चाणक्य नीति: इन अवगुणों को त्याग कर पाएं समृद्धि और आत्मिक शांति
आचार्य चाणक्य कूटनीति और राजनीति में तो निपुण थे
आचार्य चाणक्य कूटनीति और राजनीति में तो निपुण थे ही, इसके साथ वे अर्थशास्त्र के मर्मज्ञ भी थे। जिसके कारण उन्हें कौटिल्य भी कहा जाता था। आचार्य चाणक्य ने अपनी बुद्धि के बल पर ही नंदवंश का नाश करके चंद्रगुप्त मौर्य को एक सफल शासक के रूप में स्थापित किया। उन्होंने अपने जीवन में हर परिस्थिति का सामना किया लेकिन कभी भी अपने धैर्य और आत्मविश्वास को कमजोर नहीं होने दिया। आचार्य चाणक्य चंद्रगुप्त के महामंत्री थे, परंतु कहा जाता है कि फिर भी वे महल से दूर एक साधारण कुटिया में रहा करते थे। चाणक्य के अनुसार धन आवश्य है परंतु सच्चा सुख आत्मिक शांति से ही प्राप्त होता है। मनुष्य भौतिक वस्तुओं में अपना सुकून खोजता है परंतु वास्तविक समृद्धि और सुख उसके भीतर ही होते हैं। चाणक्य ने नीति शास्त्र में ऐसे ही तीन अवगुणों के बारे में बताया है जिन्हें दूर करके आप समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकते हैं।