यूपी के रहने वाले 17 साल के एक लड़के ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है

यूपी में रहने वाला 17 साल का नाबालिग लड़का अपने पिता को लीवर दान करने के लिए तैयार है

Update: 2022-09-12 18:46 GMT
यूपी में रहने वाला 17 साल का नाबालिग लड़का अपने पिता को लीवर दान करने के लिए तैयार है, उसका कहना है कि मामले में जल्द फैसला लेने की जरूरत है, इस बावत उसने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है कि उन्‍हें बीमार पिता को लिवर दान करने की अनुमति दी जाए।कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से जवाब मांगा है।
नाबालिग लड़के के वकील ने पीठ को बताया कि उसके पिता की हालत बेहद गंभीर है और यही उनकी जान बचाने का एकमात्र हल है, गौर हो कि मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के अनुसार, भारत में केवल बालिग व्‍यक्तियों और मृत नाबालिगों के अंग ही दान किए जा सकते हैं।
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लेकिन बताते हैं कि अपवाद स्वरूप कोर्ट ने असाधारण परिस्थितियों में इससे छूट भी दी है। इस लड़के की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के सीनियर हेल्थ अधिकारी को तलब किया है, लड़के ने यूपी के स्‍वास्‍थ्‍य सचिव को भी इस मामले में पत्र लिखा था, मगर कुछ खास हुआ नहीं।
बताते हैं कि उनके पिता की तबीयत काफी ज्‍यादा खराब है और देरी होने से दिक्कत बढ़ सकती है इसलिए वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं, कोर्ट के सामने, उसके वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता के पिता बेहद गंभीर हालत में हैं उनकी जान बचाने का एकमात्र तरीका अंगदान है।
कानून के अनुसार, डोनर को वयस्‍क होना चाहिए
अंगदान के विषय में मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 लागू होता है। इसके अनुसार, केवल वयस्‍क और मृत नाबालिगों के अंगों को ही दान में दिया जा सकता है। बेटा अपना लिवर देने को तैयार है मगर कानून के अनुसार, डोनर को वयस्‍क होना चाहिए। अभी तक अदालतें असाधारण परिस्थितियों में ही नाबालिगों को अंगदान की अनुमति देती आई हैं।


न्यूज़ क्रेडिट :timesnowhindi
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