कोविड के मामले में केरल की स्थिति विस्फोटक क्यों है?

कोविड (Covid) के मामले में केरल (Kerala) की स्थिति लगातार विस्फोटक बनी हुई है

Update: 2021-08-05 13:47 GMT

पंकज कुमार। कोविड (Covid) के मामले में केरल (Kerala) की स्थिति लगातार विस्फोटक बनी हुई है. देश के 50 फीसदी से ज्यादा मामले केरल में रजिस्टर हो रहे हैं. ऐसे में भारत सरकार के 6 सदस्यीय टीम के दौरे के बाद जो कमियां राज्य में सामने आई हैं वो और भी चिंताजनक हैं. भारत सरकार की स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) की 6 सदस्यीय टीम ने राज्य के 8 जिलों का दौरा किया, जहां टोटल पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी से ज्यादा है. राज्य में एक्टिव सर्विलांस की कमी की वजह से लोगों में टेस्टिंग को लेकर बेहद उदासीन रवैया देखा जा रहा है.

टीम को मिली जानकारी के मुताबिक वही लोग टेस्ट के लिए आगे आ रहे हैं जिनमें कोविड के लक्षण साफ-साफ दिखाई पड़ रहे हैं. एक्टिव सर्विलांस की कमी और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग (Contact Tracing) को लेकर उदासीन रवैया ही वहां परेशानी का सबब बना हुआ है. कई जिलों में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग रेशियो 1:1.5 है. वहीं ओवर ऑल रेशियो 1:1.7 है. ज़ाहिर है कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के इस कम अनुपात का मतलब है कि औसतन पांच लोगों के परिवार में भी किसी एक व्यक्ति के कोविड पॉजिटिव पाए जाने पर घर के पांच लोगों की भी जांच नहीं हो पा रही है.
कोविड के बढ़ते मामलों के बीच टेस्टिंग की कमी और भी ज्यादा है चिंताजनक
केरल में RT-PCR और एंटीजन टेस्ट का रेशियो 20:80 है जो वहां के असली हालात बताने के लिए काफी है. आरटीपीसीआर टेस्ट को कोविड की जांच के लिए बेहतर माध्यम बताया जाता है. एंटीजन टेस्ट में निगेटिव आने के बावजूद कई लोग आरटीपीसीआर टेस्ट में कोविड पॉजिटिव पाए जाते हैं. ज़ाहिर है एसिम्टोमैटिक पेशेंट में लक्षण नहीं होने की वजह से वो कैरियर का काम कर सकते हैं. इसलिए राज्य का एंटीजन टेस्ट पर ज्यादा भरोसा हैरानी पैदा करने वाला है. इतना ही नहीं राज्य में इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन और आइसोलेशन सुविधाओं को लेकर लोगों में बेरुखी देखी गई और राज्य सरकार इसे ठीक से लागू करने में विफल नजर आ रही है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक राज्य में सेंट्रल गवर्नमेंट की गाइडलाइंस का ठीक से पालन नहीं हो पा रहा है. वहां ए बी सी और डी जोन में वर्गीकरण किया गया है जहां कोविड के ज्यादा मामलों के बावजूद आवाजाही पर नियंत्रण ठीक नहीं है. कंटेनमेंट और माइक्रोकंटेनमेंट जोन ठीक से प्रभावी नहीं होने की वजह से संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के दूसरे अधिकारी के मुताबिक राज्य में होम आइसोलेशन में रह रहे कोरोना मरीजों की निगरानी में लोकल प्रशासन द्वारा लापरवाही बरती जा रही है. ज़ाहिर है इन हालातों के मद्देनजर भारत के स्वास्थ्य मंत्री ने केरल के मुख्यमंत्री से बात कर वहां की स्थितियों को बताया और केन्द्र सरकार की तरफ से भरपूर मदद की पेशकश की है.
सीरोपॉजिटिविटी रेट में सबसे नीचे रहने के बावजूद केरल का रवैया हैरान करने वाला है
आईसीएमआर ने हाल ही में किए गए चौथे सर्वे में पाया कि केरल सीरोपॉजिटिविटी रेट के मामले में सबसे निचले पायदान पर है. यहां सीरोपॉजिटिविटी रेट महज 44 फीसदी पाई गई है. इसका मतलब है कि राज्य के 56 फीसदी लोग संक्रमण के शिकार हो सकते हैं. ज़ाहिर है जहां संभावित संक्रमण की संख्या 56 फीसदी हो वहां कोविड को लेकर ढ़ीला रवैया हैरानी पैदा करने वाला है. स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा जांच में पाए गए एक्टिव सर्विलांस में कमी और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के कम अनुपात राज्य सरकार के लचर रवैये की कहानी बयां करते हैं.
ऐसे में केरल भले ही पहली लहर को ठीक से मैनेज करने की वजह से प्रसिद्धी पा गया हो लेकिन कोविड की दूसरी लहर का परिणाम पूरे देश के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. केरल सरकार ने बुधवार को कोविड के नियमों में थोड़ी ढील देकर थोड़ी चिंता और बढ़ दी है, कि कहीं केरल सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम राज्य को छोड़कर देश के लिए भी विस्फोटक स्थितियां ना पैदा कर दे.


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