आयुर्वेद के अनुसार सावन के महीने में इन चीजों से करें परहेज

Update: 2023-07-02 18:03 GMT
सावन के महीने का भारत में बड़ा महत्व हैं। एक तरफ तो आध्यात्मिक रूप से विशेष हैं और दूसरी तरफ बरसात के मौसम के कारण हर तरफ हरियाली हो जाती हैं। लेकिन इस हरियाली के साथ सावन का महीना बीमारियाँ भी लेकर आता हैं, जिसका सबसे बड़ा जरिया बनता हैं भोजन। आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में भोजन का बहुत ध्यान रखने की जरूरत होती हैं। क्योंकि इस मौसम में जठराग्नि कमजोर रहती है जिसकी वजह से इस मौसम कुछ खाद्य चीजों का त्याग करना ही अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं। तो आइये जानते हैं सावन के इस मौसम में किन खाद्य चीजों से करें परहेज।
* बैंगन से बनाएं दूरी
सावन में महीने में बैंगन भी नहीं खाना चाहिए। इसका धार्मिक कारण यह है कि ये भगवान शिव को चढ़ाया जाता है इसके अलावा इसे शास्त्रों में अशुद्ध कहा गया है। लेकिन वैज्ञानिक कारण यह है कि सावन में बैंगन में कीड़े अधिक लगते हैं। ऐसे में बैंगन का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए सावन में बैंगन खाने से परहेज ही करना चाहिए।
* हरी सब्जियों से दूर रहें
सावन के महीने में हरी सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसका धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन में हरी सब्जी का त्याग कर देने से व नियम से उपवास यानी सावन स्नान करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है, लेकिन इस मान्यता के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल, आयुर्वेद के अनुसार बारिश में हरी सब्जियों में बीमारी फैलाने वाले कीटाणु बहुत अधिक होते हैं। जिससे पेट व त्वचा से संबंधित बीमारियां ज्यादा होती हैं। इस मौसम में बॉडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। इसीलिए सावन में हरी सब्जियां नहीं खाना चाहिए।
* न करें दूध का सेवन
कहा जाता है कि कच्चा दूध भगवान को अर्पित किया जाता है, इसलिए सावन में इनका सेवन करने से बचना चाहिए। लेकिन वैज्ञानिक कारणों के अनुसार सावन में हरियाली ज्यादा होती है। इस वजह से इनमें जहरीले कीड़े-मकौड़ों ज्यादा पनपते हैं। गाय या भैंस घास के साथ कई ऐसे कीड़े-मकोड़ो खा जाती है, जो दूध में मिलकर आपके लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। इस समय में दूध के सेवन से वात बढ़ता है, जिसके कारण बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए सावन में दूध नहीं पीना चाहिए।
* मांस-मछली और प्याज और लहसुन
सावन के महीने मांस और मछली खाने और प्याज-लहसुन का सेवन करने की मनाही होती है। तामसिक प्रवृत्ति के भोजनों से अध्यात्म के मार्ग में बाधा आती है और शरीर की भी हालत बिगड़ती है। इतना ही नहीं मांस खाने से उनमें मौजूद बेक्टीरिया और कीटाणु से आपको बीमारी भी हो सकती है। सावन माह में मछलियों के लिए प्रजनन का समय होता है इसलिए इस समय मछलियों का शिकार करना और खाना वर्जित होता है।
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