रोजाना खाते हैं अंडा तो हो जाए सावधान, बढ़ सकता है डायबिटीज का खतरा

‘संडे हो या मंडे, रोज खाएं अंडे।’ नाश्ते के मामले में दुनिया की ज्यादातर आबादी भले ही इस फंडे पर यकीन करती है।

Update: 2020-11-17 05:24 GMT
रोजाना खाते हैं अंडा तो हो जाए सावधान, बढ़ सकता है डायबिटीज का खतरा
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क'संडे हो या मंडे, रोज खाएं अंडे।' नाश्ते के मामले में दुनिया की ज्यादातर आबादी भले ही इस फंडे पर यकीन करती है। लेकिन, चायना मेडिकल यूनिवर्सिटी और कतर विश्वविद्यालय के हालिया अध्ययन की मानें तो हर चीज की तरह ही, अंडे की अति भी बुरी है। ज्यादा मात्रा में अंडे का सेवन टाइप-2 डायबिटीज का सबब बन सकता है।

साल 1991 से 2009 के बीच हुए इस अध्ययन में दो हजार चीनी वयस्क शामिल हुए। शोधकर्ताओं ने सभी प्रतिभागियों की सेहत पर अंडे के नियमित सेवन का असर आंका। इस दौरान पाया कि रोज 50 ग्राम (एक बड़ा अंडा) से ज्यादा अंडा खाने वाले लोगों के टाइप-2 डायबिटीज का शिकार होने का खतरा 60 फीसदी तक बढ़ जाता है।

चीन में डायबिटीज का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। मौजूदा समय में 11 फीसदी से अधिक चीनी आबादी के टाइप-2 डायबिटीज से जूझने का अनुमान है। यह आंकड़ा वैश्विक औसत (8.5 फीसदी) से कहीं ज्यादा है। डायबिटीज अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा बोझ बनकर उभरी है।

वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च होने वाली दस फीसदी राशि डायबिटीज रोगियों पर खर्च हो रही है। शोधकर्ता डॉ. मिंग ली के मुताबिक डाइट टाइप-2 डायबिटीज का खतरा निर्धारित करने वाले प्रमुख कारकों में शुमार है। ऐसे में खानपान से जुड़ी उन वस्तुओं का पता लगाना बेहद अहम है, जो ब्लड शुगर में उछाल का कारण बन सकती हैं। इससे खानपान में जरूरी बदलाव लाकर डायबिटीज का जोखिम टालने में मदद मिलना तय है।

ली ने बताया कि अंडे में मौजूद कार्बोहाइड्रेट और फैट ब्लड शुगर में वृद्धि ला सकते हैं। चूंकि, 1991 से 2009 के बीच चीन में अंडे की दैनिक खपत दोगुनी हो गई है, इसलिए यह अध्ययन आंखें खोलने वाला है। लोगों का फास्टफूड, मीठे और सोडा ड्रिंक के साथ ही अंडे के सेवन पर भी लगाम लगाना जरूरी है।

सुबह देर से उठने वाले हो जाएं सतर्क

नाइट आउल्स' यानी रात में देरी से सोने और सुबह देरी से उठने वाले लोगों में शारीरिक सक्रियता का स्तर बेहद कम रहता है। यही कारण है कि ऐसे लोग टाइप-2 डायबिटीज के खतरे के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। लिसेस्टर और साउथ ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने हालिया अध्ययन के आधार पर यह दावा किया है।

मुख्य शोधकर्ता जोसेफ हेनसन के मुताबिक 'नाइट आउल्स' सुबह जल्द उठने वाले लोगों से 56 फीसदी कम व्यायाम करते हैं। इससे उनका ब्लड शुगर ही नहीं, वजन और रक्तचाप भी सामान्य से अधिक होता है। लंबे समय तक सोने-उठने की आदत में सुधार न करने पर वे डायबिटीज और हाइपरटेंशन की जद में आ जाते हैं।

 

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