लालू यादव जैसे मंझे हुए नेता ने कांग्रेस प्रभारी के लिए क्यों कहे अपशब्द, क्या है उपचुनाव में टूट की असली वजह?
आरजेडी अपने आंतरिक सर्वे में जान चुकी थी कि मतदाता दोनों जगह क्या चाह रहे हैं और किस जाति से उम्मीदवार खड़ा करना आरजेडी की नेतृत्व वाली महागठबंधन के लिए जीत सुनिश्चित कर सकता है
पंकज कुमार अगर आप सोच रहे हैं कि आरजेडी (RJD) और कांग्रेस (Congress) अलग-अलग चलने वाले हैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. लालू यादव (Lalu Yadav) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बीच संबंध गहरे हैं और दोनों एक दूसरे की मजबूरी भी हैं. इसलिए ये लड़ाई महज उपचुनाव तक सीमित है. लेकिन लड़ाई उपचुनाव में भी क्यों हुई, तो आइए जानते हैं इसकी असली वजह.
दरअसल आरजेडी कुशेश्वरस्थान सीट को कांग्रेस के खाते में डालना चाहती थी और तारापुर से आरजेडी उम्मीदवार को लड़ाना चाहती थी. लेकिन कांग्रेस द्वारा चुने गए उम्मीदवार को लेकर आरजेडी के शीर्ष नेताओं का गुस्सा थम नहीं सका. ये सर्व विदित है आरजेडी जाति आधारित राजनीति को प्राथमिकता देती आई है. इसलिए आरजेडी कुशेश्वरस्थान सीट से कांग्रेस द्वारा मुसहर जाति के उम्मीदवार को महागठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर उतारना चाहती थी.
कुशेश्वरस्थान सीट पर मुसहर समाज के मतदाता 40 हजार के आसपास हैं जो किसी भी प्रत्याशी की जीत और हार की इकलौती वजह बन सकते हैं. लेकिन कांग्रेस ने अपने बड़े नेता अशोक राम के पुत्र अतिरेक को प्रत्याशी के रूप में उतारना चाहा जो मुसहर समाज से नहीं आते हैं. यही वजह है कि आरजेडी को लगा कि जो गलती आरजेडी साल 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 सीटें प्रदान कर कर चुकी है, वहीं गलती दोहराई नहीं जानी चाहिए.
आरजेडी की कांग्रेस से अलग राह की कहानी तय हुई राबड़ी आवास पर
राबड़ी देवी के आवास पर चुनाव को लेकर बन रही रणनीति में तय हुआ कि कुशेश्वरस्थान सीट पर आरजेडी उम्मीदवार को उतारा जाए. इसलिए गणेश भारती जो मुसहर समाज से आते हैं उन्हें आरजेडी उम्मीदवार के तौर पर चुना गया है. इनकी सीधी टक्कर दिवंगत नेता शशी भूषण हजारी के पुत्र अमन भूषण के खिलाफ बताया जा रहा है जो जेडीयू के उम्मीदवार हैं. ज़ाहिर है यहां टक्कर एनडीए और आरजेडी के बीच बताया जा रहा है, लेकिन चिराग पासवान की पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवार उतारे जाने से मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है.
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि कांग्रेस जमीनी हकीकत को समझना नहीं चाहती है. इसलिए वो चुनाव में हार के बावजूद ऐसे फैसले लेती है जिससे जीत तो दूर ज़मानत बचना मुश्किल पड़ने लगता है. मृत्युंजय तिवारी कहते हैं जनता आरजेडी के विरोध की सजा निश्चित तौर पर देगी और ज़मानत दोनो सीटों पर बचा पाना कांग्रेस के लिए मुश्किल होने वाला है.
दरअसल आरजेडी अपने आंतरिक सर्वे में जान चुकी थी कि मतदाता दोनों जगह क्या चाह रहे हैं और किस जाति से उम्मीदवार खड़ा करना आरजेडी की नेतृत्व वाली महागठबंधन के लिए जीत सुनिश्चित कर सकता है. लेकिन कांग्रेस के नेताओं से बातचीत के बावजूद कांग्रेस अलग राह पर चलने का फैसला कर चुकी थी. इसलिए लालू प्रसाद सरीखे मंझे हुए नेता अपने गुस्से को रोक नहीं पाए और राजनीतिक ब्लंडर किए जाने को लेकर कांग्रेस के प्रभारी भक्तचरणदास के लिए भकचोन्हर जैसे शब्दों का प्रयोग कर बैठे.
कांग्रेस नेता ने किया प्रतिकार लेकिन दोनों की राहें नहीं हो सकती अलग
लालू प्रसाद के बयान के बाद कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टियों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है. दलित समाज के नेता के प्रति लालू प्रसाद के इस बयान के बाद मीरा कुमार सहित कई नेताओं ने बयान दिए हैं. लेकिन कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्र ने साफ कर दिया कि विपक्षी दलों की मजबूरी कांग्रेस के साथ रहना है. क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस ही विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व कर सकती है. फिलहाल बयान में थोड़ी तल्खी है जो चुनाव के बाद खत्म हो जाएगी. इस बात को लेकर सुशील मोदी समेत कई एनडीए के नेता पहले ही आगाह कर चुके हैं.
कांग्रेस की रणनीति फिलहाल ये साबित करने की जरूर होगी कि कांग्रेस के बगैर आरजेडी बिहार में सत्ता तक पहुंच पाने में कामयाब ना हो. लेकिन राष्ट्रीय फलक पर दोनों एक दूसरे की मजबूरी हैं, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है. आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि कांग्रेस जवाब दे कि वो महागठबंधन में है या छोड़ दी है क्योंकि महागठबंधन के अन्य घटकदल जिसमें लेफ्ट पार्टियां भी शामिल हैं वो आरजेडी के साथ महागठबंधन में हैं.
वैसे कांग्रेस के प्रभारी भक्तचरणदास ने कल यानि सोमवार को दावा किया कि अब कांग्रेस बिहार में आरजेडी के साथ गठबंधन करने नहीं जा रही है. ज़ाहिर है दावों की हकीकत की कलई चुनाव बाद तभी खुल पाएगी जब लोकसभा चुनाव का वक्त नजदीक आएगा. बिहार कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता राजेश राठौड़ कहते हैं कि सवाल अधिकार का है और आरजेडी ने कांग्रेस के अधिकार का हनन किया है. इसलिए आरजेडी पर उंगली उठना लाजमी है.