कृषि विभाग ने सर्विलांस टीमों का किया गठन, खेतों का दौरा कर रहे कर्मी
धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में अब ड्राइस्पेल के बाद गेहूं की फसल में रतुआ रोग का खतरा मंडराने लगा है। प्रदेश पिछले कुछ महीनों में बारिश न होने के चलते हिमाचल के नोर्थ जोन में कृषि विभाग को 25 हजार हेक्टेयर की भूमि पर गेहूं का नुकसान हुआ था। हिमाचल के नोर्थन जोन में कृषि विभाग की …
धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में अब ड्राइस्पेल के बाद गेहूं की फसल में रतुआ रोग का खतरा मंडराने लगा है। प्रदेश पिछले कुछ महीनों में बारिश न होने के चलते हिमाचल के नोर्थ जोन में कृषि विभाग को 25 हजार हेक्टेयर की भूमि पर गेहूं का नुकसान हुआ था। हिमाचल के नोर्थन जोन में कृषि विभाग की ओर से पांच जिलों कांगड़ा, चंबा, मंडी, हमीरपुर और ऊना में गेहूं की फसल में पीले रतुआ पर ध्यान रखने के लिए सर्विलांस टीमों का गठन किया गया है। यह टीमेंं किसानों के खेतों में जाकर गेहूं की फसलों में पीले रतुआ का अवलोकन करेंगी। रबी की फसलों में शामिल गेहंू की फसलों में जनवरी और फरवरी माह में रतुआ का काफी प्रकोप रहता है, लेकिन बारिश होने के बाद किसानों को काफी राहत मिली है। हिमाचल प्रदेश के नोर्थ जोन में किसानों की ओर से दो लाख 66 हजार 763 हेक्टेयर भूमि में गेहूं की खेती की गई है।
विभाग की ओर से बनाई गई इन टीमों में ब्लॉक लेवल के कृषि अधिकारी व विश्वविद्यालय के साइंटिस्ट शामिल है। यह टीमें फील्ड में किसानों के खेतों में जाकर अवलोकन कर रही है कि गेहूं की फसलें अगर पीले रतुआ से ग्रसित है, तो उस समस्या की रिपोर्ट टीम की ओर से इक्क_ी की जा रही है। कृषि विभाग नोर्थ जोन के संयुक्त कृषि निदेशक डा. पवन कुमार ने बताया कि धर्मशाला नोर्थ जोन धर्मशाला के तहत आते पांच जिलों में पीला रतुआ पर नजर रखने के लिए सर्विलांस टीमें बनाई है, जो किसानों के खेतों तक पहुंच रही है। पीला रतुआ बीमारी फफूंद जनित रोग है, जिसे गेहूं से लगने से गेहंू की फसल पीले रंग की हो जाती है। इसके लिए समय पर कीटनाशक का प्रयोग कर लेना चाहिए। इस दौरान किसानों को गेहूं की फसल को रतुआ से बचाने लिए कुछ रसायनों का भी ध्यान रखना चाहिए। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं में खरपतवार की दो तीन पत्तियां आने पर खरपतवार नियंत्रण के लिए रसायन वेस्टा 16 ग्राम प्रति 30 लीटर पानी या क्लोडिनफॉप की 24 ग्राम (10डब्ल्यूपी) या 16 ग्राम (15 डब्ल्यूपी) व दो, चार डी की 50 ग्राम मात्रा 30 लीटर पानी में घोलकर प्रति कनाल छिडक़ाव करने को कहा है।