क्या आपके बच्चों के व्यवहार में दिख रहे हैं ये बदलाव, हो सकते हैं मेंटल डिसऑर्डर के लक्षण
हो सकते हैं मेंटल डिसऑर्डर के लक्षण
बच्चे हंसते-खेलते हुए ही अच्छे नजर आते हैं। घर में गूंजती बच्चों की आवाज घर को जीवित बनाए रखती हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता हैं कि बच्चों के व्यवहार में बदलाव आ जाते हैं और गुमसुम होने के साथ ही वे सामान्य से अलग बर्ताव करने लगते हैं। अगर आपके बच्चे में भी कुछ ऐसा देखने को मिल रहा हैं, तो हो सकता है वह मेंटल डिसऑर्डर की समस्या से ग्रस्त हो। यदि इन समस्याओं को समय रहते सुलझाया न जाए तो ये डिप्रेशन में भी तब्दील हो सकती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बच्चों के व्यवहार में होने वाले कुछ ऐसे बदलाव के बारे में बताने जा रहे हैं जो मेंटल डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...
बुरे सपने देखना या नींद में चलना
आमतौर पर बच्चे गहरी नींद में सोते हैं, लेकिन जब बच्चों के मन में कोई डर या परेशानी होती है तो वे बुरे सपने देखने लगते हैं। मेडिसिन नेट डॉट कॉम के अनुसार जब बच्चे बुरा सपना देखे या नींद में चलने लगते हैं तो समझ लेना चाहिए कि वे किसी बात से परेशान हैं या मेंटल डिसऑर्डर का शिकार हो रहे हैं।
ज्यादा बात न करना
बच्चे हर वक्त सहमे हुए रहते हैं और हर किसी से बात करने में भी कतराते हैं और कई बार शर्मा जाते हैं। मेहमानों के सामने आने में भी डर का अनुभव करते हैं। इसका बहुत बड़ा कारण घर में लड़ाई झगड़े का माहौल भी हो सकता है जो बच्चों के मन में एक डर का कारण बन जाता है। जब घर के सदस्य एक दूसरे से उंची आवाज़ में बात करते हैं, तो बच्चों का मनोबल कमज़ोर पड़ने लगता है और वो फिर अंदर ही अंदर टूट जाते हैं।
सिर में दर्द रहना
सिरदर्द एंग्जाईटी की निशानी हो सकता है। अगर बच्चा बार-बार सिरदर्द की शिकायत करता है, तो उसे हल्के में न लें। हो सकता है कि बच्चों की आईसाईट कम हो रही हो, लेकिन अगर आईसाईट ठीक है, तो ये डिप्रेशन के लक्षणों में से एक है। बच्चा जब जरूरत से ज्यादा सोचने लगे और खुद को दूसरों से अलग अलग महसूस करने लगे, तो उस बच्चों में ऐसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
आज्ञाकारी न होना
ऐसे बच्चों का आपकी बात न मानना या कुछ ज्यादा घमंड दिखाना आम होता है। लेकिन यदि आपके बच्चे अचानक से कुछ दिनों से ही ऐसा व्यवहार करने लगे हैं तो हो सकता है वह किसी बात को लेकर कुछ ज्यादा ही परेशान हो। इस समस्या की जड़ को निकालें। इसके लिए आप किसी प्रोफेशनल की मदद भी ले सकते हैं। आपके बच्चे जिसके साथ सबसे ज्यादा फ्रेंडली हैं उनसे आप अपने बच्चों की बात भी करवा सकते हैं।
बात बात पर गुस्सा हो जाना
अगर पेरेंटस कुछ भी अच्छा या बुरा कहते हैं, तो बच्चे तुरंत रिएक्ट करने लगते हैं। धीरे धीरे वे अपने पेरेंटस को ही अपना दुश्मन मानने लगते हैं। उन्हें हर बात पर अपने पेरेंटस पर गुस्सा आने लगता है, तो उनके स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक साबित हो सकता है। ऐसे में बच्चों का मन बहलाने का हर संभव प्रयास करें, कोशिश करें कि उन्हें खुले वातावरण में लेकर जाएं, ताकि उनका मन बहलें और वो खुशी का अनुभव करने लगें।
बहुत ज्यादा डर लगना या रोना
यदि आपके बच्चे रात में डर जाते हैं या रोने लगते हैं तो उन्हें एंजाइटी की समस्या हो सकती है। वह बहुत ज्यादा जज्बाती हो सकते हैं जैसे उन्हें ज्यादा गुस्सा, उदासी व शर्मिंदगी हो सकती है। यदि आपके बच्चों को इन कारणों से रात में बुरे सपने भी आते हैं तो आपको उनसे बात करनी चाहिए क्योंकि यह आगे जा कर उनकी मानसिक सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
वजन में बदलाव आना या भूख कम-ज्यादा लगना
यदि आपके बच्चे के वजन में एकदम से बदलाव आता है तो यह भी डिप्रेशन का एक लक्षण हो सकता है। डिप्रेशन का अर्थ है लगभग दो हफ्तों तक पूरी तरह उदास रहना, किसी से बात न करना और खाना या तो बहुत ही कम खाना या बहुत ज्यादा खाना और अकेला रहना। यह आपके बच्चे की रोजाना की गतिविधियों पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। इसलिए यदि आप अपने बच्चे की खान पान की आदतों में ज्यादा बदलाव देखते हैं तो उनसे इसके पीछे का कारण पूछना चाहिए।