मुंबई। वर्तमान में फॉर्मूला कहानियों से अलग और कुछ प्रायोगिक करने की चाह में कई टीवी कलाकार डिजिटल प्लेटफार्म की ओर रुख कर रहे हैं। इसमें कुंडली भाग्य और रब से है दुआ धारावाहिकों के अभिनेता धीरज धूपर भी शामिल हैं।इस क्रम में धीरज ने पिछले साल प्रदर्शित वेब सीरीज टटलूबाज की। दोनों प्लेटफार्म के बीच अंतर को लेकर हाल ही में उन्होंने दैनिक जागरण से बातचीत की है।
AC से बाहर रियल लोकेशन पर होती है शूटिंग
धीरज धूपर कहते हैं, "टटलूबाज को लोगों ने काफी पसंद किया, अब हम जल्द ही इसका दूसरा सीजन लेकर आने वाले हैं। मुझे तो टीवी और डिजिटल प्लेटफार्म में बस थोड़ा टाइमलाइन का अंतर दिखा, बाकी काम करने की शैली हर जगह एक जैसी ही है। हां, ये बात भी होती है कि टीवी में हम एयर कंडीशनर सेट पर काम कर हैं, और ओटीटी में ज्यादातर शूटिंग वास्तविक लोकेशन पर होती है। इसके अलावा मैं डिजिटल प्लेटफार्म के लिए कुछ और प्रोजेक्ट भी कर रहा हूं, लेकिन उसके बारे में मैं अभी ज्यादा कुछ नहीं बता सकता हूं।"
क्या डिजिटल प्लेटफार्म पर टीवी के अनुभवों का फायदा मिलता है?
इस पर धीरज कहते हैं, "अगर किसी कलाकार की लोकप्रियता पहले से ही है और वह किसी मेकर के शो या फिल्म से जुड़ता हैं, तो वह अपने साथ एक अलग प्रशंसक वर्ग भी लाता है। जिससे प्रोजेक्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलती। हालांकि, हमारी इंडस्ट्री में बहुत से लोग इस ऐसा नहीं सोचते हैं। वो अक्सर कलाकारों को ज्यादा एक्सपोज हो चुका कहकर रिजेक्ट कर देते हैं। निर्माता इस चीज को कलाकारों का एक्सपोजर न कहकर फैन बेस कहेंगे, तो ज्यादा सही होगा।"