चाणक्य के अनुसार: लोगो के लिए मौत से ज्यादा डर, बदनाम होना

आचार्य चाणक्य एक महान राजनीतिक थे।

Update: 2021-01-24 08:18 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | आचार्य चाणक्य एक महान राजनीतिक थे। उन्होंने अपने नीति ग्रंथ यानि चाणक्य नीति में लोगों के कल्याण के लिए कई सूत्र, नीतियों के रूप में बताएं हैं। कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति उन नीतियों को अपना लेता है तो वह अपनी जीवन में सफलता को हासिल कर लेता है। वहीं चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि इज्जतदार लोगों के लिए बदनामी मौत के समान होती है। इसी को लेकर चाणक्य ने इसे विस्तार से बताया है, तो आइए जानते हैं।

श्लोक

अयशो भयं भयेषु। सज्जन के लिए बदनामी का भय मृत्यु के समान होता है क्योंकि वे बदनामी को सबसे बड़ा अभिशाप मानते हैं इसलिए सदैव इस बात का ध्यान रखते हैं कि उनके किसी कार्य से उन्हें ङ्क्षनदा का सामना न करना पड़े।

शत्रोरपि सुगुणो ग्राह्य:।

शत्रु के भी गुण को ग्रहण करें यानि शत्रु में यदि गुण हैं तो उन्हें ग्रहण करने में संकोच नहीं करना चाहिए। इनसे कोई भी बुद्धिमान राजा अपना रणकौशल सिद्ध कर सकता है।

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