आखिर ट्रेन में कितने तरह के होते हैं डिब्बे, जाने टिकट लेने के बाद नहीं होगी कभी दिक्कत

अक्सर ट्रेनों में सफर करने वाले लोगों को इसके बारे में जरूर पता होना चाहिए कि ट्रेन में कितने तरह के डिब्बे होते हैं। वैसे तो बहुत सारे लोगों को ये सब पता ही होता है

Update: 2021-09-24 06:22 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अक्सर ट्रेनों में सफर करने वाले लोगों को इसके बारे में जरूर पता होना चाहिए कि ट्रेन में कितने तरह के डिब्बे होते हैं। वैसे तो बहुत सारे लोगों को ये सब पता ही होता है, लेकिन जो लोग नहीं जानते हैं, उनको यह जरूर जानना चाहिए। आपने देखा होगा कि ट्रेन के डिब्बों पर 2S, 3S, CC और EC जैसे कोड लिखे होते हैं। क्या आप ये जानते हैं कि इनका मतलब क्या होता है? शायद नहीं जानते होंगे। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि एसी से लेकर जनरल तक, ट्रेन में आखिर कितने तरह के डिब्बे होते हैं। 

शुरुआत करते हैं एसी फर्स्ट क्लास से। इसका किराया हवाई यात्रा के किराये जितना ही महंगा होता है। सुविधाओं की अगर बात करें तो इस डिब्बे में शानदार पर्सनल रूम जैसी सुविधाएं मिलती हैं। इसके अलावा एसी टू-टियर और एसी थ्री-टियर होता है। एसी टू-टियर का किराया और सुविधाएं फर्स्ट क्लास एसी के मुकाबले कम होती हैं और एसी थ्री-टियर का किराया टू-टियर के मुकाबले कम होता है। इनमें कॉमन ये है कि सभी कोच एसी वाले होते हैं। 

3E एसी  थ्री-टियर (इकोनॉमी) एयर कंडीशन कोच होते हैं। ऐसे कोच में स्लीपिंग बर्थ तो होते हैं, लेकिन रीडिंग लाइट्स जैसी सुविधाएं नहीं होती हैं। इसके अलावा अगर एग्जिक्यूटिव चेयर कार कोच की बात करें तो ये एसी वाले कोच तो होते हैं, लेकिन इसमें सिर्फ बैठने के लिए ही सीटें होती हैं, आप सो नहीं सकते हैं। इसलिए दिन के सफर के लिए इसे एक अच्छा ऑप्शन माना जाता है। 

CC एसी चेयर कार कोच में भी सिर्फ बैठने के लिए ही सीटें होती हैं। इस कोच को एसी डबल डेक सीटर भी कहा जाता है। अब आता है SL यानी स्लीपर क्लास। देश में सबसे ज्यादा लोग इसी कोच में सफर करते हैं। इसमें हरेक कोच में 72 यात्रियों के सोने की व्यवस्था होती है। ऐसे कोच में एयर कंडीशन की सुविधा नहीं होती है। 

2S यानी सेकेंड सीटर की अगर बात करें तो ये कोच चेयर कार की तरह ही होते हैं, लेकिन इसमें एसी की व्यवस्था नहीं होती है। इन्हें नॉन एसी डबल डेक सीटर भी कहा जाता है।

इसके बाद आता है जनरल कोच (UR/GEN), जिसका किराया सबसे कम होता है। इसमें यात्रियों के लिए सीटें तय नहीं होती हैं, यानी कोई भी यात्री कहीं भी बैठ सकता है। हालांकि इस कोच की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि इसमें भीड़ बहुत होती है। 

Tags:    

Similar News

-->