कैंसर के बाद महिला को दर्द, बेचैनी और शर्मिंदगी ने घेरा, सेक्स लाइफ की बताई भयावह सच्चाई!

Update: 2021-12-19 04:50 GMT

नई दिल्ली: कैंसर न सिर्फ इंसान को मौत के घाट उतार सकता है, बल्कि उसकी सेक्स लाइफ भी तबाह कर सकता है. मैनचेस्टर की केट विल्डे उस वक्त सिर्फ 17 साल की थी जब उसे इस बीमारी का पता चला. शुरुआत में उसे अपनी सेक्स लाइफ की चिंता नहीं थी, लेकिन इलाज के बाद जब उन्होंने सेक्सुअल एक्टिविटी शुरू करनी चाही तो दर्द, बेचैनी और शर्मिंदगी से उनका सामना हुआ. केट नहीं जानती थी कि अब उसकी मदद कौन करेगा.

मैनचेस्टर में रहने वाली केट को एक प्रकार का ब्लड कैंसर था जिसे मेडिकल भाषा में एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया कहा जाता है. कैंसर से पहले केट की सेक्स लाइफ बहुत अच्छी थी, लेकिन कीमोथैरेपी के दौरान डॉक्टर्स ने उन्हें बताया कि सेक्स उनके लिए घातक हो सकता है.
इलाज की वजह से केट की प्लेटलेट्स कम हो गई थी. कम प्लेटलेट्स का मतलब, बॉडी पर एक छोटा सा कट या त्वचा के फटने पर भी खून जमने की बजाए बहने लगता है. और ऐसा अक्सर सेक्स के दौरान भी हो जाता है. केट एक बुरे दौर से गुजर रही थीं. अपनी बीमारी और इलाज के दौरान वो कई गंभीर साइड इफेक्ट्स से लड़ रही थीं. केट के बाल झड़ने लगे थे. वजन में उतार-चढ़ाव और हड्डियों में दर्द रहता था.
केट ने बताया कि कीमोथैरेपी के दौरान सेक्स में उसकी दिलचस्पी खत्म हो चुकी थी. लेकिन बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बाद कुछ फीलिंग्स अचानक वापस लौटने लगी. केट अब फिर से अपनी सेक्स लाइफ शुरू करना चाहती थी.
केट को उस वक्त मालूम नहीं था, लेकिन कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी का इलाज उसकी बॉडी के केमिकल मीनोपॉज में चले जाने का कारण बन गया था. वेजाइनल एट्रॉफी मीनोपॉज के संभावित लक्षणों में से एक है जिसमें वेजाइना ड्राय और कमजोर पड़ जाती है. इससे सेक्सुअल एक्टिविटी काफी मुश्किल हो जाती है. लेकिन इस बारे में केट को किसी ने नहीं बताया था.
केट कहती हैं, 'मेरे लिए सेक्सुअल एक्टिविटी अब पहले जैसी नहीं रही. मैंने फिर से किसी को डेट करने के बारे में सोचना शुरू कर दिया था. लेकिन खराब अनुभव के चलते मेरा आत्मविश्वास खो चुका था. केट के लिए किसी को ये समझाना मुश्किल हो गया था कि वो रिलेशनशिप में तो आना चाहती है, लेकिन सेक्स नहीं कर सकती. उसे अपने अंदर कुछ टूटा हुआ सा महसूस होने लगा था. वो काफी शर्मिंदगी झेल रही थी.
केट इतनी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी कि उसने महीनों तक जो कुछ भी हुआ, उसके बारे में किसी से बात नहीं की. आखिरकार उसे पता चला कि ट्रांसप्लांट क्लीनिक में एक नर्स ने वीमेंस हेल्थ के लिए एक क्लीनिक स्थापित किया हुआ है, जिसने केट को मदद दी. केट ने कहा, 'यहां आने के बाद मेरे अंदर काफी विश्वास पैदा हुआ. मुझे फिर से सब कुछ हासिल करना पड़ा.'
'मैकमिलन कैंसर सपोर्ट' की स्टडी के अनुसार, कैंसर से पीड़ित लगभग 46 फीसदी युवाओं का कहना है कि यह बीमारी उनकी सेक्स लाइफ पर बुरा असर डालती है. जबकि सभी आयु वर्ग में इसकी औसत हिस्सेदारी 37 फीसद है. 'कैंसर रिसर्च यूके' के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 15-24 साल की आयु के तकरीबन 2,400 लोग हर साल कैंसर की बमारी का शिकार होते हैं.
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