राज ठाकरे की धमकी ने क्यों बना दिया महाराष्ट्र में दहशत का माहौल?
अज़ान को लेकर इन दिनों महाराष्ट्र की राजनीति पूरे उफान पर है
नरेन्द्र भल्ला
अज़ान को लेकर इन दिनों महाराष्ट्र की राजनीति पूरे उफान पर है. महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे को अज़ान की आवाज़ पसंद नहीं है,इसलिये उन्होंने राज्य सरकार को धमकी दी है कि 3 मई तक सभी मस्जिदों से लाउड स्पीकर हटा दिये जायें वरना उसके नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहें.महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए ये धमकी गले की फांस बनती दिख रही है.लेकिन इस बीच शिव सेना नेता संजय राउत ने बगैर नाम लिए राज ठाकरे पर निशाना साधा है कि वे महाराष्ट्र में नए 'हिन्दू ओवैसी' बन रहे हैं.बीजेपी ने यूपी में जैसे असदुद्दीन ओवैसी का इस्तेमाल किया,वैसा ही प्रयोग अब वह महाराष्ट्र में भी आजमाना चाहती है.
राज ठाकरे की हिंदुत्व वाली राजनीति पर किसी को आपत्ति नहीं है लेकिन सवाल उठता है कि मस्जिदों से लाउड स्पीकर हटाने का फरमान जारी करने और ऐसा न होने पर राज्य का साम्प्रदायिक माहौल खराब करने की धमकी देने का अधिकार आखिर उन्हें किस कानून ने दिया है? दरअसल,मुंबई की मस्जिदों में अवैध रुप से लगे लाउड स्पीकरों को हटाने की मांग सबसे पहले बीजेपी नेताओं ने ही उठाई थी लेकिन पिछले हफ़्ते भर में राज ठाकरे ने इसे पूरी तरह से हथिया लिया है.मस्जिद पर लगे लाउड स्पीकर को हटाने का अल्टीमेटम देते हुए राज ठाकरे ने कहा है कि " नमाज के लिए रास्ते और फुटपाथ क्यों चाहिए? घर पर पढ़िए.प्रार्थना आपकी है, हमें क्यों सुना रहे हो?अगर इन्हें हमारी बात समझ नहीं आती तो आपकी मस्जिद के सामने हनुमान चालीसा बजाएंगे.राज्य सरकार को हम कहते हैं कि हम इस मुद्दे से पीछे नहीं हटेंगे.आपको जो करना है करो." उन्होंने ये भी कहा कि " ऐसा कौन सा धर्म है जो दूसरे धर्म को तकलीफ देता है. हम होम डिपार्टमेंट को कहना चाहते हैं,हमें दंगे नहीं चाहिए.3 तारीख तक सभी लाउडस्पीकर मस्जिद से हटने चाहिए,हमारी तरफ से कोई तकलीफ़ नहीं होगी."
राज ठाकरे की भाषा से बिल्कुल साफ है कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी,तो वे मुंबई समेत प्रदेश के अन्य शहरों में साम्प्रदायिक आग की चिंगारी सुलगाने के लिए एकदम तैयार बैठे हैं.अब सरकार की मुश्किल ये है कि वो प्रदेश में अमन -चैन का माहौल कायम रखने के लिए आखिर क्या करे. रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउड स्पीकर के इस्तेमाल पर लगी पाबंदी को तो सरकार कड़ाई से लागू करवा सकती है लेकिन कानून के मुताबिक वह किसी एक खास धर्म के धार्मिक स्थलों से इसे हटाने का आदेश नहीं दे सकती.अगर मस्ज़िद से लाउड स्पीकर उतरेंगे,तो फिर मंदिर, गुरुद्वारे और चर्च से भी उन्हें हटाना होगा. ऐसा फैसला लेने के लिए राज्य सरकार को नया कानून बनाना होगा.लेकिन सवाल ये है कि क्या बीजेपी और अन्य हिन्दू संगठन इसके लिए तैयार होंगे?
बड़ा खतरा तो ये है लाउड स्पीकर के बहाने अल्पसंख्यकों को डराने-दबाने की ये सियासत महाराष्ट्र के बाद अन्य राज्यों में भी फैलने लगी है.गुजरात,मध्य प्रदेश और राजस्थान के छोटे शहरों-कस्बों से भी ऐसी खबरें आने लगी हैं कि मस्जिदों से लाउड स्पीकर हटाने के लिए मुस्लिमों को धमकाया जा रहा है. समाज को बांटने वाली ये राजनीति बेहद खतरनाक अंजाम की तरफ आगे बढ़ रही है लेकिन बदकिसमती तो ये है कि कानून बनाने वाले जिन हाथों पर इसे रोकने की जिम्मेदारी है,वे खुद ही इसे बढ़ावा दे रहे हैं.अब ऐसे में सिर्फ देश की सर्वोच्च अदालत ही बचती है,जो साम्प्रदायिक दंगे होने के खतरे को देखते हुए इस मसले पर खुद ही संज्ञान लेकर सभी धार्मिक स्थलों के लिए समान आदेश पारित करे.