चीन का क्या करें?

चीन से आयात होने वाली पांच वस्तुओं पर एंटी डंपिंग का फैसला उसी रोज हुआ

Update: 2021-12-29 05:45 GMT
चीन से आयात होने वाली पांच वस्तुओं पर एंटी डंपिंग का फैसला उसी रोज हुआ, जिस दिन खबर आई कि इस वर्ष भारत-चीन का कारोबार पहली बार 100 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गया। बढ़े व्यापार में आयात-निर्यात का अनुपात नहीं बदला। भारत का व्यापार घाटा और बढ़ गया है।  
भारत सरकार ने चीन से आयात होने वाली पांच वस्तुओं पर एंटी डंपिंग शुल्क लगाने का एलान किया है। जिन धातु आयातों पर ये शुल्क लगेगा, उनका औद्योगिक उत्पादन के लिए इस्तेमाल होता है। सरकार के इस फैसले का एलान उसी रोज हुआ, जिस दिन ये खबर आई कि इस वर्ष भारत और चीन के बीच कारोबार पहली बार 100 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गया। 2020 में लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के बाद चीन से कारोबार पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद ऐसा हुआ है। ये बात रेखांकित करने की है कि इस बढ़े व्यापार में आयात-निर्यात का अनुपात नहीं बदला है। यानी अब भी इसमें लगभग दो तिहाई हिस्सा आयात का है। जाहिर है, भारत का व्यापार घाटा और बढ़ गया है। तो ये सही मौका है कि भारत सरकार ने चीनी कंपनियों और कारोबार के खिलाफ जो कदम डेढ़ साल पहले उठाए थे, उनसे हासिल क्या हुआ? दरअसल, ये प्रश्न सिर्फ भारत के सामने नहीं है।
अमेरिका ने भी पिछले साल चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध शुरू किया था। लेकिन वहां भी चीन से आयात घटाने में कोई मदद नहीं मिली। दोनों देशों का अनुभव यह है कि चीनी आयात पर शुल्क बढ़ाने से चीनी कंपनियों पर तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, उलटे संबंधित देश के उपभोक्ताओं को चीजें महंगी मिलने लगती हैँ। इसका खासकर अमेरिका में मुद्रास्फीति दर बढ़ाने में एक खास योगदान रहा है। अब तक के अनुभव के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अब लगाए गए एंटी डंपिंग शुल्क का भी वही नतीजा होगा। उससे भारतीय उपभोक्ताओं को महंगी चीजें मिलेंगी। साथ ही संबंधित कंपनियों का निर्यात महंगा हो जाएगा। इसकी वजह यह है कि चीन जितनी सस्ती दरों पर चीजें भेजता है, उसका कोई विकल्प फिलहाल नहीं है। चीन ने घरेलू उपभोग और बचत को बढ़ावा देकर अपनी अर्थव्यवस्था की मजबूत रीढ़ तैयार कर रखी है। इसके अलावा सस्ता एवं कुशल इन्फ्रास्ट्रक्चर और अर्थव्यवस्था में पर्याप्त निवेश उसकी ताकत हैं। इसलिए संभवतः बेहतर रास्ता यह होता कि चीनी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने के बजाय भारतीय उत्पादों को उसकी प्रतिस्पर्धा में बेहतर और सस्ता बनाने की नीति अपनाई जाती। उससे सचमुच चीनी उत्पादों का विकल्प तैयार होता। वरना, एंटी डंपिंग शुल्क जैसे उपाय अब तक खुद को नुकसान पहुंचाने वाले ही साबित होते रहे हैँ।
नया इण्डिया 
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