आईपीएल कोचिंग के मामले में आत्मनिर्भर क्यों नहीं बन पाया है भारत?

आईपीएल का मौजूदा सीजन अपने 15वें वसंत में है

Update: 2022-03-31 16:49 GMT

विमल कुमार

आईपीएल का मौजूदा सीजन अपने 15वें वसंत में है और पिछले डेढ़ दशक की यात्रा में दुनिया के क्रिकेट के सबसे लोकप्रिय टूर्नामेंट ने कई बदलाव देखें हैं लेकिन, एक बात जो पहले सीजन से लेकर अब तक एक जैसी है और उसमें सिर्फ थोड़ा बदलाव है तो वो ये कि कोचिंग के मामले में तब भी भारत आत्म-निर्भर नहीं था और आज भी नहीं है. कहने को तो आईपीएल का मतलब इंडियंन प्रीमियर लीग है और यहां पर सबसे ज्यादा मौके भी भारतीय खिलाड़ियों को ही मिलते हैं लेकिन जब बात कोच और सपोर्ट स्टाफ की आती है तो यहां अब भी विदेशियों का ही दबदबा है.
आईपीएल के इतिहास में यह पहला मौका है जब एक नहीं बल्कि तीन टीमों के हेड कोच भारतीय हैं. ऐसा इसलिए भी मुमकिन हुआ कि क्योंकि इस बार 8 की बजाए 10 टीमें खेल रहीं हैं. इसके बावजूद कड़ा तथ्य तो यही है कि 70 फीसदी टीमों की कमान अभी भी विदेशी कोच के हाथों में ही है. ऐसा अपने आप में हैरान करने वाला नजारा क्योंकि दुनिया भर में किसी भी देश के पास 38 फर्स्ट क्लास टीमें नहीं है. भारत में हर टीमों के पास अपना-अपना कोच. बावजूद इसके हमारे देशी कोच आईपीएल के मालिकों को अब तक प्रभावित करने में नाकाम ही दिखे हैं. बहुत मुश्किल से उन्हें सहायक कोच की भूमिका मिल पाती है.
टूर्नामेंट के इतिहास की सबसे कामयाब टीम मुंबई इंडियंस पर नजर दौड़ाई जाए तो सचिन तेंदुलकर सदाबहार आइकन की भूमिका में है. तेंदुलकर के पुराने साथी जहीर खान डायरेक्टर ऑफ क्रिकेट ऑपरेशंस के रोल में हैं. माहेला जयवर्दने भले ही टीम के हेड कोच हों लेकिन मुंबई ने कोचिंग स्टाफ के मामले में संतुलन हासिल किया है. न्यूजीलैंड के पूर्व दिग्गज पेसर शेन बॉन्ड अगर गेंदबाजी कोच हैं तो जेम्स पैमंट इस टीम से फील्डिंग कोच के तौर पर जुड़े हैं. पॉल चैपमैन मुंबई के कंडीशनिंग कोच हैं तो क्रेग गवंडर, जो विदेशी हैं, हेड फिजियो का रोल संभालते हैं. टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर रॉबिन सिंह बल्लेबाजी कोच की भूमिका में हैं.
वहीं आईपीएल के इतिहास की दूसरी सबसे कामयाब टीम चेन्नई सुपर किंग्स को देखा जाए तो 2009 से ही स्टीफन प्लेमिंग हेड कोच की भूमिका में हैं. पूर्व ऑस्ट्रेलिया बल्लेबाज माइकल हसी पिछले कुछ सालों से बल्लेबाजी कोच बने हुए हैं तो तमिलनाडू और चेन्नई के ही स्थानीय खिलाड़ी लक्ष्मीपति बालाजी भी पिछले कुछ समय से गेंदबाजी कोच हैं. यहां पर बालाजी का साथ देने के लिए धोनी के पसंदीदा एरिक सिमंस को फील्डिंग कोच की जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा टॉमी सिमसेक फिजियो, ग्रेगरी किंग ट्रेनर और लक्ष्मी नारायण हाई परफॉर्मेंस एनालिस्ट के तौर पर टीम से जुड़े हुए हैं, यहां पर साफ-साफ दबदबा विदेशियों का ही दिखता है
कोलकाता नाइट राइडर्स ने भी दो बार आईपीएल ट्रॉफी जीती है और उनके हेड कोच ब्रैंडन मैकलम हैं. इसके अलावा डेविड हसी अगर मेंटॉर की भूमिका में हैं तो जेम्स फॉस्टर फील्डिंग कोच और क्रिस डॉनाल्डसन स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच के तौर पर हैं. कोलकाता ने भी सतुंलन बनाने के लिहाज से शायद टीम इंडिया के पूर्व गेंदबाजी कोच भरत अरुण को उसी भूमिका में रखा है और ओंकार साल्वी सहायक गेंदबाजी कोच हैं. टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर अभिषेक नायर असिस्टेंट कोच हैं तो कमलेश जैन हेड फिजियो और एआर श्रीकांत परफॉर्मेंस एनालिस्ट. यानि यहां भी सपोर्ट स्टाफ में भारतीयों को उचित मौके मिलते दिख रहे हैं.
रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने अपने पूर्व कोच माइक हेसन को क्रिकेट संचालन निदेशक बनाया है. कोच के तौर पर टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाजी कोच संजय बांगर को दूसरी बार हेड कोच बनने का मौका मिला है. टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर श्रीधरण श्रीराम को बल्लेबाजी और स्पिन गेंदबाजी कोच की भूमिका मिली है. एडम ग्रिफिथ इस टीम के गेंदबाजी कोच हैं, एम रंगराजन हेड ऑफ स्काउट और फील्डिंग कोच हैं. टीम इंडिया के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे शंकर बासु स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच हैं. इवन स्पीचली टीम फिजियो हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो यहां पर भी विदेशी दबदबा ही है.
दिल्ली कैपिटल्स के हेड कोच ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोटिंग हैं तो इस बार उनके साथी शेन वॉटसन सहायक कोच की भूमिका में नजर आ रहे हैं. मुंबई और टीम इंडिया के दो पूर्व खिलाड़ी अजीत अगरकर और प्रवीण आमरे सहायक कोच की भूमिका में है वहीं ऑस्ट्रेलिया के ही जेम्स होप्स पिछले कुछ सालों से तेज गेंदबाजी कोच बने हुए हैं.
सनराइजर्स हैदराबाद की टीम जो लगातार कुछ सालों से फिसड्डी साबित हो रही है, उनका विदेशी कोच से मोह टूटने का नाम ही नहीं ले रहा है. हेड कोच के तौर पर फिर से टॉम मूडी की वापसी हुई है जो पिछले साल डायरेक्टर ऑफ क्रिकेट ऑपरेशंस थे. इस टीम में सिर्फ टोकन के तौर पर टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी हेमंग बदानी फील्डिंग कोच के तौर पर हैं नहीं तो असिस्टेंट कोच साइमन कैटिच, स्पिन गेंदबाजी कोच मुथैया मुरलीधरन, तेज गेंदबाजी कोच साउथ अफ्रीका पूर्व तेज गेंदबाज डेल स्टेन तो पहली बार बल्लेबाजी कोच की भूमिका में वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान ब्रायन लारा हैं.
वहीं पंजाब किंग्स की कोच के तौर पर बागडोर फिर से टीम इंडिया के पूर्व कोच अनिल कुंबले के हाथों में हैं. जूलियन वुड बल्लेबाजी सहायक, डेमियन राइट गेंदबाजी कोच और जोंटी रोड्स सहायक कोच के तौर पर हैं, जो सारे विदेशी हैं. हां, इस टीम में प्रभाकर बेरगोंड सहायक फील्डिंग कोच के तौर पर जरुर हैं लेकिन एड्रियन कंडीशनिंग कोच और एंड्रयू लिपस की फिजियो के तौर पर मौजूदगी सपोर्ट स्टाफ में विदेशी दबदबे को ही ब्यान करता है.
अगर राजस्थान रॉयल्स को देखें तो डेवलपमेंट और परफॉर्मेंस डायरेक्टर के तौर पर भारत के जुबिन भरुचा पिछले एक दशक से भी लंबे समय तक इस टीम का हिस्सा हैं लेकिन डायरेक्टर ऑफ क्रिकेट के तौर पर श्रीलंका के पूर्व कप्तान कुमार संगाकारा हैं. पूर्व श्रीलंकाई कप्तान और संगाकारा के साथी लसिथ मलिंगा इस बार गेंदबाजी कोच की भूमिका में हैं तो हाई परफॉर्मेंस कोच के तौर स्टेफन जोन्स भी बने हुए हैं. सहायक कोच के तौर पर ट्रेवर पेनी हैं लेकिन दिलचस्प बात ये है कि पूर्व हेड कोच पैडी अप्टन इस बार टीम एनालिस्ट के तौर पर फिर से राजस्थान का हिस्सा बने हैं. वहीं अमोल मजूमदार, साईराज बहुतुले और दिशांत याज्ञनिक की तिकड़ी बल्लेबाजी कोच, स्पिन गेंदबाजी कोच, और फील्डिंग कोच की भूमिका में बरकरार है.
इस बार पहली बार आईपीएल में शिरकत करने वाली लखनऊ सुपर जायंट्स को मेंटॉर के तौर पर गौतम गंभीर का साथ मिला है तो उनके पुराने साथी विजय दहिया सहायक कोच की भूमिका में हैं. हेड कोच के तौर पर एंडी फ्लावर हों या फिर गेंदबाजी कोच के तौर पर एंडी बिकेल या फील्डिंग कोच के तौर पर रिचर्ड हेलसाल या फिर कंडीशनिंग कोच की भूमिका में वॉरेन एंड्रयूज, यहां भी गैर-भारतीयों की ही तूती बोल रही है.
आईपीएल की एक और नई नवेली टीम गुजरात टाइटंस के डायरेक्टर ऑफ क्रिकेट विक्रम सोलंकी भारतीय ना होकर भारतीय मूल के ब्रिटिश हैं जबकि हेड कोच की भूमिका में उनके पुराने दोस्त आशीष नेहरा हैं. हेड कोच के दिल्ली के पुराने साथी आशीष कपूर स्पिन गेंदबाजी कोच के रोल में हैं तो हैरान करने वाली बात ये है कि आईपीएल में कई टीमों के सथ नाकाम होने के बावजूद टीम इंडिया के पूर्व कोच गैरी कर्स्टन को बल्लेबाजी कोच और मेंटॉर की भूमिका मिल गई है.
पूरी कहानी का मतलब ये है कि अगर आप बड़े नाम हैं और विदेशी हैं तो आईपीएल में आपकी निरंतरता को नतीजों से बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है लेकिन किसी भी भारतीय को अपनी अहमियत को बताने के लिए लगातार खुद को साबित करने का दबाव बना रहता है.

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