कट्टरवादियों को हिंदू-मुस्लिम की दोस्ती से दिक्कत क्यों ?
निदा रहमानमैं मुस्लिम महिला हूं और मेरे ज़्यादातर दोस्त ग़ैर मुस्लिम हैं, जिनमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं.
निदा रहमान निदा रहमानमैं मुस्लिम महिला हूं और मेरे ज़्यादातर दोस्त ग़ैर मुस्लिम हैं, जिनमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं. हम एक दूसरे के साथ घूमते फिरते हैं, खाते पीते हैं और एक दूसरे के दुख सुख में शामिल रहते हैं. मेरी सबसे प्यारी और करीबी सहेली पारुल चंद्रा और अनुपमा दुबे है. बचपन का दोस्त है नाम है रवि रावत. जिसके साथ मैं आधी रात को भी कहीं जा सकती हूं. ना मेरे घर में किसी को एतराज होता है ना ही मेरे शौहर को. नौकरी के दौरान भी कई दफ़ा ऐसा हुआ कि मुझे मेरे दोस्त घर छोड़ देते थे.
आप कहेंगे इसमें नया क्या है, ये तो बहुत आम से बात है. लेकिन अब ये आम से बात कहां रही है. कुछ घटनाएं हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या वाकई हम अब पहले से लिबरल रहे हैं. अपने बारे में बताने का मकसद इतना था कि मेरठ और कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में दो ऐसी घटनाएं हुई जो सोचने पर मजबूर कर रही हैं. मेरठ में हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने हिंदू लड़की से उसके मुस्लिम दोस्त की पिटाई करवाई. दोनों एक दूसरे के दोस्त थे और एक जगह कोल्ड ड्रिंक पी रहे थे.
हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं को इस बात से आपत्ति हुई, उन्होंने मुस्लिम लड़के को पीटा और जब इससे भी जी ना भरा तो लड़की से भी लड़के को चप्पल पड़वाईं. हालांकि लड़की कहती रही कि वो उसका दोस्त है, लेकिन धर्म की रक्षा करने निकलने गुंडों ने कुछ ना सुना. वीडियो वायरल हुआ तो मामले का खुलासा हुआ, जिसके बाद पुलिस ने लड़की के घरवालों की शिकायत पर लड़के पर मामला दर्ज कर लिया है. लड़की का कहना है कि हिंदू जागरण मंच ने जबरन हंगामा किया है .
हाईटैक सिटी बेंगलूरू में भी घटी ऐसी ही एक घटना
वहीं, दूसरा मामला हाईटैक माना जाने वाले शहर बेंगलुरु का है, जहां अलग-अलग धर्मों के एक पुरुष और महिला को दो बदमाशों ने प्रताड़ित किया. उन्होंने बाइक सवार युवक-युवती के साथ गाली-गलौज की और मारपीट की. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. घटना बेंगलुरु के डेयरी सर्कल के पास हुई. मीको लेआउट पुलिस ने घटना की पुष्टि की है और मामला दर्ज कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.
वायरल वीडियो में बदमाशों को गाली देते हुए, थप्पड़ मारते हुए और महिला पुरुष को शर्मिंदा करते हुए देखा जा सकता है. इसके बाद, उन्होंने उन्होंने महिला को बाइक से उतरने के लिए मजबूर किया. वीडियो में एक आरोपी को महिला से पूछते हुए सुना जा सकता है, 'ऐसे आदमी के साथ घूमने में तुम्हें शर्म नहीं आती? क्या तुम नहीं जानती हो कि हम किस तरह के समय में रह रहे हैं? आरोपियों को उनके समुदाय की एक महिला को बाइक पर ले जाने की 'हिम्मत' करने के लिए उस व्यक्ति के साथ मारपीट और गाली देते हुए भी देखा गया है.
वीडियो में महिला को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह शादीशुदा है और उसके पति को पता है कि वह किसी दूसरे पुरुष के साथ यात्रा कर रही है. इसके बाद महिला को मजबूर होकर आरोपी को अपने पति का फोन नंबर देना पड़ा.
धर्म की रक्षा के नाम पर होती रहीं ऐसी वारदातें
ये कोई पहली घटनाएं नहीं हैं, इससे पहले भी धर्म की रक्षा के नाम पर इस तरह की वारदातें सामने आती रही हैं. ये कौन लोग हैं, जो इस देश की हवा में ज़हर घोल रहे हैं, कहां से आ रही है इनमें इतनी हिम्मत, कौन हैं जो तय कर रहे हैं हमारी भेषभूषा, हमारा रहन सहन हमारा खानपान ? ऐसे बहुत से सवाल तैर रहे हैं ज़हन में. ये सवाल अचानक नहीं आ गए हैं, सामने बल्कि रोज़ाना देश में होने वाली घटनाएं हैं जो बताती हैं कि मुल्क़ की हवा को ज़हरीला किया जा रहा है.
धर्म की चाशनी में सांप्रदायिकता, कट्टरवाद फ़ैलाया जा रहा है. धर्म के नाम पर मोरल पुलिसिंग करने वालों के हौसले इतने बुलंद कैसे हो गए हैं. इन्हें कहां से संरक्षण प्राप्त है. कौन है जो इनहें दाना पानी दे रहा हैं. मैं मुस्लिम हूं, मेरे तमाम दोस्त हिंदू हैं. मैं उनके साथ उतनी ही सुरक्षित हूं, जितनी कि अपने मज़हब के दोस्तों के साथ. दोस्ती का ये कौन से नया पैमाना बनाया गया है. हम तो हमेशा से मिलजुलकर ही रहते आए हैं. फिर हर जगह से साज़िश की बू क्यों आने लगी है.
लव जिहाद से लेकर सुल्ली डील्स तक ये कौन से घिनौना समाज हम बना रहे हैं. हम इस देश की हवा में इतना ज़हर क्यों घोल दे रहे हैं. राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए, अपने फायदे के लिए अपनी तहज़ीब से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है. लड़कियों के कंधे पर बंदूक रखकर अपना फायदा देखा जा रहा है. धर्म की आग पर नफ़रत की रोटियां सेंकी जा रही हैं.
मेरठ के आरोपियों के बुलंद हौसले
बेंगलुरु में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया है लेकिन मेरठ वालों के हौसले बुलंद हैं. वो निकल पड़े होंगे किसी दूसरे शिकार पर. ऐसे मामले में चाहिए की पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई करे, बिना किसी दवाब के बिना किसी भेदभाव के. हम किसी के घूमने फिरने, उसके खाने पीने या फिर दोस्ती के लिए कोई नियम कायदे नहीं बना सकते हैं. ये हमारी आज़ादी है ये हमारा अधिकार है. किसी को हक़ नहीं है कि हमसे हमारा अधिकार छीने या फिर इस देश की फिज़ा में ज़हर घोले.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)