आखिर उत्तर कोरिया को हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक पर इतना भरोसा क्यों है?

उत्तर कोरिया (North Korea) के राष्ट्रपति किम जोंग (Kim Jong) के नेतृत्व में 11 जनवरी 2022 को उत्तर कोरिया ने हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) का एक और सफल प्रक्षेपण किया

Update: 2022-01-18 08:42 GMT

ज्योतिर्मय रॉय उत्तर कोरिया (North Korea) के राष्ट्रपति किम जोंग (Kim Jong) के नेतृत्व में 11 जनवरी 2022 को उत्तर कोरिया ने हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) का एक और सफल प्रक्षेपण किया. उत्तर कोरियाई मीडिया के अनुसार, उत्तर कोरिया के राष्ट्रीय रक्षा अकादमी द्वारा किए गए इस प्रक्षेपण का डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (DPRK) के राज्य मामलों के अध्यक्ष और वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया (Workers' Party of Korea – WPK) के महासचिव कॉमरेड किम जोंग-उन ने व्यक्तिगत रूप से अवलोकन किया.

लॉन्च की गई मिसाइल से अलग किए गए हाइपरसोनिक ग्लाइड वारहेड ने 621 किमी की उड़ान भरी, फिर 240 किमी की दर से पार्श्व युद्धाभ्यास (Lateral Maneuver) किया और एक हजार किलोमीटर की कुल सीमा से अधिक समुद्री लक्ष्य को भेदने में सफल रहा. मिसाइल को उत्तर कोरियाई द्वीप से जापान सागर में दागा गया था. दक्षिण कोरियाई सेना के मुताबिक, मिसाइल करीब साढ़े सात हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंचने में सक्षम थी और 60 किमी की ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए वह 700 किमी से अधिक की दूरी पर लक्ष्य को भेदने में सफल रही. इससे एक सप्ताह पहले, 5 जनवरी, 2022 को, डीपीआरके ने सफलतापूर्वक एक हाइपरसोनिक मिसाइल भी लॉन्च किया था, जिसके वारहेड ने 700 किमी की दूरी पर एक लक्ष्य को हिट किया.
विशेषज्ञों ने उत्तर कोरिया को लेकर सतर्क रहने को कहा है
कोरोना महामारी से त्रस्त दुनिया ने देखा है कि कैसे उत्तर कोरिया, भुखमरी के कगार पर रहने के बावजूद, ऐसी तकनीकी क्षमताओं के लिए अनुसंधान और परीक्षण के लिए वित्तीय व्यय करता रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार, मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए 5 और 11 जनवरी को दूसरे और तीसरे प्रकार के हाइपरसोनिक गाइडेड वॉरहेड्स का परीक्षण किया गया था. उत्तर कोरियाई ऐसे उत्पाद मल्टी-एक्सल मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च करते हैं. विभिन्न प्रकार के हाइपरसोनिक आयुधों का निर्माण और परीक्षण अपने आप में सबसे कठिन तकनीकी कार्य है. निश्चित रूप से, यह परीक्षण उत्तर कोरियाई मिसाइल प्रौद्योगिकी के उच्च और उन्नत स्तर को दर्शाता है. कुछ रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस मिसाइल की रेंज अमेरिकी ठिकानों पर हमला करने में सक्षम होने के लिए पर्याप्त नहीं है. लेकिन कुछ अन्य विशेषज्ञों ने सतर्क करते हुए कहा है कि उत्तर कोरियाई मिसाइलों की क्षमताओं को कम करके आंकना गलत होगा, क्योंकि अतीत में उत्तर कोरिया ने इस तरह के अनुमानों का खंडन किया है.
जानकारी के लिए बता दें कि अब केवल रूस के पास अवांगार्ड इंटरकांटिनेंटल मिसाइल सिस्टम (Avangard Intercontinental Missile System) है जिसमें हाइपरसोनिक गाइडेड वॉरहेड (Hypersonic Guided Warhead) है जो अपने सामरिक परमाणु ताकतों के साथ सेवा (Strategic Nuclear Forces) में है. रूस को छोड़कर समान युद्ध प्रणालियों के परीक्षण अब तक केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और अब उत्तर कोरिया द्वारा किए गए हैं. जिन देशों के पास बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, वे निश्चित रूप से ऐसे सिस्टम में रुचि लेंगे.
हाइपरसोनिक युद्धाभ्यास वारहेड की मुख्य विशेषता क्या है?
हाइपरसोनिक मिसाइलें बहुत तेजी से हमला करने में सक्षम हैं. इनकी गति ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक तेज होती है. ये बैलिस्टिक या क्रूज मिसाइल हो सकते हैं. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि हाइपरसोनिक मिसाइलें अभी दुनिया मे उपलब्ध सभी मिसाइल रक्षा प्रणालियों को भेद सकती हैं. "वायुमंडलीय" प्रक्षेपवक्र में उड़ने वाली पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में, मिसाइल रक्षा प्रणालियों द्वारा ऐसे हथियारों का अपेक्षाकृत देर से पता लगता है. इस तरह के वॉरहेड को एंटी-मिसाइल से हिट करना भी काफी मुश्किल है. जो युद्ध की स्थिति में घातक साबित हो सकता है.
इस प्रकार के हाइपरसोनिक वारहेड्स को मारने के लिए आत्यधिक कुशल और हाइपरसोनिक एंटीमिसाइल का उपयोग करना पड़ेगा, जो अभी भी कागजों तक ही सीमित है. विशेषज्ञों का मानना है कि लेजर की मदद से इन वारहेड्स को लगभग तुरंत ही मार गिराया जा सकता है, लेकिन इतनी शक्ति के लेजर का निर्माण अभी तक संभव नहीं हो पाया है, इन पर शोध जारी है. वैज्ञानिकों का कहना है की, ऐसे उच्च गति वाले वारहेड्स के रास्ते में कृतिम बादल तैयार किया जा सकता है, जो यांत्रिक अवरोध के रूप में काम करेंगे. लेकिन यह बेहद महंगा है और इसके लिए अविश्वसनीय संख्या में बैराज मिसाइल (Barrage Missile) लाइनों के निर्माण की आवश्यकता होती है. आज दुनिया में इसे एक अनोखे और शक्तिशाली हथियार के रूप में जाना जाता है. इस हथियार के बारे में हम कह सकते हैं कि वर्तमान में उपलब्ध आधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली इसे ट्रैक और हिट करने में सक्षम नहीं है.
उत्तर कोरिया को ऐसे मिसाइल सिस्टम की आवश्यकता क्यों है?
संभवतः प्योंगयांग किसी भी ऐसे लक्ष्य को परमाणु हथियार से मारने की गारंटी देना चाहेगा जो सैन्य संघर्ष की स्थिति में मिसाइलों की सीमा के भीतर होगा. ऐसा लगता है कि वर्तमान में जिन मिसाइलों का परीक्षण किया जा रहा है, वे 1,000 किमी तक की दूरी पर वस्तुओं तक "पहुंच" सकती हैं. इसका मतलब है कि पूरे दक्षिण कोरिया के साथ-साथ लगभग पूरे जापान और कोरियाई प्रायद्वीप तक इसकी पहुंच है. स्थान सुनिश्चित होने पर, ऐसा परमाणु हथियार एक ही समय में जहाजों के एक समूह को नष्ट करने में सक्षम है. यह निश्चित रूप से कहा नहीं जा सकता है कि इस प्रकार का होमिंग वारहेड्स (Homing Warheads) उत्तर कोरिया ने बनाया है या नहीं. लेकिन अगर उत्तर कोरिया ने हाइपरसोनिक तकनीकों में महारत हासिल कर ली है, तो ऐसे वॉरहेड न केवल पृथ्वी की सतह पर कुछ निर्देशांक पर सटीक रूप से शूट करने में सक्षम होंगे, बल्कि लंबे समय में जटिल और गतिमान लक्ष्यों को भी मार सकेंगे.
हाइपरसोनिक तकनीक पर उत्तर कोरिया के बढ़ते आग्रह का एक संभावित कारण यह है कि प्योंगयांग के पास अभी बड़ी संख्या में परमाणु हथियार नहीं हैं. युद्ध की स्थिति मे डीपीआरके का शस्त्रागार संभावित संख्या से काफी छोटा है. इसलिए, डीपीआरके अपने मिसाइल बल को लक्ष्य पर निशाना साधने में सटीक और विनाशकारी बनाना चाहेगा और इसके लिए सबसे विश्वसनीय तरीका एक हाइपरसोनिक निर्देशित वारहेड है, जिसे आज मार गिराना लगभग असंभव है. इस प्रकार, उत्तर कोरिया जवाबी हमले की अनिवार्यता के मुद्दे को हल कर रहा है. दक्षिण कोरियाई विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर कोरिया के अब तक के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों का लक्ष्य अमेरिकी हमलों से खुद को बचाना है. लेकिन, भविष्य में, ये कार्यक्रम पड़ोसी देशों की रक्षा के लिए एक चुनौती बन सकते हैं. सवाल यह है कि खाद्यान्न की कमी से जूझ रहे उत्तर कोरिया को इस तरह के प्रयोग के लिए पैसा कहां से मिलता है? क्या वाकई उत्तर कोरिया को अपनी सुरक्षा के लिए इन हथियारों की जरूरत है? क्या उत्तर कोरिया किसी अन्य देश के लिए इन हथियारों का विकास और परीक्षण कर रहा है?
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