वाट्सऐप यूनिवर्सिटी और फेसबुकिया ज्ञान पर क्या कैंची चला सकेंगे सरकार के नए नियम
जिस बात की चर्चा पिछले कई महीनों से हो रही थी उस पर भारत सरकार (Indian Government) ने अब निर्णय ले लिया है
जिस बात की चर्चा पिछले कई महीनों से हो रही थी उस पर भारत सरकार (Indian Government) ने अब निर्णय ले लिया है. हम बात कर रहे हैं सरकार के उस नए नियम (New social media rules) की जिसके तहत सरकार अब सोशल मीडिया पर कुछ भी गलत, भ्रामक पोस्ट करने पर कार्रवाई कर सकती है. सरकार ने इस कानून को नाम दिया है, 'इंफर्मेशन टेक्नोल़जी' (Information Technology) (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) जिसमें भारत सरकार ने नियम 2021 के अंतर्गत OTT और डिजिटल न्यूज कंपनियों के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए एक गाइडलाइन तय की है.
इस गाइडलाइन के जरिए सरकार का साफ संदेश है कि OTT और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (Social Media Platforms) पर अगर कोई आपत्तिजनक कंटेंट आता है तो उसे शिकायत के बाद 24 घंटे के अंदर हटाना होगा. इसके अलावा इन कंपनियों को एक सिस्टम बनाना होगा जिसके अंतर्गत यहां आने वाली शिकायतों का निपटारा किया जा सके. साथ ही 24 घंटे में शिकायत को रजिस्टर करना होगा और 15 दिनों में इसका हल करना होगा. सरकार का यह कानून आने वाले तीन महीनों में लागू हो जाएगा.
आपत्तिजनक और गलत कंटेंट पोस्ट किया तो खैर नहीं
भ्रामक कंटेंट और झूठी बातें फैलाने को लेकर जितना उपयोग सोशल मीडिया का होता है शायद ही किसी और प्लेटफॉर्म का होता होगा. लेकिन अब सरकार की तरफ से जारी हुए नए दिशा-निर्देश इस पर रोक लगाएंगे. अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ऐसे लोगों और ऐसे कंटेंट पर नजर रखनी होगी जो झूठी बातें फैला कर समाज में विरोध और कड़वाहट फैलाते हैं. ऐसे कंटेंट कितने खतरनाक होते हैं इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इन अफवाहों की वजह से देश में दंगे तक हुए हैं. कई बार तो झूठी अफवाहें फैला कर घृणित मानसिकता को लोगों ने कई लोगों की जान ले ली. कोई भी घटिया शायरी शेयर कर नाम दे दिया गुलजार का या हरिवंशराय बच्चन का. सरकार का यह फैसला ऐसी घटनाओं को रोकने में कारगर साबित होगी.
चुनावों में फायदे के लिए करते थे इस्तेमाल
आज के समय को डिजिटल युग कहा जाता है. इस वक्त ऐसी कोई राजनीतिक पार्टी या नेता नहीं है जिसके पास आईटी सेल नहीं है. इसका काम होता है पार्टी या नेता के लिए सोशल मीडिया पर कैंपेन करना, लेकिन आज इसका सबसे ज्यादा उपयोग अपने विपक्षी पार्टी या नेताओं के खिलाफ झूठ फैलाने के लिए किया जाता है ताकि उसे चुनावों में नुकसान पहुंचाया जा सके. इस तरह के कई केस हैं जिसमें देखा जा सकता है कि किसी नेता या पार्टी के खिलाफ सोशल मीडिया के जरिए रातों-रात ऐसा माहौल बना दिया गया हो कि वह अपने जीतते हुए चुनाव में बुरी तरह से हार गया हो. इसके पीछे पूरी एक टीम लगी होती है. अब जब सरकार ने नए नियम बना दिए हैं तो ऐसे लोगों पर भी लगाम लगेगी और इन लोगों पर झूठ फैलाने को लेकर कार्रवाई भी होगी.
महिलाओं के लिए सरकार का सराहनीय कदम
इस दिशा-निर्देश में साफ कहा गया है कि अगर कोई शिकायत ऐसी आती है जहां किसी महिला के तस्वीर या नाम का गलत इस्तेमाल हो रहा हो तो उस पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को तुरंत कार्रवाई करनी होगी और आने वाले 24 घंटों में उस तस्वीर को हटाना होगा. महिलाओं के लिए यह गाइडलाइन बहुत सही है क्योंकि आए दिन ऐसी खबरें आती हैं जब किसी महिला की तस्वीर या नाम का गलत इस्तेमाल कर के उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया जाता है ताकि उसे बदनाम किया जा सके और अफवाह फैलाने वाला अपने पेज या प्रोफाइल की रीच बढ़ा सके.
सरकार को देनी होगी जानकारी
इस गाइडलाइन में कहा गया है कि अगर किसी ट्वीट या मैसेज से देश की अखंडता या संप्रभुता को ठेस पहुंचती है तो सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स को उसके ओरिजिनेटर की जानकारी सरकार को देनी होगी. यह नियम खास तौर से यौन शोषण के मामलों, दूसरे देशों से जुड़े रिश्तों के मामलों और सामाजिक समरसता से जुडे़ं मामलों पर लागू होंगे. इन मामलों में दोषी को कम से कम पांच साल की सजा का प्रावधान है. साथ ही आपको बता दें कि अगर कंटेंट को किसी विदेशी ने पहली बार पोस्ट किया है तो सरकार देखेगी कि इसको भारत में सबसे पहले किसने पोस्ट किया है उसके बाद उस पर कार्रवाई होगी.
डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स के लिए बड़ी बात
अब डिजिटल न्यूज पोर्टल्स को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और केबल टेलीविजन नेटवर्क रेगुलेशन के नियमों का पालन करना होगा. सरकार ने ऐसा कर के अब इन पोर्टल्स को एक प्रकार से टीवी और प्रिंट की तरह मान्यता दे दी है. हालांकि अब ये पोर्टल्स कुछ भी झूठ नहीं दिखा पाएंगे ना ही अपना एजेंडा चला पाएंगे. अब इन्हें भी एक नियम का पालन करना होगा. यह काम देश के लिए बेहद जरूरी था क्योंकि कुछ न्यूज़ पोर्टल्स ऐसे ही थे जिनका काम सिर्फ समाज में झूठ और भ्रामक जानकारियां देना था. सरकार का ये कदम अब इन पर भी लगाम लगाएगी.
OTT प्लेटफॉर्म्स से हट जाएंगे फालतू कंटेंट
सरकार के इस नए नियम से फिल्मों से जुड़े लोग भी खुश हैं. क्योंकि अब OTT प्लेटफॉर्म्स पर कुछ भी दिखाने से पहले सोचना होगा. इन कुछ सालों में जिस तरह से OTT ने लोगों के बीच अपनी जगह बनाई और उसके बाद उस पर जिस तरह के कंटेंट आने लगे जिससे समाज में कड़वाहट बढ़ने लगी उस पर अब रोक लग सकेगी. दरअसल पहले OTT पर किसी भी उम्र के लोग कुछ भी देख सकते थे इसका सबसे ज्यादा असर समाज की नींव कहे जाने वाले हमारे बच्चों पर पड़ रही थी. हालांकि अब OTT को पांच कैटेगरी में अपने कंटेंट को बांटना होगा और ये तय करना होगा कि इसे किसे दिखाना है किसे नहीं. इससे दर्शक को पहले से पता होगा कि वह किस तरह का कंटेंट देखने जा रहा है.
साथ ही अगर किसी कंटेंट पर OTT को शिकायत की जाती है तो उस प्लेटफॉर्म को 15 दिन के भीतर उस मसले को सॉल्व करना होगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो इसके बाद मामला सूचना प्रसारण मंत्रालय के पास चला जाएगा. इसके बाद सरकार का मैकेनिज्म इस पर कार्रवाई करेगा.
डिजीटल युग में एक क्रांतिकारी सुधार साबित होगा
कोई भी चीज जब बेलगाम हो जाए और उसका दुरुपयोग होने लगे तब जरूरत होती है कि सरकार उस पर लगाम लगाए और एक ऐसा तंत्र बनाए जो उस पर निगरानी रखे. मोदी सरकार का यह कदम बिल्कुल एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा. क्योंकि इस वक्त देश में वाट्सऐप 53 करोड़ लोग इस्तेमाल करते हैं, वहीं यूट्यूब का इस्तेमाल 44.8 करोड़ करते हैं अगर फेसबुक की बात करें तो इसे भारत में इस्तेमाल करने वालों की तादाद 41 करोड़ है. इसी तरह इंस्टाग्राम और ट्विटर को इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या भी करोड़ों में है. अगर देश की इतनी बड़ी आबादी इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर है तो सरकार को बिल्कुल यहां एक ऐसा नियम बनाने की जरूरत है जिससे यहां से लोग कुछ भी लिख कर बोल कर समाज में द्वेश और झूठ ना फैला सकें, जिसका खामियाजा देश की मासूम जनता को भुगतना पड़े.