Govind Namdev Birthday Special : जन्मदिन पर जानिए अनसुने किस्से

Update: 2024-09-03 02:06 GMT
Govind Namdev Birthday Special : गोविंद नामदेव Govind Namdev ऐसे ही एक्टर हैं जो इंडस्ट्री के सबसे मंझे हुए एक्टर्स में से एक के तौर पर अपनी अलग पहचान रखते हैं। अपने 30 साल के एक्टिंग करियर में उन्होंने कई फिल्में कीं, कई बेहतरीन किरदार निभाए। लेकिन आज भी विलेन के तौर पर उनके चार्म का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। डेविड धवन की फिल्म शोला और शबनम से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले गोविंद नामदेव आज अपना 68वां जन्मदिन मना रहे हैं, यहां जानें उनसे
जुड़ी कुछ खास
बातें।
ऐसे आया एक्टिंग का ख्याल
गोविंद कहते हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो एक्टर बनेंगे। हालांकि, वो हमेशा से कुछ अलग, कुछ खास करना चाहते थे। ताकि उन्हें और उनके परिवार को नाम और पहचान मिल सके। वो कहते हैं, “दिल्ली में पढ़ाई के दौरान मैं कई बड़ी हस्तियों की आत्मकथाएँ पढ़ता था। स्कूल में मैं हर विधा में अच्छा प्रदर्शन करता था, चाहे वो पढ़ाई हो, कविता लिखना हो, गाना हो या फिर नाटक और भाषण। बस इसी वजह से मुझे स्कूल की सांस्कृतिक समिति का प्रमुख बना दिया गया। मुझे ढेर सारी सलाह के साथ-साथ ढेर सारी सराहना भी मिली, जिनमें से एक थी एक्टिंग की राह पर किस्मत आजमाना। और इसी सलाह पर चलते हुए मैंने एनएसडी में एडमिशन ले लिया। उनका चेहरा और आवाज किसी को भी यह यकीन दिलाने के लिए काफी थी कि वह एक बहुत ही मंझे हुए कलाकार हैं। साल 1990 में गोविंद को परेश रावल, केतन मेहता की फिल्म 'सरदार पटेल' मिली। उसी दौरान उनकी मुलाकात पहलाज निहलानी और डेविड धवन से हुई, वे शोला और शबनम बना रहे थे। कहानी सुनने के बाद सभी को लगा कि गोविंद ही फिल्म के लिए परफेक्ट चॉइस हैं। और इस तरह साल 1992 में रिलीज हुई शोला और शबनम उनकी पहली फिल्म बनी और फिर साल 1994 में सरदार पटेल रिलीज हुई | इतने सालों बाद भी उन्होंने अपनी एक्टिंग से सभी के दिलों में जगह बनाई है। ओह माय गॉड, सिंघम, भूल भुलैया 2, वांटेड, रमैया वस्तावैया, बॉस, शादी में जरूर आना, प्रेम ग्रंथ, विरासत, सत्या, सरफरोश, प्यासा जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में गोविंदा द्वारा निभाए गए किरदार हमेशा चर्चा में रहते हैं। और हमेशा सराहे जाते हैं। बदलते वक्त के साथ बॉलीवुड में भी कई तरह से बदलाव आए हैं। आजकल लोग फिल्मों से ज्यादा ओटीटी प्लेटफॉर्म की तरफ रुख कर रहे हैं। जिस पर गोविंदा कहते हैं, ''मैं अपने सफर से संतुष्ट हूं।
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