'जीरो वेस्ट' स्टोर रिटेल बिजनेस में अगला बड़ा कदम होने जा रहे हैं, लोगों को अपनी कुछ सहूलियतें छोड़ने के लिए तैयार होना चाहिए

कुछ महीनों पहले जब महाराष्ट्र सरकार प्लास्टिक इस्तेमाल को लेकर कड़े कानून लाई

Update: 2022-01-19 08:30 GMT
एन. रघुरामन का कॉलम: 
कुछ महीनों पहले जब महाराष्ट्र सरकार प्लास्टिक इस्तेमाल को लेकर कड़े कानून लाई थी, तो नासिक में जहां से मैं दूध लेता हूं, उसने मुझे अपना दूध का बर्तन (डोलची) लाने को कहा। जब भी मैं नासिक में सैर पर जाता, तो डोलची साथ ले जाता और स्टोर पर रख देता और सैर खत्म करके लौटते हुए उसमें दूध ले आता। जब भी मैं पानी डालकर वो डिब्बा धोता, तो संतुष्टि मिलती कि दूध की एक भी बूंद बर्बाद नहीं की और अगर वन टाइम यूज प्लास्टिक थैली लाता, तो वैसे भी बर्बादी होती।
ये अलग बात है कि जब मैं डोलची लेकर चलता हूं, तो मेरी बेटी अजीब-सा मुंह बनाती है, पर मुझे कभी शर्म नहीं आती क्योंकि मैं बचपन में वैसी ही डोलची लेकर दुकान से खाद्य तेल लेने जाता था। पर मेरी अगली पीढ़ी ने इस तरह से स्टोर-मॉल्स में नहीं देखा और उन्हें ये असहज लगता है। पर जब मैंने उसे समझाया कि कैसे प्लास्टिक इस्तेमाल घटा सकते हैं, तो ये सुनकर उसे अच्छा लगा। तबसे मैं ऐसा स्टोर खोज रहा था, जहां शैंपू, तेल, बाथरूम साफ करने का मटेरियल, वॉशिंग लिक्विड जैसे सारे सामान तो हों, पर उसे खरीदने के लिए अपना कंटेनर लाना पड़े।
पर मुझे कहीं नहीं मिला। मेरी खोज बेंगलुरु के जेपी नगर स्थित भारत के पहले जीरो वेस्ट ऑर्गेनिक स्टोर 'अद्रीश' पर जाकर खत्म हुई। यहां तक कि उनकी छत समेत बाकी इंटीरियर भी डलिया में इस्तेमाल सींक से बना है और सारे उत्पाद स्टील या टीन के ढक्कन वाले कांच के जार में रखे हैं। वे परचून का सामान, फल-सब्जी, पारंपरिक किचन सामान, साफ-सफाई की चीजें, होम केयर, पर्सनल केयर, पूजा-पाठ, हस्तशिल्प, वस्त्र आदि श्रेणी में 650 से ज्यादा उत्पाद बेचते हैं। यहां सारे उत्पाद प्राकृतिक और परंपरागत तरीके से परिष्कृत हैं।
वे खेती के लिए पूरी तरह 'देसी' बीज बेचते हैं। नीम के तने का इस्तेमाल करके सारे उत्पाद प्राकृतिक तरीके से सुरक्षित रखते हैं और अनाज को नियमित रूप से धूप में सुखाते हैं। रोचक बात ये है कि इसे इंदौर की लड़की मनाली सराफ ने शुरू किया है, जिसने रतलाम के रहने वाले लड़के से शादी की और फिर दोनों ये स्टोर खोलने के लिए बेंगलुरु गए। मनाली कहती हैं, 'हम भारत में जीरो वेस्ट ऑर्गेनिक जीवन शुरू करने वालों में अग्रणी हैं और हमेशा एक ऐसा स्टोर शुरू करना चाहते थे जिसमें कुछ भी प्लास्टिक ना हो।'
उन्हें ये कहने में गर्व महसूस होता है कि उनका स्टोर प्रतिदिन 20 हजार प्लास्टिक थैलियां कचरे के ढेर में जाने से बचाता है। 'अद्रीश' में रसोई का डिब्बा ला सकते हैं या कम से कम सामान लेना हो, तो कागज के बैग में ले सकते हैं। वे पूरे बेंगलुुरु में बिना प्लास्टिक पैकिंग के सामान पहुंचाते हैं, साथ ही ग्राहकों के घरों तक सामान रीफिल भी कराते हैं। हममें से कई लोगों ने देखा होगा कि 'रोजमर्रा के उत्पाद' प्लास्टिक में आते हैं, जैसे साफ सब्जियों से लेकर, बर्तन की साबुन तक, तब भी उसमें थोड़ा-सा प्लास्टिक ही दोबारा इस्तेमाल हो पाता है।
उस प्लास्टिक को रीसाइकल डिब्बे में फेंकते हुए हम सोचते हैं कि धरती बचा ली। पर यकीन करें अमेरिका तक में, जहां दुनिया का सबसे ज्यादा प्लास्टिक उपभोग हैै, वहां ऐसे प्लास्टिक का सिर्फ 8.7% ही रिसाइकल हो पाता है। प्लास्टिक वेस्ट कम करने के इच्छुक लोगों को मैं सलाह दूंगा कि एक क्षेत्र से शुरू करें, जैसे शैंपू की खाली बोतल लाएं और इन्हें रीफिल करने वाले स्टोर से भराएं।
ये बोतल सालों चल सकती है। एक समय में एक कदम उठाएं। ये रातों-रात होने वाला कोई बदलाव नहीं है। फंडा यह है कि 'जीरो वेस्ट' स्टोर रिटेल बिजनेस में अगला बड़ा कदम होने जा रहे हैं, अगर छोटे से योगदान से धरती बचती है, तो लोगों को अपनी कुछ सहूलियतें छोड़ने के लिए तैयार होना चाहिए।
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