यह कहना तो कठिन है कि क्या सोचकर पिता करुणानिधि और माता दयालु अम्मल ने अपने छोटे बेटे को स्टालिन नाम दिया था. जोसफ स्टालिन सोवियत तानाशाह थे जो लेनिन के बाद सोवियत संघ के दूसरे शासक बने थे. स्टालिन की मृत्यु के ठीक चार दिन पहले यानि 1 मार्च 1953 को दयालु अम्मल ने एक बेटे को जन्म दिया था. स्टालिन की मृत्यु के पश्चात करुणानिधि ने अपने नवजात बेटे को स्टालिन नाम दिया.
स्टालिन किसी की सुनने के मूड में नहीं हैं
एम के स्टालिन अपने नाम को शुरू से ही सार्थक करने में लगे हैं. और ठीक जोसफ स्टालिन की तरह, तमिलनाडु के स्टालिन भी किसी तानाशाह से कम नहीं हैं, जो भी उनके रास्ते में आया उसका बुरा हाल हुआ. इस बात के गवाह उनके बड़े भाई एम के अलागिरी हैं जिन्हें स्टालिन ने पिता के जीते जी ही पार्टी से निकाल फेंका था. अब स्टालिन विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और DMK अध्यक्ष दोनों पद संभाल रहे हैं ताकि कोई और पावर का दावेदार उभर कर सामने ना आ जाए. अब जबकि ओपिनियन पोल्स ने कहा है कि DMK 10 वर्षों के बाद सत्ता प्राप्ति के करीब है, स्टालिन किसी और की ज्यादा सुनने के मूड में नहीं हैं, चाहे वह उनकी सहयोगी कांग्रेस पार्टी ही क्यों न हो.
कांग्रेस का पिछला प्रदर्शन देख कर नहीं दी जा सकतीं ज्यादा सीटें
वैसे भी कांग्रेस पार्टी की ज्यादा सीटों पर दावेदारी बनती नहीं है. 2011 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी 63 सीटों पर चुनाव लड़ी थी लेकिन मात्र पांच सीट ही जीत पायी थी, जबकि 2016 में इसमें थोड़ी सी ही बढ़ोतरी दिखी, कांग्रेस पार्टी 41 सीटों पर चुनाव लड़ी और आठ सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी. वहीं दूसरी तरफ DMK का फैसला कि वह ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी, फायदेमंद साबित हुआ. 2011 में DMK 124 सीटों पर लड़ी और 23 सीट उसके खाते में गयी, जबकि 2016 में पार्टी 188 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसके खाते में 88 सीटें गयीं. स्टालिन को शायद कांग्रेस पार्टी की औकात पता है और बिहार में जो गलती पिछले साल तेजस्वी यादव ने की थी, वह उस गलती को तमिलनाडु में दोहराना नहीं चाहते, यानि कांग्रेस पार्टी को उसके औकात के अनुसार ही सीट दी जाए. वैसे भी स्टालिन इस मूड में नहीं है कि वह अपनी पीठ पर बैठा कर कांग्रेस पार्टी को जीत की रेखा के पार ले जाएं.
सोनिया गांधी की बात का कितना होगा असर
लगता है कि राहुल गांधी की सारी मेहनत बेकार साबित होने वाली है. किसान आन्दोलन के मध्य में वह जल्लीकट्टू खेल देखने गए थे, पश्चिम बंगाल में अभी तक एक बार भी नहीं गए हैं पर तमिलनाडु का कई बार दौरा कर चुके हैं. और जब बात उनसे नहीं संभली तो अपने माताश्री को स्टालिन से बात करने को फोन थमा दिया. संभव है कि स्टालिन सोनिया गांधी की उम्र का और यह सोच कर कि पिता करुणानिधि की सोनिया गांधी से अच्छी निभती थी, एक-दो सीट और दे दें, पर वह कांग्रेस पार्टी के सामने इतना चारा नहीं डालेंगे कि कांग्रेस पार्टी को बदहजमी हो जाए, खुद भी डूबें और साथ में स्टालिन के मुख्यमंत्री बनने के सपनों को भी धो डालें. फिलहाल कांग्रेस पार्टी की औकात क्या है, यह तो स्टालिन ने बता ही दिया है.