सरकार निश्चिंत क्यों है?

ताजा खबरों के बीच ये बात बेमतलब है कि कांग्रेस के शासन के दौरान भारत ने चीन के हाथों अपनी कितनी जमीन गंवाई।

Update: 2021-01-22 05:15 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ताजा खबरों के बीच ये बात बेमतलब है कि कांग्रेस के शासन के दौरान भारत ने चीन के हाथों अपनी कितनी जमीन गंवाई। अगर वर्तमान सरकार और भारतीय जनता पार्टी (जिनकी तरफ से प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कांफ्रेंस में इसका उल्लेख किया) की ये बात मान भी ली जाए, तब भी उससे इस सवाल का जवाब नहीं मिलता कि लद्दाख या अरुणाचल प्रदेश में आज चीन जो कब्जा कर रहा है, उस पर सरकार लाचार क्यों दिख रही है? फिर अगर बात आरोप- प्रत्यारोप की हो, यह जिक्र भी इस सिलसिले में होगा कि आखिर चीन को लाल आंख दिखाने का वादा किसने किया था? बहरहाल, बेहतर यह होता कि सरकार खुद इस मामले में देश को भरोसे में लेती और यह बताती कि चीन को जवाब देने की उसकी योजना और तैयारी क्या है। ताजा मामले में सेटेलाइट तस्वीरों से यह बात सामने आई है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के अंदर एक नया गांव बसा लिया है, हालांकि सरकार का कहना है कि वह गांव सीमा से लगा हुआ है।


विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह इस मामले पर नजदीकी निगाह रखते हुए जरूरी कदम उठा रहा है। लेकिन इसको लेकर देश में या विपक्ष में भरोसा नहीं है, तो इसकी जिम्मेदारी आखिर किस पर आती है? तस्वीरों के विश्लेषण के बाद विशेषज्ञों ने कहा है कि वो गांव भारतीय सीमा में करीब साढ़े चार किलोमीटर भीतर बसाया गया है। लाजिमी है इस नई जानकारी ने खासकर पूर्वोत्तर सीमा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। उस गांव के अरुणाचल के अपर सुबनसिरी जिले में त्सारी नदी के किनारे होने का दावा किया गया है। वह इलाका लंबे अरसे से भारत और चीन के बीच विवादित रहा है और वहां कई बार दोनों देशों की सेना के बीच हिंसक झड़पें भी हो चुकी हैं। विशेषज्ञों ने 26 अगस्त 2019 को ली गई सेटेलाइट तस्वीरों से ताजा तस्वीर के मिलान के बाद कहा है कि वो गांव एक साल के भीतर बसाया गया है। गांव में 101 घर हैं। अरुणाचल के भाजपा सांसद तापीर गाओ ने पहले ही अपर सुबनसिरी में चीन की गतिविधियां तेज होने पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को इसकी जानकारी दी थी। गाओ ने कहा है कि चीन ने इलाके में एक हाइवे का निर्माण किया है। चीन ने अपर सुबनसिरी जिले में भारतीय इलाके में करीब 70 किलोमीटर तक अतिक्रमण कर लिया है। फिर भी सरकार निश्चिंत क्यों है?


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