राम मंदिर के अलावा ये धार्मिक स्थल भी बनाते हैं अयोध्या को पवित्र, जरूर करें इनका दर्शन

अयोध्या को पवित्र, जरूर करें इनका दर्शन

Update: 2023-09-08 08:28 GMT
अयोध्या भारत का एक प्राचीन शहर है जिसे हिंदू महाकाव्य रामायण की स्थापना के रूप में जाना जाता है। भगवान श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या उत्तर प्रदेश में स्थित है। जो देश के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है। इस शहर का पहले नाम फैजाबाद था, जिसका नाम बदलकर अयोध्या रख दिया गया है। अयोध्या को भगवान श्री राम का जन्म स्थान माना गया है, जो सरयू नदी के तट पर बसा हुआ है। अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है जिसे देखने के लिए लोग अयोध्या पहुंच रहे हैं। लेकिन इसके अलावा भी अयोध्या में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जो अयोध्या को पवित्र बनाते हैं। अगर आप भी अयोध्या जा रहे हैं तो इनके दर्शन जरूर करें।
सीता की रसोई
भगवान श्रीराम की पत्नी माता सीता की भी उतनी ही पूजा-अर्चना की जाती है, जितनी राम जी की होती है। अयोध्या में माता सीता का एक छोटा सा मंदिर स्थित है। सीता की रसोई के नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर सरयू नदी से करीब आधे घंटे की दूरी पर स्थित है। यहां पारंपरिक बर्तनों से बने एक प्रातीकात्मक रसोई घर को देख सकते हैं। यहां आपको एक अलग अनुभव हो सकता है।
हनुमान गढ़ी
हनुमान गढ़ी अयोध्या के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। हनुमान गढ़ी में हनुमान को समर्पित एक मंदिर है, जिसका अपना एक अलग धार्मिक महत्व है। यह मंदिर वाली जगह पहले अवध के नवाब की थी, जिसने इसे मंदिर के निर्माण के लिए दान दिया था। यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जिसे 10 वीं शताब्दी में बनवाया था। मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्रियों को 76 सीढ़ी से होकर जाना होता है। मंदिर में स्थित हनुमान जी की मूर्ति भक्तों का स्वागत करती है। पहाड़ी की चोटी आसपास के पहाड़ियों का बेहद शानदार दृश्य नजर आता है। हिंदू धर्म के लोग बड़ी संख्या में इस मंदिर की यात्रा करने के लिए आते हैं और हनुमान जी के दर्शन करने के साथ ही अपने पापों से मुक्ति के लिए भी प्रार्थना करते हैं। हनुमान गढ़ी के बारे में यह भी मान्यता है कि यहां आने वाले जो भी भक्त सच्चे दिल से मनोकामना करते हैं, उनकी इच्छाओं को भगवान अवश्य पूरा करते हैं।
त्रेता के ठाकुर
अयोध्या के नया घाट के पास स्थित, त्रेता के ठाकुर मंदिर में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, भरत और सुग्रीव सहित कई मूर्तियां हैं। कहा जाता है कि इन मूर्तियों को एक ही काले बलुआ पत्थर से तराशा गया है। माना जाता है कि त्रेता के ठाकुर का निर्माण 300 साल पहले उस समय के राजा कुल्लू द्वारा किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि यह संरचना भगवान राम द्वारा किए गए प्रसिद्ध अश्वमेध यज्ञ की उसी जमीन पर स्थित है। 1700 के दशक में उस समय की मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा मंदिर को फिर से एक नया रूप दिया गया था। यह वर्ष में केवल एक बार एकादशी के रूप में चिह्नित दिन पर जनता के लिए खुला रहता है।
नागेश्वर नाथ मंदिर
राम की पैड़ी में नागेश्वर नाथ मंदिर मौजूद है। ये भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान श्री राम के छोटे पुत्र कुश द्वारा किया गया था। कहते है कि एक बार सरयू नदी में स्नान करने के दौरान कुश का बाजूबंद खो गया था, जिसे एक नाग कन्या ने लौटाया था। कुश पर मोहित हो गई नाग कन्या के लिए इस मंदिर का निर्माण किया गया था। इस मंदिर में शिवरात्रि के दिन लाखों संख्या में श्रद्धालु और दर्शनार्थी आते हैं।
कनक भवन
कनक भवन अयोध्या का प्रमुख दर्शनीय स्थल है, जहां पहले एक अन्य मंदिर था। जिसके बारे कहा जाता है कि इस मंदिर को भगवान राम की सौतेली माँ कैकेयी ने विवाह के बाद सीता को दिया था। बता दें कि बाद में इस मंदिर का परमारा वंश के राजा विक्रमादित्य पुननिर्माण किया गया था जिसे 1891 में फिर से बनाया गया। कनक भवन अयोध्या में सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है जहाँ की अद्भुत वास्तुकला हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करती है।
तुलसी स्मारक भवन
माना जाता है कि 16वीं सदी के संत-कवि गोस्वामी तुलसीदास की स्मृति में स्थापित तुलसी स्मारक भवन वह स्थान है, जहां तुलसीदास ने रामचरित की रचना की थी। अयोध्या में राजगांग क्रॉसिंग पर राष्ट्रीय राजमार्ग के पूर्वी छोर पर स्थित, स्मारक 1969 में बनाया गया था, उस समय के उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री विश्वनाथ दास थे। विशाल पुस्तकालय में आपको समृद्ध साहित्य का भंडार देखने को मिल जाएगा। स्मारक में 'अयोध्या अनुसंधान संस्थान' नामक एक शोध केंद्र भी है। इसका उपयोग अयोध्या के बारे में साहित्यिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जानकारी के अध्ययन और महत्व को जोड़ने के लिए किया जाता है। केंद्र रामायण कला और शिल्प को भी प्रदर्शित करता है और इसमें रामकथा का रोजाना पाठ भी होता है।
गुप्तार घाट
सरजू नदी के किनारे स्थित यह गुप्तार घाट एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां पर कई छोटे-छोटे मंदिर और यहां का सुंदर दृश्य लोगों को मन मुक्त करने के लिए काफी हैं। बताया जाता है कि भगवान श्रीराम ने इसी घाट पर जल समाधि ली थी। लोग मुक्ति पाने की इच्छा लेकर इस स्थान पर काफी अधिक संख्या में दर्शन के लिए आते हैं। 19वीं शताब्दी के दौरान इस घाट का नवनिर्माण करवाया गया था। इस गुप्तार घाट के प्रमुख आस्था के केंद्र के बारे में बात करें, तो हनुमान मंदिर, राम जानकी मंदिर, नरसिंह मंदिर, पुराने चरण पादुका मंदिर आदि का नाम सम्मिलित है।
देवकाली देवी मंदिर
राम नगरी अयोध्या में देवकाली देवी मंदिर का भव्य स्थान है। इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह श्रीरम की कुलदेवी का मंदिर है। देवकाली देवी मंदिर लोगों के बीच काफी प्रमुख हैं। यहां पर हर साल श्रद्धालु काफी अधिक संख्या में आया करते हैं। इस मंदिर से जुड़ी ऐसी मान्यता है कि यहां पर कोई भी व्यक्ति आने के उपरांत खाली हाथ नहीं जाता। भगवान राम की देवकाली देवी अपने हर भक्तों की मुराद पूरी करती हैं। रामनवमी के दौरान यहां पर श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है।
मोती महल
मोती महल फैजाबाद में अयोध्या शहर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक बेहद आकर्षक संरचना है जिसे लोकप्रिय रूप से ‘पर्ल पैलेस’ के रूप में जाना जाता है। इस महल का निर्माण 1743 ई में किया गया था जो नवाब शुजा-उद-दौला की पत्नी रानी बेगम उन्मतुजोहरा बानू का घर था। मोती महल मुगल वास्तुकला में एक बेहतरीन नमूना है और इसे देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटक आते हैं।
दशरथ महल
अयोध्या में भगवान श्री राम के पिता का दशरथ का महल स्थित है, जिसे दशरथ महल के नाम से जाना जाता है। इस जगह को तीर्थस्थल कहा जाता है। इसी जगह पर श्री राम और उनके सभी भाइयों का बचपन बीता है। यहां की रंगीन और राजसी डिजाइन का प्रवेश द्वार इस जगह की खासियत है। यहां रोजाना भक्ति गीतों का जाप होता है। इस दशरथ भवन में भगवान श्री राम, लक्ष्मण और सीता की प्रतिमा को भी स्थापित किया गया है। इस महल को देखने के लिए कई संख्या में लोग आते हैं।
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