अमेरिका में जीत

अमेरिका में जो बाइडेन का अगला राष्ट्रपति बनना न केवल दुनिया के लिए नया अध्याय है, बल्कि खूब उम्मीद जगाती खुशखबरी भी है।

Update: 2020-11-09 03:50 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिका में जो बाइडेन का अगला राष्ट्रपति बनना न केवल दुनिया के लिए नया अध्याय है, बल्कि खूब उम्मीद जगाती खुशखबरी भी है। जीत के लिए जरूरी 270 का आंकड़ा पार करते ही बाइडेन की टीम नया अमेरिका बनाने के अभियान में जुट गई है, जबकि डोनाल्ड ट्रंप को हार स्वीकार करने में कुछ समय लगना स्वाभाविक है। स्पष्ट संकेत के लिए अमेरिका ही नहीं, पूरी दुनिया ने चार दिन से ज्यादा इंतजार किया। एक बड़ी आबादी को जहां ट्रंप की जीत का इंतजार था, वहीं ऐसे लोगों की भी संख्या कम नहीं है, जो अमेरिका में बदलाव की बाट जोह रहे हैं। कोई शक की बात नहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने भी चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है और बाइडेन को आने वाले दिनों में सीनेट और हाउस में कड़ी राजनीतिक टक्कर झेलनी पड़ेगी। डेमोक्रेट नेता का राष्ट्रपति बनना तय हो गया है, लेकिन डेमोक्रेट पार्टी अभी सीनेट और हाउस में बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंची है। आने वाले दिनों में अमेरिका का संसदीय गणित स्थिर होने के बाद ही बाइडेन की क्षमता का सही अंदाजा लगेगा। खैर, डेमोक्रेट पार्टी ने चार साल बाद सत्ता में वापसी कर ली है और ट्रंप का विवाद भरा अध्याय संपन्न होने वाला है।

हमारे लिए एक और बड़ी खुशी की बात है कि भारतीय मूल से ताल्लुक रखने वाली कमला हैरिस अमेरिका की उप-राष्ट्रपति बनने वाली हैं। अमेरिका के लंबे लोकतांत्रिक इतिहास में आज तक किसी महिला को यह गौरव हासिल नहीं हुआ था। पिछले राष्ट्रपति चुनाव में हिलेरी क्लिंटन को हार नसीब हुई थी, लोकप्रिय उम्मीदवार होने के बावजूद वह राष्ट्रपति बनने से वंचित रही थीं। कहीं न कहीं अमेरिकी मतदाताओं में यह एहसास भी होगा कि पिछली गलती को इस बार सुधार लेना है। कमला हैरिस के उप-राष्ट्रपति बनने से भारत या अफ्रीकी देशों को क्या लाभ होगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल अमेरिका को अपने नए इतिहास पर गर्व करने का मौका जरूर मिलना चाहिए। अमेरिकी राजनीति और समाज पर नस्लभेद के साथ-साथ लिंगभेद के भी आरोप लगते रहे हैं, अब अमेरिका एक सजग देश के रूप में खुद पर लगे इन दागों को धोने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है, तो उसका स्वागत है। कमला हैरिस के सामने भी अपने व्यवहार को उदार, प्रभावी, निष्पक्ष और न्यायपूर्ण बनाए रखने की चुनौती होगी। अगर वह अपनी छवि और राजनीति को सशक्त रख पाती हैं, तो कोई आश्चर्य नहीं, वह अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनने में भी कामयाब हो जाएंगी।

बहरहाल, बाइडेन के सामने बड़ी चुनौती है कि वह दुनिया में अमेरिका की सिमटती भूमिका में कैसे सुधार करते हैं। ट्रंप की राजनीति कथित राष्ट्रवादी रही, इसकी वजह से वह अमेरिका की वैश्विक जिम्मेदारियों से पीछे हटते चले गए। विशेष रूप से जलवायु की चिंता और विश्व स्वास्थ्य संगठन से उनका पीछे हटना बड़ी भूल रही, जिसे सुधारना बाइडेन की प्राथमिकता होगी। बाइडेन के लिए स्वयं ट्रंप अनेक काम छोड़ जाएंगे। बाइडेन की परख इससे होगी कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वह पूरी ईमानदारी बरतें, दुनिया के विवादों में मनमर्जी के हस्तक्षेप व किसी तरह की सैन्य हिंसा से बचें। सिर्फ भारत ही नहीं, पूरी दुनिया बाइडेन के अमेरिका से यही उम्मीद करेगी कि वह दुनिया को शांति, न्याय, विकास और लोकतंत्र से नवाजे।


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