शाम के समय से भद्रा का साया लग जाएगा

Update: 2023-02-25 16:08 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू धर्म में होली पर्व को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शाम से होली पर्व की शुरुआत हो जाती है। सबसे पहले शाम के समय होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन सुबह के समय रंग वाली होली धुमधाम से खेली जाती है। लेकिन इस वर्ष पूर्णिमा के दिन भद्राकाल के कारण होलिका दहन की तिथि को लेकर उलझन है। आचार्य श्याम चंद्र मिश्र जी से जानते हैं कि क्या है होलिका दहन की सही तिथि।

होलिका दहन 2023 तिथि

आचार्य मिश्र बताते हैं कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 6 मार्च 2023 को दोपहर 02 बजकर 47 मिनट होगा और इसका समापन 7 मार्च को शाम 04 बजकर 39 पर होगा। पंचांग के अनुसार 6 मार्च 2023 को शाम के समय से भद्रा का साया लग जाएगाऔर ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन पूर्णिमा के दिन ही होलिका दहन को पूर्ण किया जाए इस बात का वर्णन शास्त्रों में दिया गया है। ऐसे में भारत के कुछ हिस्सों में पूर्णिमा तिथि 07 मार्च के दिन दोपहर में समाप्त हो जाएगी। वहीं देश के कुछ हिस्सों में पूर्णिमा तिथि 07 मार्च के दिन शाम तक रहेगी। इसलिए होलिका दहन की पूजा देश के कुछ हिस्सों में 06 मार्च 2023 को और कुछ जगहों पर 07 मार्च 2023 के दिन की जाएगी।

होलिका दहन महत्व

हिन्दू धर्म में होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस विशेष दिन पर होलिका की पूजा की जाती है और एक दुसरे को गुलाल लगाकर बधाई दी जाती है। मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन करने से जीवन में समृद्धि आती है और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है।

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