क्या है अमेरिका की अग्रता?

अमेरिका ने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया को साथ लेकर जो चौगुट बनाया है,

Update: 2021-03-16 09:36 GMT

अमेरिका ने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया को साथ लेकर जो चौगुट बनाया है, उसे क्वाडीलेटरल सिक्युरिटी डायलॉग (क्वैड) यानी चौगुटीय सुरक्षा वार्ता नाम दिया गया है। लेकिन जब इसकी पहली शिखर बैठक हुई, तो जिन मुद्दों को इस गुट ने ज्यादा महत्त्व देकर प्रचारित किया, उनमें सुरक्षा का सवाल नहीं था। बल्कि उसमें दुनिया भर के लिए एक अरब कोरोना वैक्सीन के डोज बनाने और जलवायु परिवर्तन को ज्यादा अहमियत दी गई। जबकि ये बात हर कोई जानता है कि इस गुट को चीन का असर नियंत्रित करने के मकसद से बनाया गया है। चीन से जुड़े कुछ सुरक्षा मामलों की चर्चा हुई, लेकिन ये बातें केंद्र में नहीं थीं। क्यों? इस पर भारत को जरूर गौर करना चाहिए। इसकी साफ वजह है कि अमेरिकी प्राथमिकताएं फिलहाल बदली हुई हैं। उसका असर अमेरिका- चीन संबंधों पर दिख रहा है। इस खबर पर गौर कीजिए। अमेरिकी राज्य अलास्का में दोनों देशों के वरिष्ठ राजनयिकों की बैठक तय होने के सिर्फ एक दिन बाद चाइना सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन (सीएसआईए) ने एलान किया कि उसने अमेरिक की टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ एक कार्यदल का गठन किया है।


इसका मकसद निर्यात पर नियंत्रण और सप्लाई चेन सुरक्षा जैसे मुद्दों पर संवाद कायम करना है। सीएसआईए चीन की चिप उद्योग से संबंधित 774 कंपनियों का संघ है। अमेरिकी कंपनियों के साथ कार्यदल का गठन इन अटकलों के बीच हुआ है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन जल्द चीन की कंपनियों पर लगे प्रतिबंधों में कुछ ढील दे सकते हैं, ताकि दुनिया में चिप की हुई कमी का हल निकल सके। अगर बाइडेन प्रशासन ने ये कदम उठाया, तो उसका सबसे ज्यादा लाभ हुवावे टेक्नोलॉजीज और शंघाई स्थित सेमीकंडक्टर बनाने मैनुफैक्चरिंग इंटरनेशनल कॉरपोरेशन (एसएमआईसी) को होगा। गौरतलब है कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन और ह्वाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान अलास्का में चीन के विदेश नीति संबंधी वरिष्ठतम अधिकारी यांग जिची और चीन के विदेश मंत्री वांग यी से 18 और 19 मार्च को मिलेंगे। इस बैठक को 2+2 मीटिंग कहा जा रहा है। इस बैठक से चीन में उम्मीदें जगी हैं कि पिछले साल जिस तरह का अमेरिका के साथ उसका तनाव बढ़ा, अब उसमें कमी आएगी। अब जानकारों का कहना है कि असल नजर इसी बैठक के नतीजे पर रखनी चाहिए। अगर वहां अमेरिका को अपना मकसद सधता दिखा, तो क्वैड उसकी प्राथमिकता में पिछड़ जाएगा।


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