सावधान: कहीं आप भी तो नहीं ले आए केमिकल से पका जहरीला आम? ऐसे करें पता

Update: 2021-07-22 06:11 GMT

गर्मियों के मौसम में हर तरफ आम नजर आते हैं. मीठे और रसीले आम खाना हर किसी को पसंद होता है. आम में फाइबर, विटामिन C, A और कई सारे मिनरल्स पाए जाते हैं. आम में कई सारे एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं. आम खाने से शरीर को कई तरह के फायदे मिलते हैं लेकिन आजकल बाजार में बिकने वाले कुछ आमों में ऐसे जहरीले केमिकल भी पाए जाते हैं जो शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते हैं.

कुछ फलों को नकली तरीके से पकाया जाता है और इन्हें नेचुरल और ताजा बनाकर बेचा जाता है. अगर आप ऐसा आम खा रहे हैं जिसमें जूस नहीं है तो हो सकता है ये आम भी नकली तरीके से पकाया गया हो. बाजार में आम की कमी और लोगों की ज्यादा मांग को देखते हुए, पूरे भारत में आमों का कृत्रिम रूप से पकाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है.

आखिर केमिकल्स के इस्तेमाल से आम को कैसे पकाया जाता है? एक्सपर्ट के अनुसार, इस प्रक्रिया में प्रमुख रूप से कैल्शियम कार्बाइड रासायनिक पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है. कैल्शियम कार्बाइड के पैकेट को आम के साथ रखा जाता है. जब यह रसायन नमी के संपर्क में आता है, तो एसिटिलीन गैस बनती है. इसका प्रभाव एथिलीन के समान ही होता है, जो स्वाभाविक रूप से फल पकने की प्रक्रिया में इस्तेमाल होता है. सिर्फ आम ही नहीं बल्कि कई अन्य फल भी इसी तरह कृत्रिम रूप से पकाए जाते हैं.
कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग FSSAI द्वारा प्रतिबंधित है. कैल्शियम कार्बाइड सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है. इसकी वजह से चक्कर आना, नींद न आना, मानसिक भ्रम और यादाश्त कमजोर होने जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं. कैल्शियम कार्बाइड तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. आर्सेनिक और फास्फोरस हाइड्राइड हार्मोन को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं.
कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग से फलों की गुणवत्ता काफी हद तक कम हो जाती है. इसकी वजह से फल बहुत ज्यादा नरम हो जाते हैं. इसकी वजह से फल में प्राकृतिक मिठास खत्म हो जाती है और ये नैचुरल तरीके से पके आमों की तुलना में तेजी से सड़ने लगते हैं. फलों में कैल्शियम कार्बाइड की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि वो कितना कच्चा है, इसके हिसाब से इसमें केमिकल की मात्रा बढ़ाई जाती है.
ऐसे करे जांच- आप जो आम खा रहे हैं वो नेचुरल है या नकली तरीके से पकाया गया है, इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है. सारे आमों को एक बाल्टी पानी में डाल दें. अगर आम डूब जाते हैं, तो वे स्वाभाविक रूप से पके हुए होते हैं. अगर वे तैरते हैं, तो मतलब इन्हें कृत्रिम रूप से पकाया गया है. कृत्रिम रूप से पके आम में बहुत कम या कोई रस नहीं होता है. नकली तरीके से पके आम खाने से कुछ लोगों को पेट में जलन भी होने लगती है. इसके अलावा और भी तरीकों से इसकी जांच की जा सकती है.
इसके अलावा कृत्रिम रूप से पके आम में हरे रंग के धब्बे होने की संभावना होती है. ये पैच पीले रंग वाले आम से अलग होते हैं. नकली तरीके से पके आम खाने में मुंह में हल्की जलन, पेट में दर्द और दस्त का अनुभव हो सकता है.
आम के रस के जरिए भी असली-नकली की पहचान की जा सकती है. नेचुरल और अच्छी तरह से पके हुए आम में बहुत सारा रस होता है. जबकि कृत्रिम रूप से पके आम में बहुत कम या बिल्कुल भी रस नहीं होता है. इन कुछ तरीकों से आप असली-नकली फल और सब्जियों की पहचान कर सकते हैं.


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