बर्बरता का बेशर्मी से बखान: तालिबान नेता अनस हक्‍कानी ने की सोमनाथ मंदिर पर हमला करने वाले महमूद गजनवी की प्रशंसा

यह तालिबान की भारत को चुनौती है कि हम आपके देश को 17 बार लूटने और मंदिर तोड़ने वाले खलनायक महमूद को अपना हीरो मानते हैं

Update: 2021-10-11 03:13 GMT

 तिलकराज | यह तालिबान की भारत को चुनौती है कि हम आपके देश को 17 बार लूटने और मंदिर तोड़ने वाले खलनायक महमूद को अपना हीरो मानते हैं। भारत आतंकवादी विचार का निशाना है। तालिबान और पाकिस्तान की राजनीति भारत विरोधी है।

हृदयनारायण दीक्षित। बर्बरता प्रशंसनीय नहीं होती, लेकिन आतंकी हक्कानी नेटवर्क के नेता अनस हक्कानी ने भारत पर 17 बार के हमलावर और सोमनाथ मंदिर का ध्वंस करने वाले महमूद गजनवी का महिमामंडन किया है। तालिबान की अंतरिम सरकार का हिस्सा हक्कानी नेटवर्क असल में पाकिस्तान की कठपुतली है। अमेरिका ने उसे आतंकी संगठन घोषित किया था। इस्लामी विचारधारा में मूर्ति तोड़ना मुस्लिम का फर्ज माना जाता है। महमूद ने सोमनाथ मूर्तियों के टुकड़ों को अफगानिस्तान की जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर लगवाया था। महमूद ने सोमनाथ का ध्वंस 1055 में किया था। उसने एक हजार ईस्वी में भी भारत पर हमला किया। राजा जयपाल से दो लाख 50 हजार दीनार लूटे। सन 1004 के हमले में वह मौलवी भी लाया था। हजारों हिंदुओं का मतांतरण कराया। वर्ष 1008 में फिर आया। भंयकर लूट हुई। सन 1011 में लूट के साथ मंदिर भी गिराए। उसके सहायक इतिहासकार उतवी ने तारीखे यामिनी में लिखा, 'नदी का रंग काफिरों के खून से लाल हो गया था। अल्लाह इस्लाम और मुसलमानों को सम्मान अता करता है। उसका शुक्रिया।' सन 1013 के हमले की खुशी में उतवी ने लिखा, 'सुल्तान बेहिसाब माल लेकर लौटा। गुलामों की तादाद के कारण बाजार भाव गिर गया।' वह मथुरा भी गया। उतवी ने लिखा है, 'काफिर भागे। नदी पार करने की कोशिश में डूब गए। सुल्तान ने हुकुम दिया कि सभी मंदिरों को आग लगा दो।'

महमूद अकेला हमलावर नहीं था। मुहम्मद गौरी जैसे अनेक हमलावरों ने लाखों हिंदुओं को मारा, लूटपाट की। इतना ही नहीं साल 2000 में भारत के ऐसे ही एक आतंकी संगठन 'स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया यानी सिमी ने 'भारत में एक और महमूद गजनवी की जरूरत' बताई थी। भारत को इस्लामी राज्य बनाना ऐसे आतंकी संगठनों का मकसद रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत विभाजन की घटना को याद रखने की अपील की थी। भारत को इसी विचारधारा ने तोड़ा था। पाकिस्तानी मुल्क की मांग के पीछे भी यही विचारधारा थी। 30 जुलाई, 1945 को मुस्लिम लीग के नेता अब्दुल रब नस्तर ने 'लेट पाकिस्तान स्पीक फार हर सेल्फ' में लिखा था, 'पाकिस्तान खून बहाकर ही प्राप्त किया जा सकता है। जरूरी हुआ तो गैर-मुस्लिमों का रक्त भी बहाया जाएगा।' कोलकाता मुस्लिम लीग के तत्कालीन सचिव ने 'डायरेक्ट एक्शन डे' पर कहा था, 'हम हलफ लेते हैं या अल्लाह हमें काफिरों पर फतेह दीजिए, जिससे हम हिंदुस्तान में इस्लाम का राज स्थापित कर सकें।' मोहम्मद बिन कासिम से लेकर ओसामा और अफजल गुरु तक ऐसी ही कट्टरपंथी आतंकी सोच का एक लंबा इतिहास है। इस्लामी मामलों के अंतरराष्ट्रीय विद्वान प्रोफेसर डेनियल पाइप लिखते हैं, 'पिछली सदी के आठवें दशक के उत्तरार्ध में भारत के कट्टरपंथी आक्रामक हो गए। उनके दंगे पहले स्थानीय थे, फिर वह एक शहर से दूसरे शहर में फैलने लगे।

दरअसल, पाकिस्तान का गठन कट्टरपंथी तत्वों की आखिरी मांग नहीं थी। इस्लामी विद्वान एफके दुर्रानी ने 'मीनिंग आफ पाकिस्तान' में लिखा, 'पाकिस्तान का निर्माण इसलिए अहम था कि उसे आधार बनाकर शेष भारत का इस्लामीकरण किया जाए।' पाकिस्तान की स्थापना भारत विरोधी मकसद में कामयाब रही। पाकिस्तान देश नहीं, सैनिक छावनी है। पाकिस्तानी सेना में मिसाइलों के नाम भी गजनी, गौरी पर रखे गए हैं। जम्मू-कश्मीर की ताजा घटनाएं भी पाकिस्तानी षड्यंत्र का हिस्सा हैं।

अफगानिस्तान में अब कट्टर तालिबान राज है। भारत में तालिबान के समर्थक हैं। इनमें राजनेता और शायर भी हैं। पाकिस्तान और तालिबान कट्टर इस्लामी विचारधारा के कारण एक हैं। भारत के लिए नई चुनौती है। अयोध्या, मथुरा और काशी के मंदिर भी मूर्ति भंजक विचारधारा के कारण ध्वस्त किए गए। तोड़े गए मंदिरों की गिनती संभव नहीं है। जिहादी आतंकवाद स्पष्ट युद्ध विचारधारा है। निदरेषों की हत्या, हिंसा और लूट इस विचारधारा में अपराध नहीं है। ये दुनिया को इस्लामी छतरी के नीचे लाने के साधन हैं। इसके लिए आत्मघाती मानव बम बनाने तक से परहेज नहीं।

सारी दुनिया इस विचार से सहमी है। कहा जा रहा था कि तालिबान में बदलाव आया है, लेकिन उनकी हरकतें अब भी हिंसक हैं। वह मूर्ति और मंदिर बर्दाश्त नहीं करते। वह दीगर पंथों को सम्मान नहीं देते। पाकिस्तान में भी मंदिर और हिंदू सुरक्षित नहीं हैं। तालिबानी लोग पाकिस्तानी मदरसों से ही निकले थे। इस्लामी परंपरा के विद्वान डा. मुशीरुल हक ने लिखा है, 'मुसलमान जानते हैं कि इन मदरसों से पढ़कर निकले युवकों की दुनियावी तरक्की की उम्मीद कम है, लेकिन मुसलमानों के बड़े हिस्से में विश्वास है कि मदरसों से पास आलिम कयामत के दिन अपने रिश्तेदारों की तरफ से माफ करने की पैरवी अल्लाह पाक से करने में सक्षम हैं।' सैयद मकबूल अहमद ने ठीक कहा था, 'रूढ़वादिता फैलाने वाले साधनों में मदरसा शिक्षा महत्वपूर्ण है। भौतिकी, रसायन, गणित, भूगोल आदि मदरसों में नहीं पढ़ाए जाते। इसके कारण अनुदारवाद और मतांधता आई। दर्शनशास्त्र को कुफ्र कहा गया।'

भारत आतंकवादी विचार का निशाना है। तालिबान और पाकिस्तान की राजनीति भारत विरोधी है। हक्कानी ने जानबूझकर महमूद की तारीफ में सोमनाथ का ध्वंस जोड़ा है। यह भारत को सीधी चुनौती है कि हम आपके देश को 17 बार लूटने और मंदिर तोड़ने वाले खलनायक महमूद को अपना हीरो मानते हैं। सोमनाथ पहले की तुलना में ज्यादा आकर्षक, दिव्य और भव्य है। इस बीच भारत ने श्रेष्ठ उपलब्धियां अर्जित की हैं। भारत ने पाकिस्तान से कई प्रत्यक्ष युद्ध जीते हैं। सर्जिकल और एयर स्ट्राइक द्वारा पाकिस्तान को औकात बताई गई। इसके बावजूद भारत को सतर्क रहने की आवश्यकता है। भारत की संस्कृति और आस्था विश्व मानवता का लोकमंगल है। अलगाववादी शक्तियां भारत में लंबे अर्से से सक्रिय रही हैं। भारत ने अपनी संस्कृति पौरुष और पराक्रम के बल पर ऐसी शक्तियों का सामना किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने ठीक कहा है कि सोमनाथ मंदिर भारत ही नहीं, पूरे विश्व के लिए विश्वास और आश्वासन है। तोड़ने वाली शक्तियां किसी अल्पकाल में भले ही हावी हो जाएं, लेकिन वे भारत की जिजीविषा और पराक्रम को नहीं दबा सकते। हक्कानी नेता अनस लुटेरे महमूद की शव उपासना कर रहे हैं, लेकिन मुर्दे में जीवन नहीं होता।

Tags:    

Similar News

-->