नीति आयोग के सदस्य डॉ पॉल ने क्यों कहा देश में बद से बदतर हो गई है कोरोना की स्थिति?
भारत में फरवरी के मध्य में ही कहा जाने लगा था कि कोरोना अब फेज आउट होने वाला है, लेकिन
भारत में फरवरी के मध्य में ही कहा जाने लगा था कि कोरोना अब फेज आउट होने वाला है, लेकिन मार्च के अंत में स्थितियों की समीक्षा कोरोना के बदतर स्थितियों की गवाही दे रही हैं. नीति आयोग के सदस्य और कोविड के साथ लड़ाई में सरकार की ओर से नीति बनाने वाले डॉ वी. के. पॉल ने खुद वर्तमान परिस्थितियों को बद से बदतर बताया है. डॉ पॉल के ऐसा कहने की खास वजहें हैं और 6 से आठ राज्यों की स्थितियां वापस बदतर होने लगी हैं इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है.
साल 2020 के मध्य सितंबर में कोरोना के नए केसेज 94,372 दर्ज हुए थे जो अब 30 मार्च को 56,211 दर्ज हो रहे हैं. इतना ही नहीं एक्टिव केसेज की संख्या एक लाख से नीचे पहुंच चुकी थी जो अब पांच लाख चालीस हजार के पास पहुंच चुकी है. फरवरी के मध्य में मरने वालों की संख्या देश में 77 तक पहुंच गई थी जो अब रोजाना 271 डेथ केसेज के रूप में तब्दील हो चुकी है.
कोविड प्रोटोकॉल को कड़ाई से अपनाने की जरुरत
डॉ वी के पॉल के मुताबिक देश के तमाम राज्यों के हर जिले को सावधान रहने की जरुरत है और इसके लिए लोगों को कोविड के लिए बताए गए सुरक्षा उपायों को गंभीरता से अपनाने की सलाह दी गई है. डॉ पॉल ने मास्क को बेहद जरूरी बताते हुए सोशल वैक्सीन की संज्ञा दी और कहा कि मास्क कोविड के खतरे को 70 फीसदी कम करता है. ज़ाहिर है डॉ पॉल वैक्सीन के साथ-साथ कोविड प्रोटोकॉल की महत्ता पर जोर दे रहे थे. दरअसल भारत में रिकवरी रेट 94 फीसदी से ज्यादा है वहीं फैटेलिटी रेट अभी भी 1.4 फीसदी के आसपास है. लेकिन कोविड संक्रमण की बेकाबू रफ्तार चिंता का सबब बन चुका है.
महाराष्ट्र का पॉजिटिविटी रेट 23 फीसदी है, पंजाब का 9 फीसदी. छत्तीसगढ़ और एमपी का 8 फीसदी पॉजिटिविटी रेट देश के औसत 5 फीसदी पॉजिटिविटी रेट से कहीं ज्यादा है. इसलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ की चिंता इस बात पर है कि संक्रमण की रफ्तार पर लगाम नहीं लगाया गया तो फैटेलिटी रेट को बढ़ने से रोकना मुश्किल होगा, वहीं हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्टर पर बढ़ता दबाव माहमारी पर नियंत्रण करने में सफल हो पाएगा इसकी संभावना काफी कम है.
दस जिले जहां कोरोना संक्रमण की रफ्तार काफी ज्यादा है
महाराष्ट्र में कोरोना के कुल एक्टिव केसेज के 62 फीसदी केस तकरीबन रोजाना दर्ज हो रहे हैं. दस जिले जहां सबसे ज्यादा केसेज दर्ज हो रहे हैं उनमें से 8 जिले महाराष्ट्र के चिह्नित किए गए हैं. दस जिलों में महाराष्ट्र के पुणे, मुंबई, नागपुर, थाने, नासिक, औरंगाबाद, नांदेड़ और अहमद नगर का नाम है. वहीं दिल्ली और बंगलुरू अर्बन को भी जिले को तौर पर चिह्नित किया गया है. महाराष्ट्र में फरवरी मध्य में मरने वालों की संख्या 32 थी जो अब 24 मार्च से 30 मार्च तक बढ़कर 118 तक पहुंच गई है.
महाराष्ट्र के एवरेज डेली केसेज भी 34 सौ से बढ़कर अब 34 हजार तक पहुंच चुके हैं. इतना ही नहीं पंजाब, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और गुजरात में भी स्थितियों की भयावहता कई गुना बढ़ गई है. देश के स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने 47 जिलों के डीएम और राज्य के चीफ सेक्रेट्री से बात कर कोरोना पर नियंत्रण पाने को लेकर तमाम उपायों पर जोर देने को कहा है.
राजेश भूषण ने आरटीपीसीआर टेस्ट की संख्या बढ़ाने से लेकर संक्रमित मरीजों के आइसोलेशन और कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग पर जोर देने की सलाह 47 जिलों को खास तौर पर दी है. ज़ाहिर है मामले की गंभीरता को देखते हुए भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के जिलों को चिह्नित करते हुए परिस्थितियों से निपटने के लिए जल्द से जल्द कहा है.
नए स्ट्रेन पर वैक्सीन को बताया प्रभावशाली और मास्क को सोशल वैक्सीन की संज्ञा दी
आईसीएमआर के मुखिया डॉ बलराम भार्गव ने कहा कि कुल 11 हजार 64 सैंपल का जीनोम सिक्वेंसिंग दस लैब के कंर्सोटियम में कराया गया है जिसमें यूके के 807 वैरिएंट, साउथ अफ्रिका के 47 और ब्राजिल के 1 वेरिंट मिले हैं. डॉ भार्गव ने देश में इस्तेमाल किए जा रहे दोनों वैक्सीन को यूके और ब्राजील के वेरिएंट के खिलाफ पूरी तरह से कारगर बताया है. ज़ाहिर है वायरस में परिवर्तन को वायरस का मूल स्वभाव बताते हुए कहा कि देश में वैक्सीन हर उन स्ट्रेन के खिलाफ कारगर है जो यहां मौजूद हैं. लेकिन किसी भी तरह के वायरस को यहां का मूल वायरस बताए जाने पर स्वास्थ्य सचिव नें आपत्ती जाहिर की और इसके संक्रमण से लेकर घातकता पर गंभीरता से चर्चा करने की सलाह भी दी है .
अब तक 6 करोड़ 11 लाख से ज्यादा लोग लगवा चुके हैं वैक्सीन
ज़ाहिर है स्वास्थ मंत्री का वैक्सीन लेते हुए फोटो वायरल होना इस बात की तस्दीक करता है कि सरकार अपने वैक्सीन को लेकर किस तरह से आत्मविश्वास से लबरेज है. लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ाई में लोगों की भागीदारी को अहम बताते हुए केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को भी जिम्मेदारी से काम करने की सलाह दे डाली है. ज़ाहिर है 6 करोड़ 11 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दिए जाने के बाद अब एक अप्रैल से सरकार 45 साल से ऊपर के लोगों को भी वैक्सीन दे रही है लेकिन इसके अलावा कोविड के नियमों का कड़ाई से पालन कराने पर भी उसका जोर है.