तिलक लगाने के जानें फायदे और नियम
हिंदू धर्म में माथे पर लगाये जाने वाले तिलक का बहुत महत्व है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू धर्म में माथे पर लगाये जाने वाले तिलक का बहुत महत्व है.तिलक कई प्रकार के होते हैं.जैसे लंबा तिलक, गोल तिलक, आड़ी तीन रेखाओं वाला तिलक,आदि.भगवान शिव के साधक त्रिपुण्ड तिलक लगाते हैं.वहीं शक्ति की साधना करने वाले गोल बिंदी की तरह का तिलक लगाते हैं.कहते हैं कि बगैर माथे पर तिलक लगाए कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है.यही कारण है कि किसी भी शुभ कार्य पर हमारे यहां तिलक लगाने की परंपरा रही है.आइए जानते हैं कि तमाम तरह के लगाए जाने वाले तिलक का क्या कुछ महत्व है –
तिलक के प्रकार
तिलक मूलत: तीन प्रकार का होता है.एक रेखाकृति तिलक, द्विरेखा कृति तिलक और त्रिरेखाकृति तिलक.इन तीनों प्रकार के तिलक के लिए चंदन, केशर, गोरोचन और कस्तूरी का प्रयोग किया जाता है.जिनमें कस्तूरी का तिलक सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
भस्म का तिलक
शैव परंपरा से जुड़े साधु-संत लोग अक्सर अपने शरीर पर भस्म लगाए दिख जाएंगे.पूजा में हवन के बाद भी हवन की भस्म का तिलक लगाने की हमारे यहां परंपरा रही है.उपाय के तौर पर मान्यता है कि शनिवार के दिन भस्म का चंदन लगाने से भगवान भैरव प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं।
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चंदन का तिलक
माथे पर लगाया जाने वाला चंदन का तिलक हमारे मन को शीतलता प्रदान करता है.इसे लगाने से एकाग्रता बढ़ती है.चंदन कई प्रकार का पाया जाता है.जिसमें लाल चंदन का तिलक लगाने से व्यक्ति के भीतर ऊर्जा का संचार होता है.इसी तरह पीला चंदन या हल्दी का तिलक लगाने देवगुरु बृहस्पति की कृपा मिलती है.
कुंकुम का तिलक
पूजा-पाठ में अमूमन कुंकुम का तिलक ही प्रयोग में लाया जाता है.हल्दी के चूर्ण को नींबू के रस से भावना देकर कुंकुम को बनाया जाता है, जिसे अक्सर शादीशुदा महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए माथे पर लगाती हैं.
सिंदूर का तिलक
कई देवी-देवताओं को सिंदूर का तिलक लगाया जाता है.सिंदूर का तिलक तमाम तरह की बाधाओं को दूर करने वाला होता है.यही कारण है कि हनुमत और गणपति साधना में इसका विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है.जैसे मंगलवार और शनिवार को श्री हनुमान जी के कंधे पर लगे सिंदूर को प्रसाद स्वरूप तिलक लगाने से जीवन से जुड़ी सभी समस्याएं दूर होती हैं.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)