कब है रंभा तृतीया व्रत, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तृतीया का व्रत रखा जाता है। इस दिन कुवांरी कन्याएं मन चाहा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं

Update: 2022-06-01 04:11 GMT

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तृतीया का व्रत रखा जाता है। इस दिन कुवांरी कन्याएं मन चाहा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं और विधि-विधान से पूजा अर्चना करती हैं। सुहागिन महिलाएं भी अपने पति की लंबी आयु और बुद्धिमान संतान की प्राप्ति तथा उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए विधि पूर्वक ये व्रत रखती हैं। रंभा तीज के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं। रंभा तृतीया या रंभा तीज के दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सौभाग्य प्राप्ति के लिए अप्सरा रंभा ने इस व्रत को किया था। इसलिए इसे रंभा तीज कहा जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि सौंदर्य और सौभाग्य का व्रत रंभा तीज इस बार कब है और शुभ फलों की प्राप्ति के लिए किस विधि से पूजा करनी चाहिए....

कब है रंभा तृतीया व्रत?

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 01 जून बुधवार की रात में 09 बजकर 47 मिनट से हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 03 जून 2022, शुक्रवार की रात 12 बजकर 17 मिनट पर होगा। उदया तिथि 02 जून 2022, दिन गुरुवार को प्राप्त हो रही है, इसलिए ये व्रत 02 जून को रखा जाएगा।

रंभा तृतीया पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि करके व्रत एवं पूजा का संकल्प लें और पूजा स्थल पर पूर्व दिशा में मुंहकर के पूजा के लिए बैठें।

स्वच्छ आसन पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। उनके आसपास पूजा में पांच दीपक लगाएं।

सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। इसके बाद 5 दीपक की पूजा करें।

इसके बाद भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें।

पूजा में मां पार्वती को कुमकुम, चंदन, हल्दी, मेहंदी, लाल फूल, अक्षत और अन्य पूजा की सामग्री चढ़ाएं।

वहीं भगवान शिव गणेश और अग्निदेव को अबीर, गुलाल, चंदन और अन्य सामग्री चढ़ाएं।

इस मंत्र का जाप करें

ॐ ! रंभे अगच्छ पूर्ण यौवन संस्तुते

रंभा तृतीया व्रत का महत्व

मान्यता है कि रंभा तीज या रंभा तृतीया व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति है। पति की उम्र बढ़ती है और संतान सुख मिलता है। इस दिन व्रत रखने और दान करने से मनोकामना पूरी होती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रंभा एक अप्सरा थीं, जिनकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। रंभा को सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। इसलिए सुंदर यौवन की प्राप्ति के लिए भी ये व्रत किया जाता है। कहा जाता है कि रंभा तीज व्रत करने वाली महिलाएं निरोगी रहती हैं। उनकी उम्र और सुंदरता दोनों बढ़ती हैं। 

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