जब पेट पर मार पड़े

राजपक्षे परिवार की तरफ से लोकतंत्र के तमाम उल्लंघनों को देश की जनता माफ करती रही

Update: 2022-04-06 04:55 GMT
By NI Editorial
राजपक्षे परिवार की तरफ से लोकतंत्र के तमाम उल्लंघनों को देश की जनता माफ करती रही। वजह यह है कि तमिल विद्रोह को कुचलने का श्रेय महिंद राजपक्षे को दिया जाता है, जो उस समय राष्ट्रपति थे। बदले में राजपक्षे परिवार देश पर अपना शिकंजा कसता गया। लेकिन अब हालात बदल गए हैं।
श्रीलंका में जो हालात बने हैं, उसमें दूसरे देशों के लिए भी कई सबक छिपे हैँ। गौर करने की बात यह है कि आर्थिक संकट ने वहां बहुचर्चित राजपक्षे परिवार का तिलिस्म तोड़ दिया है। इस परिवार की तरफ से लोकतंत्र और जन अधिकारों के तमाम उल्लंघनों को देश की जनता माफ करती रही। इसकी वजह यह है कि तमिल विद्रोह को कुचलने का श्रेय महिंद राजपक्षे को दिया जाता है, जो उस समय राष्ट्रपति थे। तब से उग्र राष्ट्रवाद की सियासत को हवा देते हुए राजपक्षे परिवार देश पर अपना शिकंजा कसता गया। लेकिन 2021 में हवा का रुख बदलने लगा। कारण 2020 में आई कोरोना महामारी के कारण गंभीर हुई आर्थिक हालत थी। 2022 आते-आते यह परिवार जन आक्रोश के निशाने पर आ गया। बीते गुरुवार को हालात काबू से बाहर हो गए, जब प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन की तरफ कूच कर दिया। उसके बाद इमरजेंसी लागू की गई। लेकिन श्रीलंका में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला ठहरा नहीं है। छिट-पुट रूप से देश के कई हिस्सों में जन प्रदर्शन जारी हैँ। इस दौरान लोग अपना गुस्सा जता रहे हैँ। मसलन, एक प्रदर्शनकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक टीवी चैनल से कहा- 'लोग बहुत गुस्से में हैं। वे चिल्ला रहे हैँ। पिछले हफ्ते लोगों ने राष्ट्रपति गोटबया राजपक्षे से इस्तीफे की मांग की। उसके बाद से लोग उन्हें गालियां दे रहे हैँ।'
1948 में आजाद होने के बाद श्रीलंका ने आज जैसे आर्थिक संकट का कभी सामना नहीं किया। ऐसा इसके पहले कभी नहीं हुआ कि बिजली ना रहने के कारण दुकानें बंद करनी पड़ी हों। या पेट्रोल पंपों पर लगी कतार को संभालने के लिए सैनिकों की तैनाती करनी पड़ी हो। लंबी कतारें अनाज और दूसरी जरूरी चीजों की खरीदारी के लिए भी लगानी पड़ रही है। इन हालात के लिए लोग सीधे तौर पर राष्ट्रपति राजपक्षे और उनके परिवार को दोषी ठहरा रहे हैँ, तो उसकी ठोस वजह है। राजपक्षे के परिवार के करीब एक दर्जन लोग इस समय सरकार या सरकार से जुड़े विभागों में ऊंचे पदों पर बैठे हुए हैँ। राष्ट्रपति गोटबया के भाई महिंद राजपक्षे अभी प्रधानमंत्री हैं। उनके एक दूसरे भारी बासिल राजपक्षे वित्त मंत्री हैँ। राष्ट्रपति के बेटे नमाल राजपक्षे इस समय संसदीय कार्य मंत्री हैँ। स्वाभाविक है, लोग सरकार की ये सफाई सुनने को तैयार नहीं हो रहे है कि मौजूदा संकट के लिए राष्ट्रपति जिम्मेदार नहीं हैं।
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