क्या आंख के हिस्सों में भी हो सकता है कोरोना मौजूद? जानें AIIMS की राय
संक्रमित मृतकों की आंख के विभिन्न हिस्सों में कोरोना की मौजूदगी का पता लगाने के लिए एम्स ने बड़ी पहल शुरू की है. आई बैंकिंग सेवाओं पर कोरोना महामारी का बहुत खराब असर पड़ा है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। संक्रमण के कारण मरनेवालों की आंख के विभिन्न हिस्सों में कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता लगाने के लिए एम्स रिसर्च कर रहा है. 36वें आई डोनेशन फोर्टनाइट समारोह के मौके से प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए डॉ राजेन्द्र प्रसाद सेंटर फॉर आप्थाल्मिक साइंसेज के प्रमुख डॉक्टर जेएस तितियाल ने मंगलवार को इसका एलान किया. उन्होंने खुलासा किया कि रिसर्च को अंजाम देने के लिए पांच आईबॉल्स इकट्ठा किए गए हैं. इससे कोविड से संक्रमित शव के कॉर्निया, ऑप्टिक तंत्रिका और रेटिना में कोरोना वायरस की उपस्थिति को साबित करने में मदद मिलेगी.
अब, आंखों के हिस्सों में की जाएगी कोरोना की खोज
उन्होंने आगे बताया कि इन आईबॉल्स को कई मॉलिक्यूलर टेस्ट से गुजारा जाएगा ताकि उनके टिश्यू में कोरोना वायरस की पहचान हो सके और जेनेटिक सबूत भी तलाश किए जा सकें. सेंटर की डॉक्टर नम्रता शर्मा ने कहा कि अब तक सटीक सबूत नहीं मिले हैं जो साबित कर सकें कि क्या कोविड-19 की वजह से अंधेपन के बीच सीधा संबंध है. उनके मुताबिक क्योंकि कोविड-19 की वजह से कंजक्टिवाइटिस के मामले रिपोर्ट किए गए हैं लेकिन इससे दृष्टि को नुकसान नहीं होता है.
कोविड-19 से म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) होता है और मामले सामने आ चुके हैं. उसने रोशनी को प्रभावित किया है और अंधेपन का कारण बना है. शर्मा ने कहा कि स्थापित आई बैंकिंग गाइडलाइन्स के मुताबिक टिश्यू की फिर से प्राप्ति का काम कोविड-19 के मान लिए गए निगेटिव डोनर पर किया गया. इन डोनर के टिश्यू को कॉर्नियल प्रत्यारोपण के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया बल्कि माइक्रोबियल विश्लेषण के लिए रखा गया है.
कोविड से मरे लोगों पर एम्स ने शुरू किया रिसर्च
तितियाल ने बताया कि आई बैंकिंग की सेवाओं को कोरोना महामारी ने बुरी तरह प्रभावित किया है. पिछले कई वर्षों से राजेन्द्र प्रसाद सेंटर दूसरे आई बैंकों के कामकाज में मदद कर रहा है. समारोह का आयोजक नेशनल आई बैंक पाबंदी से स्कूलो, कॉलेजों और रिहाइशी इलाकों में आई डोनेशन के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है. इस साल, 5 सिंतबर को एम्स से लेकर इंडिया गेट तक प्रयास के तहत साइक्लोथॉन का आयोजन किया था