श्रेयस तलपड़े ने बताया कंगना रनौत की 'इमरजेंसी' में कैसे मिला अटल का किरदार

Update: 2024-05-13 04:17 GMT
मुंबई। अभिनेता श्रेयस तलपड़े ने कॉमेडी के साथ धीर गंभीर भूमिकाओं में भी अपनी छाप छोड़ी है। इन दिनों वह एक तरफ कॉमेडी फिल्म वेलकम टू जंगल की शूटिंग कर रहे हैं तो दूसरी ओर सोहम शाह निर्देशित उनकी मनोवैज्ञानिक थ्रिलर फिल्म कर्तम भुगतम 17 मई को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। उनसे हुई बातचीत के अंश...
फिल्म इमरजेंसी में अटल बिहारी बाजपेयी बनने का अनुभव कैसा रहा? हाल ही में मैं अटल हूं बायोपिक भी उन पर आई थी.....
फिल्म में काम करने का बहुत अच्छा अनुभव रहा। मुझे कंगना रनौत के साथ काम करने का मौका मिला। वह बेहतरीन अदाकारा निर्माता और निर्देशक हैं। इतने जटिल विषय पर तीनों जिम्मेदारी उठाना कठिन काम है। उन्होंने उस काम को बखूबी किया। मैंने अपने किरदार के साथ न्याय करने की कोशिश की है। मेरी निर्देशक खुश हैं तो मैं भी हूं। हालांकि फिल्म कंगना की है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के इमरजेंसी दौर की है। तो उसमें अटल जी का किरदार कहानी में जितना प्रासंगिक है उतना ही उन्होंने फिल्म में दिखाया है।
करियर के इस पड़ाव को कैसे देखते हैं। लोगों का कहना है कि आपको आपकी योग्यता के अनुसार मौके नहीं मिले?
मुझे लगता है कि अगर लोग ऐसा कहते हैं तो कलाकार के लिए बेहतर है । बजाय इसके कि लोग कहें कि इसे तो मिलना ही नहीं चाहिए था । (हंसते हैं) यानी उनकी अभी भी कहीं न कहीं आपसे यह उम्मीद है कि आप कुछ और कर सकते हैं। जिसकी वजह से आपको वो चीज मिलेगी जिसके आप हकदार हैं। मुझे लगता है कि यह आपके चाहने वालों का प्यार है कि उन्हें लगता है कि इसे थोड़ा और मिलना चाहिए। यह किसी भी कलाकार के लिए आशीर्वाद की तरह है। यह बात बतौर कलाकार मुझे अपने दर्शकों के लिए कुछ नया करने के लिए हमेशा प्रेरित करती है।
इधर थोड़ा गंभीर फिल्मों की ओर ज्यादा फोकस दिख रहा है?
गोलमाल रिटर्न्स से मेरी जिंदगी में कॉमेडी का एक दौर आया था। उसके बाद कॉमेडी फिल्में शुरू हो गई थीं। उस मामले में थोड़ा दिशा जरूर बदली है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि मैं कॉमेडी नहीं कर रहा हूं। वेलकम टू जंगल और कंपकंपी दोनों ही कॉमेडी फिल्में हैं। करतम भुगतम थोड़ा इंटेंस है। इसके अलावा साउथ में एक फिल्म की है वह भी थोड़ा इंटेंस है। तो मिलाजुला कर फिल्में कर रहा हूं। उसमें मजा आ रहा है।
कॉमेडी को लेकर विवाद होने लगे हैं। ऐसे में कॉमेडी के चैलेंज लगते हैं?
अब हम छोटी-छोटी चीजों को लेकर ज्यादा संवेदनशील हो गए हैं। जहां तक फिल्मों या कुछ क्रिएटिव आर्ट की बात है वहां पर कुछ आपत्तियां सही हैं, लेकिन सब नहीं। कुछ आपत्ति उठती हैं कि यह क्यों किया? ऐसा क्यों किया ? कुछ चीजें सही होती हैं। मजा तब है कि लोगों की आपत्तियों को न छूते हुए कुछ और करें, जिससे लोगों को हंसाया जाए । यह संभव है तभी तो हाउसफुल 5, वेलकम टू जंगल जैसी कई कामेडी फिल्में बन रही हैं।
कर्तम भुगतम से जुड़ने की क्या कहानी रही?
कहानी और सोहम दो कारण रहे । सोहम के साथ मुझे काफी समय से काम करना था । उनकी बनाई फिल्म काल हो या लक, उन्हें भूल नहीं सकते । वरना ढेर सारी फिल्में बनती हैं, वह कब आती हैं कब चली जाती हैं पता ही नहीं चलता। आज भी वो फिल्में याद हैं। मैं कहूंगा कि सोहम को उनकी योग्यता के मुताबिक मौके नहीं मिले। जब उन्होंने कर्तम भुगतम की कहानी सुनाई तो तुरंत हां कर दी। मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि उन्होंने मुझमें यकीन दिखाया|
यह फिल्म भाग्य और ज्योतिष की बात करती है। आपने कभी ज्योतिष का सहारा लिया ?
बिल्कुल। हमारी इंडस्ट्री में आपको शायद ही कोई ऐसा एक्टर मिलेगा जिसने ज्योतिष का सहारा न लिया हो। क्योंकि हमारा बहुत पेशा बहुत असुरक्षा वाला है । पता नहीं कल काम होगा या नहीं। कई बार ज्योतिष हो, पंडित या टैरो कार्ड रीडर, हमारा उनसे सबसे पहला सवाल यही होता है कि करियर में क्या होगा? मेरी फिल्म हिट होगी या नहीं होगी? ऐसे कई सवाल हम उसने पूछते रहते हैं।
पर कहते हैं कि कर्म करो, फल की इच्छा मत करो.....
हम इंसान हैं, भगवान नहीं। ऐसा बोलते हैं, लेकिन होता नहीं है। हमें यह भी कहा गया है कि अच्छा कर्म करो तो अच्छा फल मिलेगा। तो हम अच्छे फल के इंतजार में अच्छे कर्म करते रहते हैं। पर यह भी सच है कि कभी-कभी फल तुरंत मिल जाता है तो कभी समय लग जाता है।
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