इस वीकेंड कर सकते हैं फिल्म 'Pushpa' के नाम, बॉलीवुड मूवीज को भूल जाएंगे आप

साउथ की कई भाषाओं के बॉक्स ऑफिस पर कमाल मचाने के बाद अब अमेजन प्राइम पर ‘पुष्पा द राइज’ हिंदी के दर्शकों के लिए भी उपलब्ध हो गई है

Update: 2022-01-15 01:38 GMT

साउथ की कई भाषाओं के बॉक्स ऑफिस पर कमाल मचाने के बाद अब अमेजन प्राइम पर 'पुष्पा द राइज' हिंदी के दर्शकों के लिए भी उपलब्ध हो गई है. 'बाहुबली' के बाद शायद ही किसी साउथ की मूवी का हिंदी के दर्शकों को इतना इंतजार रहा हो, चर्चा ही इतनी हो गई है. वैसे हिंदी के आम दर्शकों से ज्यादा इसे हिंदी के एक्टर्स और डायरेक्टर्स को देखना चाहिए कि कैसे एक आम सी कहानी को तूफानी तेवर और कलेवर के जरिए एक सुपरहिट मूवी बनाया जा सकता है.

ऐसी है फिल्म की कहानी

कहानी है एक ऐसे जंगल की, जिसमें मिलने वाले लाल चंदन से जापान की शादियों में बजने वाले एक खास किस्म के वाद्ययंत्र को बनाया जाता है, वो लाल चंदन की लकड़ी को चीन से स्मगलिंग करके मुंहमांगे दामों में मंगाते हैं, जबकि पैदा वो लकड़ी केवल साउथ इंडिया के एक जंगल में ही होती है. भारत में इन पेड़ों को काटना मना है और फिर भी काटना और चीन तक स्मग्ल करके पहुंचाना, ये एक बड़ा अंडरवर्ल्ड गेम है, जिसमें एक स्टाइलिश, गरीब मजदूर 'पुष्पा राज' (अल्लू अर्जुन ) उतर जाता है, जिसे अपने गांव में नाजायज औलाद के रूप में माना जाता है. कैसे अपने 'दिमाग और दुस्साहस' के जरिए वो स्थापित स्मगलरों और गैंगस्टर्स को हटाकर सिंडिकेट का मुखिया बनता है, यही कहानी है, जो ना जाने कितनी बार बॉलीवुड की फिल्मों में दोहराई जा चुकी है.

पसंद आएगा अल्लू अर्जुन का स्टाइल

बावजूद इसके फिल्म पसंद की जा रही है, तो उसकी 2 बड़ी वजहें हैं, अल्लू अर्जुन के तेवर और फिल्म का कलेवर, यानी लाल चंदन की कहानी. 'पुष्पा से फ्लॉवर मत समझना, ये फायर है', ये अकेला डायलॉग अल्लू अर्जुन के तेवर बताने के लिए काफी है. जिसमें आपको 'काला' के रजनीकांत, 'कबीर सिंह' के शाहिद कपूर, 'केजीएफ' के यश और 'पदमावत' के रणवीर सिंह की झलक देखने को मिलेगी, वैसी ही दाढ़ी, वैसे ही तेवर लेकिन डायरेक्टर सुकुमार की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने पूरी मूवी अल्लू अर्जुन के भरोसे ही नहीं छोड़ दी बल्कि एक एक करेक्टर ऐसा ढूंढा, जो उस कहानी का असली किरदार लगे, एक एक सीन ऐसा प्लान किया, जिसमें लगे कि दिमाग लगाया गया है, एक एक लोकेशन ऐसी ढूंढी जो आपकी आंखों को परदे पर चिपका कर रखती हो. मूवी को खास कलर्स और लाइट्स मे भी पेश किया गया है ताकि आपको देखने का अलग ही अनुभव हो.

'बाहुबली' और 'केजीएफ' की तरह इस मूवी को भी दो पार्ट में बनाया गया है, 'पुष्पा द राइज' के बाद 'पुष्पा द रूल' देखने को मिलेगी, जो इसी साल रिलीज होगी. मूवी की स्पीड इतनी ज्यादा है कि कभी कभी गानों की जरुरत महसूस नहीं होती, फिर भी वो विजुअल रिलीफ का काम करते हैं, एक आइटम सोंग में सामंथा भी हैं. हालांकि साउथ से हिंदी में करते वक्त जो शब्दों का चुनाव होता है, उस पर बाहुबली जैसी मेहनत नहीं की गई है, सो जुबान पर आसानी से उस तरह नहीं चढ़ते.

कुल मिलाकर इस वीकेंड अगर आप कोई थ्रिलर फिल्म देखना चाहते हों, तो 'पुष्पा' आपको निराश नहीं करेगी, ये अलग बात है कि मूवी 178 मिनट यानी करीब 3 घंटे की है, सो उसको आप गाने फास्ट फॉरवर्ड करके भी समय बचा सकते हैं. लेकिन चूंकि अरसे से कोई अच्छी मूवी नहीं आई है, तो ये बढ़िया मौका हो सकता है.


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