बच्चों के लिए कोविड वैक्सीन में देरी क्यों हो रही है?

जायडस कैडिला कंपनी ने जायको वी-डी वैक्सीन के लिए आपात कालीन मंजूरी के लिए आवेदन दिया है

Update: 2021-07-02 05:04 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।पंकज कुमार|  जायडस कैडिला (Zydus Cadila) कंपनी ने जायको वी-डी वैक्सीन (Zyco V-D Vaccine) के लिए आपात कालीन मंजूरी के लिए आवेदन दिया है. यह देश के लिए राहत की बात है और इसकी वजह ये है कि यह पहला वैक्सीन है जिसने अपने क्लिनिकल फेज ट्रायल में 12 साल से लेकर 18 साल के बच्चों को शामिल किया है. सवाल अभी भी यही है कि बच्चों के लिए तैयार किए जा रहे वैक्सीन में हो रहे विलंब की आखिरकार वजह क्या है और कब तक भारत में बच्चों के लिए समुचित मात्रा में वैक्सीन तैयार हो सकेगी.

जायडस कैडिला द्वारा तैयार की गई वैक्सीन के ट्रायल में किशोरों का भी विशेष ध्यान रखा गया है. प्लाज्मिड डीएनए (Plasmid DNA) आधारित वैक्सीन की खासियत यह है कि एंटीजन विशिष्ट एंटीबॉडी तैयार करने की इस वैक्सीन में क्षमता है जो बी और टी सेल दोनों को शरीर में तैयार करता है. ज़ाहिर है बी और टी सेल से समुचित मात्रा में एंटीबॉडी तैयार होती है.
जायडस कैडिला द्वारा तैयार की गई वैक्सीन की खासियत
ध्यान देने वाली बात यह है कि इस वैक्सीन के तीनों फेज का ट्रायल सबसे ज्यादा 28 हजार वॉलंटियर्स को शामिल करते हुए किया गया है. कंपनी का दावा है कि ये साल में 12 करोड़ डोजेज तैयार करेगा जो 40 लाख लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकेगा. रॉयटर के मुताबिक वैक्सीन सुरक्षा और प्रभावकारिता दोनों के मापदंड पर खरा उतरा है. इसलिए दूसरी लहर के बाद युवाओं और बच्चों में होने वाले कोविड बीमारी की गंभीर खतरों से निपटने में जायकोवी-डी कारगर बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि रेगुलेट्री बॉडी द्वारा परमिशन दिए जाने के बाद 12 साल और उससे ऊपर के बच्चों को वैक्सीनेट कर उन्हें संभावित तीसरी लहर के खतरों सो बचाया जा सकता है.
12 साल से कम के बच्चों के लिए वैक्सीन कब तक तैयार हो सकेगी
दूसरी लहर में अधिक तादाद में बच्चे कोविड बीमारी से संक्रमित हुए हैं. इसके बाद उनके सुरक्षा को लेकर देश में चिंता जताई जाने लगी है. नामचीन पीडियाट्रिशियन डॉ रवि सरीखे चिकित्सकों ने तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने की तरफ देश का ध्यान खींचा है. एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी बच्चों के लिए तैयार की जाने वाली वैक्सीन की जरूरत को लेकर कई बार अपनी राय सामने रखी है. यही वजह है कि बच्चों के लिए भारत बायोटैक ने वैक्सीन तैयार करने के लिए क्लिनिकल ट्रायल भी शुरू कर दिया है.
एम्स के चिकित्सक डॉ संजय राय ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि तीन महीनों के बाद बच्चों के वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल पूरा कर लिया जाएगा. दरअसल कोवैक्सीन का ट्रायल दो साल और उसके ऊपर के बच्चों पर किया जा रहा है और उसके नतीजे अभी तक सकारात्मक बताए जा रहे हैं. लेकिन कोविड की तीसरी लहर 6 से 8 सप्ताह के बीच आने की खबरों की वजह से बच्चों के वैक्सीन को लेकर लोगों की चिंता चरम पर है. इसकी वजह खास तौर पर इसलिए भी है क्योंकि दूसरी लहर के दरमियान पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशन के रूप में एमआईएस(सी) की गंभीर बीमारी सामने आ रही है.
बच्चों के वैक्सीन के ट्रायल में देरी क्यों?
बच्चों का वैक्सीनेशन उनके भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए ही नहीं है बल्कि हर्ड इम्युनिटी के लिए भी ये बेहद जरूरी है. पहली लहर में बच्चों का संक्रमित होना बहुत कम देखा गया था, लेकिन दूसरी लहर में बच्चे भी अच्छी संख्या में संक्रमित हुए हैं और इसकी वजह वायरस का इम्युनिटी को इवेड करना यानि कि चकमा देना है. इसलिए वैक्सीन नहीं लगने की वजह से बच्चों पर खतरा ज्यादा है.
दुनियां के कुछ देशों में जैसे कि यूएसए, सिंगापुर, जापान, इजरायल और यूरोप के कुछ हिस्सों में 12 साल से ऊपर के बच्चों को वैक्सीन देने की अनुमति दी जा चुकी है. इन देशों में दी जा रही वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल साल 2020 के अंत में शुरू हो पाया था. फाईजर बायोटेक, मॉर्डना और साइनोफॉर्म जैसी वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल साल 2020 के अंत में ही शुरू हो पाया था. इन देशों में एमरजेंसी यूज का परमिशन मामले की गंभीरता को देखते हुए दिया जा चुका है.
चीन ने एक कदम आगे बढ़कर होम मेड वैक्सीन साइनोफॉर्म को 3 साल के बच्चों के इस्तेमाल के लिए परमिट कर दिया है. भारत में भारत बायोटैक का क्लिनिकल ट्रायल जारी है जो दो साल से ऊपर के बच्चों के लिए वैक्सीन बनाने का दावा कर रहा है. भारत सरकार ने हाल ही में मार्डर्ना को परमिशन दे दिया है. वहीं फाइजर और बायोटैक से बात चल रही है जो 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए वैक्सीन तैयार कर चुके हैं.
कहा जा रहा है कि साल 2021 के अंत तक ही देश में बच्चों के लिए वैक्सीन की उपलब्धता रहेगी. लेकिन इस दरमियान तीसरी लहर का सामना करना पड़ा और बच्चों पर इसका असर व्यापक रूप से हुआ तो बच्चों के लिए तैयार की जाने वाली वैक्सीन में देरी को लेकर सवाल उठना लाजिमी होगा. वैसे नामचीन वायरोलॉजिस्ट जैकब जॉन और चमकी बुखार पर विशेष तौर पर काम करने वाले चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ अरुण शाह दावा करते हैं कि तीसरी लहर का मैग्नीट्यूड कम होगा और इसकी वजह व्यापक तौर पर वैक्सीनेशन और बच्चों में लगभग समान रूप से एंटीबॉडी तैयार होना है. ज़ाहिर है नेचुरल इंफेक्शन की वजह से भी व्यापक पैमाने पर एंटीबॉडी तैयार होने की बात कही जा रही है जो कई लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में कारगर साबित होगा.
बच्चों को वैक्सीनेट करना कितना मुश्किल है?
बच्चों को वैक्सीनेट करना वयस्कों से आसान है. उनके लिए तैयार किए गए प्रिवेंटेबल डिजीज के लिए तैयार किए गए वैक्सीन के परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं. लेकिन पीडियाट्रिक कोविड वैक्सीन का ट्रायल साल 2020 के अंत में ही शुरू हो पाया है. दरअसल बच्चों और वयस्कों के इम्युनिटी में फर्क होता है और उनके लिए वैक्सीन के डोजेज में परिवर्तन करना जरूरी होता है.

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