आधे से अधिक वोटिंग खत्म होते ही अचानक बीजेपी पर क्यों हमलावर हो गईं मायावती?

उत्तर प्रदेश में पांचवें चरण के मतदान से पहले बीएसपी प्रमुख मायावती अचानक बीजेपी के खिलाफ आक्रामक हो गई हैं

Update: 2022-02-28 05:17 GMT
यूसुफ़ अंसारी.
उत्तर प्रदेश में पांचवें चरण के मतदान से पहले बीएसपी प्रमुख मायावती (Mayawati) अचानक बीजेपी के खिलाफ आक्रामक हो गई हैं. हालांकि चार चरणों के मतदान तक वो बीजेपी के बजाय मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के खिलाफ ज्यादा आक्रामक थीं. लेकिन शनिवार को मायावती ने अपने दलित और मुस्लिम मतदाताओं से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Aditynath) को उनकी गोरखपुर की सीट पर ही हराने की अपील की. साथ उन्होंने ही योगी सरकार पर मुसलमानों के साथ भेदभाव करने के गंभीर आरोप भी लगाए. पूरे चुनाव में पहली बार मायावती ने योगी आदित्यनाथ पर सीधा हमला बोला है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ़ मायावती के तेवर हैरान करने वाले हैं. इस चुनाव में मायावती पहली बार बीजेपी के बड़े नेताओं के खिलाफ आक्रामक दिखी हैं. अभी तक वो अखिलेश यादव के खिलाफ ही ज्यादा आक्रामक दिख रही थीं. क्या यह मायावती की बदली हुई चुनावी रणनीति है, कोई मजबूरी है या फिर चुनाव में खुद को और अपनी पार्टी को प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश है.
इसे समझने के लिए कई पहलुओं पर पर गौर करना होगा. पूरे चुनाव में मायावती बहुत कम सक्रिय रही हैं. जहां पहले चरण के मतदान से पहले योगी आदित्यनाथ 37, अखिलेश यादव 24 चुनावी रैलियां कर चुके थे वहीं मायावती ने सिर्फ तीन रैलियां ही की थीं. इससे उन पर चुनाव में गंभीरता से नहीं लड़ने के आरोप लग रहे थे. चौथे चरण के बाद अचानक वो आक्रामक रूप से सक्रिय हो गईं हैं.
योगी पर क्या कहा
बीएसपी प्रमुख मायावती ने शनिवार को दावा किया कि उनकी पार्टी के चुनाव निशान 'हाथी' ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नींद उड़ा रखी है. योगी अपने हर भाषण में हाथी का जिक्र करते हैं. ग़ौरतलब है कि गोरखपुर में छठे चरण में तीन मार्च को मतदान होगा और योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
योगी पर तीखा हमला करते हुए मायावती ने कहा, "योगी जी को उनके 'मठ' में वापस उनके परिवार के पास भेज दो. उन्होंने बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन किया कुछ नहीं.'' उन्होंने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, ''अपनी जातिवादी संकीर्ण सोच के कारण, उन्होंने अनुसूचित जाति, जनजाति और अत्यंत पिछड़े लोग के विकास को नजरअंदाज कर दिया. उन्होंने मुस्लिम समुदाय के विकास पर ध्यान केंद्रित नहीं किया और मुसलमानों के प्रति द्वेष की भावना के तहत उन्हें फर्जी मामलों में फंसाया और उजाड़ने और तबाह करने का पूरा पूरा प्रयास किया है."
योगी सरकार पर मुसलमानों के खिलाफ काम करने के आरोप
मायावती ने योगी सरकार पर कानून व्यवस्था को ठीक करने के नाम पर बड़े पैमाने पर मुसलमानों का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया. मायावती पहली बार योगी और उनकी सरकार के मुस्लिम विरोधी रवैये पर जमकर बरसीं. उन्होंने कहा, "उनके पास कहने और बोलने के लिए कुछ नहीं होता है, तो वह बोलते हैं कि हमने कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए इतने मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई की है. लेकिन जो गैर मुस्लिम माफिया हैं वह उनको कभी नजर नहीं आते? नेपाल सीमा पर देवीपाटन में गैर-मुस्लिम माफिया भरे पड़े हैं क्या वे उनको नजर नहीं आते? उनके खिलाफ वह कार्रवाई नहीं करते हैं, उनको केवल मुस्लिम समुदाय और कमजोर वर्ग के लोग नजर आते हैं. यही लोग उनको अपराधी नजर आते हैं. यदि अपराध किसी एक व्यक्ति ने किया है तो उसकी सजा पूरे समाज को नहीं देनी चाहिए. यदि एक व्यक्ति खराब है तो पूरे मुस्लिम समाज को शक की नजर से देखेंगे? यह ठीक नहीं हैं."
बीजेपी से सांठगांठ पर सफाई
पांचवें चरण के मतदान से पहले मायावती ने उनके और उनकी पार्टी के बीजेपी के साथ गुप्त समझौते के आरोपों पर भी सफाई दी है. या यूं कहा जाए कि उन्हें इस मुद्दे पर सफाई देने को मजबूर होना पड़ा है. इस चुनाव में मायावती का बीजेपी की तरफ सॉफ्ट कॉर्नर देखते हुए बीएसपी को बीजेपी की बी टीम कहा जा रहा है. शनिवार को मायावती ने इस पर सफाई देते हुए पलटवार किया. मायावती ने उल्टे पूछा कि बीएसपी अगर बीजेपी की बी टीम थी, तो फिर सपा और कांग्रेस ने पार्टी के साथ मिलकर चुनाव क्यों लड़ा था. मायावती ने कहा कि बसपा के दलितों व मुसलमानों की स्थिति को लेकर गृह मंत्री के बयान के बाद मीडिया और विरोधियों ने उनकी पार्टी को बीजेपी की बी टीम बताना शुरू कर दिया है. मायावती ने इस आरोप को बेबुनियाद बताते हुए उल्टे बीजेपी से सांठगांठ के लिए समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह को कटघरे में खड़ा कर दिया.
मुलायम पर हमला
मायावती ने मुलायम सिंह पर बीजेपी के मददगार होने का आरोप लगाया. मायावती ने कहा कि मुसलमानों ने मुलायम सिंह को वोट देकर कई बार मुख्यमंत्री बनाया. लेकिन मुलायम सिंह ने लाकसभा में मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद देकर बीजेपी की मदद की. मायावती यहीं नहीं रुकीं. वो आगे बढ़कर बोलीं कि 2003 में बीजेपी के साथ जब उनक मिलीजुली सरकार गिर गई थी तो मुलायम सिंह यादव ने तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपेयी से आशीर्वाद लेकर बीजेपी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई थी. मायावती ने ये भी याद दिलाया कि बीजेपी से निकाले जाने के बाद बाबरी मस्जिद गिराने के दोषी रहे कल्याण सिंह को मुलायम सिंह ने कैसे गले लगाया था. उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. बीजेपी और सपा पर मायावती का ये बराबर का हमला हैरान करने वाला है. बीच चुनाव में अचानक उनका इस तरह आक्रामक होना कई सवाल खड़े कर रहा है.
अमित शाह और मायावती की जुगलबंदी
ग़ौरतलब है कि चौथे चरण के मतदान से एक दिन पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक टीवी चैनल को दिए गये साक्षात्कार में कहा था कि चुनाव में बीएसपी की प्रासंगिकता ख़त्म नहीं हुई है. मायावती की ज़मीन पर अपनी पकड़ तो है, मगर यह सीट में कितना बदलेगी, यह उन्हें मालूम नहीं है. शाह ने यह भी कहा था कि दलितों के साथ बड़े पमाने पर मुसलमान भी बीएसपी को वोट दे रहे हैं. लेकिन ये सीटों में कितना बदलेगा, इस बारे में वो कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकते. इसके जबाव में मतदान वाले दिन मायावती ने बीएसपी की तारीफ़ करने को अमित शाह की महानता बताया था. तब सवाल उठे थे कि आख़िर अमित शाह को बीएसपी की तारीफ क्यों करनी प़ड़ रही है और इस तारीफ से मायावती खुश क्यों हैं? इसके बाद बीएसपी और बीजेपी के बीच चुनाव के बाद की परिस्थितियों के लिए गुप्त समझौते की अटकले लगने लगी थीं.
बीएसपी क्यों है शक के घेरे में
मायावती भले ही बीजेपी से सांठगांठ के आरोपों से इनकार कर रही हों. लेकिन बीजेपी की मदद से वो तीन बार मुख्यमंत्री बनी हैं. ये एक सच्चाई है. इसे झुठलाया नहीं जा सकता. इसी वजह से उसकी नीयत पर सवाल उठ रहे हैं. चुनाव में अब तक मायावती का सपा के प्रति आक्रामक और बीजेपी के प्रति नरम रुख इस शक को बढ़ाता रहा. चार चरणों तक मायावती चुनाव रैलियों से दूर रहीं. ट्विटर और सोशल मीडिया पर ही सक्रिय रहीं. इन चुनावों में बीजेपी लगातार सपा पर हमलावर दिखीं. मायावती ने पहले चरण से लेकर चौथे चरण की वोटिंग तक सिर्फ 8 बार राजनीतिक बयान जारी किए. 6 बयानों में उन्होंने समाजवादी पार्टी के गुंडा राज और भ्रष्टाचार से जनता को बचने की सलाह दी. सिर्फ दो बार ही बीजेपी सरकार पर निशाना साधा. ऐसे में सवाल उठ रहे थे कि मायावती ने बीजेपी सरकार से ज्यादा विपक्ष में बैठी सपा और अखिलेश यादव पर निशाना क्यों साध रही थीं?
बहरहाल अब मायावती योगी सरकार पर हमलावर हो रही हैं. अगले चरणों में उनके इसी तरह तीखे तेवर और बीजेपी पर जोरदार हमले देखने को मिलने की उम्मीद है. ऐसे में ये सवाल उठना लाज़िमी है कि मायावती को चार चरणों के मतदान के बाद ही क्यों याद आया कि योगी सरकार कानून व्यवस्था के नाम पर मुसलमानों का उत्पीड़न करती रही हैं. ये भी अहम सवाल है कि मायावती को अमित शाह के बयान के बाद ही क्यों एहसास हुआ कि वो और उनकी पार्टी चुनाव में पूरी तरह अलग-थलग नहीं पड़े हैं. ऐसा लगता है कि मायावती ख़ुद को और अपनी पार्टी को चुनाव में प्रासंगिक बनाने के लिए पहले से ज्यादा सक्रिय और बीजेपी के खिलाफ आक्रामक हो रही हैं.
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